NEET, JEE परीक्षाओं के विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे 6 गैर-बीजेपी राज्यों के मंत्री
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NEET, JEE परीक्षाओं के विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे 6 गैर-बीजेपी राज्यों के मंत्री

इन परीक्षाओं के आयोजन को स्थगित करने और 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में खारिज हुई याचिका पर पुनर्विचार करने के लिए 6 राज्यों ने न्यायालय से गुहार लगाई है. 

सुप्रीम कोर्ट का फाइल फोटो।

नई दिल्ली: देशभर में जेईई (JEE) और नीट (NEET) की परीक्षाओं के आयोजन के लिए सितंबर की तारीखें तय की गई हैं. जहां जेईई की परीक्षा 1 से 6 सितंबर के बीच करवाए जाने की संभावना जताई जा रही है, वहीं नीट की परीक्षा 13 सितंबर को आयोजित करवाई जाएगी. हालांकि इन परीक्षाओं के आयोजन को स्थगित करने और 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में खारिज हुई याचिका पर पुनर्विचार करने के लिए 6 राज्यों ने न्यायालय से गुहार लगाई है. 

जरूरत पड़ने पर 10वीं और 12वीं के औसत से दिया जा सकता है दाखिला!
गैर भाजपा शासित राज्यों में पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्रियों ने संयुक्त रूप से सुप्रीम कोर्ट में ये पुनर्विचार याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि अभी परीक्षा से छात्रों के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है. साथ ही बच्चो का मनोवैज्ञानिक दबाव भी पड़ेगा. जिसके चलते कोर्ट से अक्टूबर तक परीक्षा टालने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि सिर्फ एक महीने बाद परीक्षा कराने में भी बच्चो का साल बर्बाद नहीं होगा, लेकिन उनका स्वास्थ्य जरूर सही रह सकता है. याचिका में कहा कि जरूरत पड़ने पर 10वीं और 12वीं के औसत से भी दाखिला दिया जा सकता है.

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6 राज्यों के मंत्रियों के नाम शामिल
बताते चलें कि याचिकाकर्ताओं में पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री मोली घटक, झारखंड सरकार के मंत्री डाक्टर रामेश्वर ओरेन, राजस्थान सरकार के मंत्री डा. रघु शर्मा, छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री अमरजीत भगत, पंजाब सरकार के मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री उदय रविन्द्र सावंत शामिल हैं. 

छात्रों का साल यूं ही बर्बाद नहीं होने दिया जा सकता- SC
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में 17 अगस्त को यह मामला जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच के सामने लगा था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय स्तर पर मेडिकल और इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए होने वाली इन परीक्षाओं को स्थगित करने का आदेश देने से मना कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 'छात्रों का एक कीमती साल यूं ही बर्बाद नहीं होने दिया जा सकता है.'

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