चाय बेचते हुए इस मेधावी ने की इंजीनियरिंग की तैयारी, IIT Bombay से आ गया एडमिशन का ऑफर
Himanshu Hooda Success Story: जब गेट 2023 का परिणाम घोषित किया गया था, तब हिमांशु अपने ग्राहकों को चाय पिला रहे थे.
Himanshu Hooda Success Story: एक चाय बेचने वाले के 23 वर्षीय बेटे हिमांशु हुड्डा ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बॉम्बे (IIT Bombay) में एडमिशन प्राप्त करने के अपने आजीवन सपने को साकार कर लिया है. हाल ही में ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग 2023 (GATE 2023) के परिणामों की घोषणा की गई है, जिसमें हिमांशु ने ऑल इंडिया 205वीं रैंक हासिल की है. इसके बाद अब उन्हें अपने M.Tech प्रोग्राम के लिए IIT बॉम्बे और IISc बैंगलोर दोनों से प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं.
सला 2022 में YMCA फरीदाबाद से अपनी बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी पूरी करने के बाद, हिमांशु ने अपने परिवार के चाय के व्यवसाय में योगदान देना शुरू कर दिया था, जिसे उनके पिता ओम प्रकाश हुड्डा सेक्टर -3 में रोहतक-सोनीपत रोड पर चलाते हैं. कई चुनौतियों के बावजूद हिमांशु की शैक्षणिक यात्रा काफी उत्कृष्ट रही है. महेंद्र मॉडल स्कूल में अपनी हायर सेकेंडरी की शिक्षा के दौरान, उन्होंने फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ्स में 90% अंक प्राप्त किए थे. हिमांशु ने आईआईटी में सीट प्राप्त करने के लिए 10+2 के बाद जेईई एडवांस्ड की परीक्षा भी दी थी, लेकिन वह उस समय असफल रहे थे.
अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए, हिमांशु ने विनम्रतापूर्वक कहा, "मैं अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में जब भी अपने माता-पिता के साथ रहा, तब भी मैं दुकान पर उनकी मदद करने से पीछे नहीं हटता था. जब गेट का परिणाम घोषित किया गया था, तब मैं अपने ग्राहकों को चाय पिला रहा था."
हिमांशु के गौरवान्वित पिता ओम प्रकाश ने 1990 में जिले के मुंगन गांव से रोहतक आने के बाद की चुनौतियों को साझा किया है. वह कहते हैं कि "मैं एक हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में किराए पर रहता था ताकि कम से कम मेरी अगली पीढ़ी कुछ बड़ा हासिल कर सके और एक अच्छा जीवन जी सके," अपने बेटे की शिक्षा के लिए 15 लाख का कर्ज लेने के बावजूद प्रकाश ने कहा कि वह इसे बोझ नहीं समझते, क्योंकि हिमांशु ने अब अपने जीवन भर के सपने को पूरा कर लिया है.
पिता ओम प्रकाश ने आगे कहा, "अपनी तैयारी के दौरान, हिमांशु ने आईआईटी बॉम्बे को अपने दिमाग में कायम रखने के लिए घर की दीवारों पर आईआईटी बॉम्बे भी लिखा था."