GK: ये है दुनिया की सबसे पुरानी प्रिंटेड किताब, जानिए किस तकनीक से और किस भाषा में हुई है प्रिंट
Oldest Printed Book: जीवन के हर लक्ष्य को सफल बनाने के लिए किताबें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. आज हम बात करेंगे दुनिया की सबसे पुरानी मुद्रित पुस्तक के बारे में, जो आज भी लंदन में मौजूद है.
World Oldest Printed Book: किताबें हमारी सच्ची दोस्त मानी जाती है, जो लाइफ के हर पड़ाव पर आपको सही गलत के बारे में फैसला करने की भी समझ देती है. बहुत से लोग बचपन से ही किताबों के प्रति आकर्षित हो जाते हैं, तो कुछ बढ़ती उम्र के साथ किताबों की दुनिया में रम जाते हैं. पुराने समय से ही किताबों को बहुत महत्व दिया जाता रहा है.
इसके जरिए ही तो हजारों पुरानी पीढ़ियों ने अपनी आने वाले नई जनरेशन को रीति-रिवाज, संस्कृति, शिक्षा, खान-पान विरासत में दी है. अब बात निली है किताबों की तो क्या आपको पता है कि दुनिया की सबसे पुरानी प्रिंटेड किताब (World's Oldest Printed Book) कौन सी है? तो आज हम आपको देने जा रहे हैं इस किताब से जुड़ी हर एक अहम जानकारी...
चीन में छपी थी दुनिया की पहली किताब
दुनिया की सबसे पहली प्रिंटेड किताब डायमंड सूत्र (Diamond Sutra) को माना जाता है. जानकारी जुटाने पर पता लगा कि ये किताब चीन में छपाई तकनीक विकसित होने के बाद 868 ईसवी में छपी थी. इस किताह में भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के बीच हुए संवाद की व्याख्या मिलती है. कहते हैं कि यह किताब 1900 में मोगाओ गुफाओं (Mogao Caves) के अंदर मिली थी, जिसे चीन के डुनहुआंग के पास हजार बौद्ध गुफाओं के तौर पर भी जाना जाता है.
महत्वपूर्ण बौद्ध धर्मग्रंथ
इस किताब को एक महत्वपूर्ण बौद्ध धर्मग्रंथ माना जाता है. बताया जाता है कि डायमंड सूत्र बुक हजारों अन्य मैनुस्क्रिप्ट और डॉक्यूमेंट के साथ एक छिपे हुए कमरे में मिली थी. यह एक स्क्रॉल है जिसकी लंबाई तकरीबन 5 मीटर है. डायमंड सूत्र की मूल प्रति लंदन में मौजूद ब्रिटिश लाइब्रेरी में आज भी रखी हुई है. जानकारों का कहना है कि इस किताब को वुडब्लॉक तकनीक के माध्यम छापा गया था.
जानिए वुडब्लॉक प्रिंटिंग क्या है
वुडब्लॉक प्रिंटिंग तकनीक में लकड़ी के ब्लॉक पर अक्षरों और छवियों को तराशना, उन पर स्याही लगाना और फिर उन्हें कागज पर दबाना शामिल है. इसी तरीके से डायमंड सूत्र भी प्रिंट किया गया था, जो चीनी भाषा में सिद्धम लिपि का इस्तेमाल करके लिखी गई है. आमतौर पर यह भाषा तब बौद्ध ग्रंथों के लिए इस्तेमाल की जाती थी.
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