IAS Success Story: यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा को कई लोगों द्वारा दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है. हर साल लाखों उम्मीदवार यूपीएससी परीक्षा में भाग लेने और आईएएस अधिकारी बनने के लिए उपस्थित होते हैं. हालांकि, उनमें से चंद उम्मीदवार ही इस परीक्षा को पास कर आईएएस ऑफिसर का पद हासिल कर पाते हैं. वहीं, इस परीक्षा को पास कर आईएएस बने कई अधिकारियों की सफलता भरी कहानियां भी आपने सुनी होंगी, जो कि अक्सर बहुत ही प्रेरणादायक होती हैं. आज हम इस लेख में एक ऐसी आईएएस अधिकारी के बारे में आपको बताएंगे, अपने गांव वालों का रूढ़िवादी सोच से लड़कर यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करी और ऑल इंडिया में 8वीं रैंक हासिल कर IAS सहिच हिंदी मीडीयन की टॉपर बन गईं. उन्होंने यह मुकाम बिना किसी कोचिंग की मदद के हासिल किया है.


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बिना कोचिंग पहले प्रयास में क्रैक की परीक्षा 
दरअसल, हम बात कर रहे हैं, आईएएस ऑफिसर वंदना सिंह चौहान की, जिन्होंने UPSC की सिविल सेवा परीक्षा 2012 में ऑल इंडिया 8वीं रैंक हासिल की थी और वह हिंदी मीडियम में IAS टॉपर बन गई थीं. इसी के साल ऑल इंडिया 8वीं रैंक हासिल करके, वंदना सिंह ने इस आम धारणा को भी खारिज कर दिया कि केवल इंग्लिश मीडियम बैग्राउंड वाले उम्मीदवार ही UPSC परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं. वंदना सिंह अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास करने में सफल रहीं और उन्होंने किसी कोचिंग सेंटर की मदद भी नहीं ली थी.


रूढ़िवादी परिवार में देखा IAS बनने का सपना
बता दें कि वंदना सिंह का जन्म एक रूढ़िवादी परिवार में हुआ था, जहां लड़कियों की शिक्षा में किसी की दिलचस्पी नहीं थी. लेकिन आईएएस बनना वंदना का बचपन का सपना था और उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की.


पिता ने किया सपोर्ट
आईएएस अधिकारी वंदना सिंह के पिता महिपाल सिंह चौहान ने उनका काफी सपोर्ट किया और उन्हें पढ़ाई जारी रखने के लिए गांव से बाहर भेज दिया. इसी का नतीजा था कि उन्होंने ऑल ओवल इंडिया में हिंदी मीडियम टॉपर बनके एक नया रिकॉर्ड बना डाला था.


एजुकेशनल बैग्राउंड
बता दें कि वंदना सिंह ने कन्या गुरुकुल, भिवानी से संस्कृत (ऑनर्स) में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है. इसके अलावा बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा से उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की थी.


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