नई दिल्ली: जेईई-नीट परीक्षा (JEE-NEET Exams 2020) के आयोजन के खिलाफ दायर संयुक्त पुनर्विचार याचिका (Review Petition) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने विचार करने से इनकार करते हुए शुक्रवार को इसे रद्द कर दिया. ये याचिका 6 गैर-बीजेपी शासित राज्यों के मंत्रियों ने दायर की थी. 


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17 अगस्त को मिली थी परीक्षा आयोजित कराने की अनुमति
इससे पहले 17 अगस्त को भी सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षाओं के आयोजन के खिलाफ दायर छात्रों की याचिकाओं को खारिज करते हुए परीक्षाओं के आयोजन को हरी झंडी दिखाई थी. लेकिन फैसले के तुरंत बाद ही गैर-बीजेपी शासित 6 राज्यों के मंत्रियों ने कोर्ट में सुयंक्त पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. 


इन राज्यों के मंत्रियों के दायर की थी याचिका
याचिका दाखिल करने वालो में पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री मोली घटक, झारखंड सरकार के मंत्री डॉक्टर रामेश्वर ओरेन, राजस्थान सरकार के मंत्री डॉ रघु शर्मा, छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री अमरजीत भगत, पंजाब सरकार के मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री उदय रविन्द्र सावंत शामिल हैं. 


कोरोना के कारण परीक्षाओं का हो रहा विरोध
इससे पहले सायंतन बिस्वास समेत 11 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने 1 से 6 सितंबर के बीच JEE (मेन) और 13 सितंबर को NEET की परीक्षा आयोजित करने की घोषणा की है. देश में जिस रफ्तार से इस समय कोरोना फैल रहा है, उसके मद्देनजर अभी परीक्षा का आयोजन छात्रों और उनके परिवार को स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा कर सकता है. इसलिए, स्थिति सामान्य होने तक परीक्षा स्थगित कर दी जाए.


1 सितंबर से शुरू हो चुकी हैं परीक्षाएं
17 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने राष्ट्रीय स्तर पर मेडिकल और इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए होने वाली इन परीक्षाओं को स्थगित करने का आदेश देने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 'छात्रों का एक कीमती साल यूं ही बर्बाद नहीं होने दिया जा सकता है.' जिसके बाद JEE की परीक्षा एक सितंबर से शुरू हो चुकी है.


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