IAS K Jayaganesh Success Story: एक आईएएस (IAS) या आईपीएस (IPS) अधिकारी की नौकरी आपको बहुत आकर्षक लग सकती है, लेकिन UPSC परीक्षा को पास करने के लिए सही रणनीति के साथ बहुत मेहनत भी करनी पड़ती है. लाखों उम्मीदवार हर साल यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए उपस्थित होते हैं, लेकिन लगभग एक हजार उम्मीदवार ही तीनों लेवल को पार कर इस हाई-प्रोफाइल परीक्षा को पास करने में सक्षम होते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ऐभी देखा गया है कि कमजोर फाइनेंशियल बेग्राउंड होने के बावजूद, यूपीएससी के कुछ उम्मीदवार परीक्षा की तैयारी जारी रखते हैं और सफलतापूर्वक आईएएस, आईपीएस या आईएफएस अधिकारी बन जाते हैं. आज इस लेख में हम आपको ऐसे ही एक उम्मीदवार के बारे में बताएंगे, जो एक होटल में वेटर का काम करता था, लेकिन बाद में उसने अपने 7वें प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा पास कर डाली. दरअसल, हम बात कर रहे हैं आईएएस ऑफिसर के जयगणेश की.


के जयगणेश ने साल 2008 में ऑल इंडिया 156वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास की और आईएएस अधिकारी बन गए. लेकिन इससे पहले वे छह बार इस परीक्षा में फेल हुए थे. उन्होंने इस परीक्षा को अपने आखिरी और सातवें प्रयास में पास किया था. उनके पिता के एक कारखाने में काम करने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. जयगणेश को अपनी यूपीएससी यात्रा के दौरान कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी.


अपने अंतिम प्रयास की तैयारी के दौरान उन्हें कथित तौर पर इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के लिए भी चुना गया था. उसके बाद, उसके लिए यह तय करना मुश्किल था कि वह यूपीएससी परीक्षा एक बार फिर से दें या इस अवसर को चुनते हुए इंटेलिजेंस ब्यूरो में शामिल हो जाएं. लेकिन उन्होंने एक बार और यूपीएससी परीक्षा दी और 2008 में इसे पास कर लिया.


जयगणेश ने अपनी स्कूली पढ़ाई अपने गांव में ही पूरी की. इसके बाद उन्हें एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में दाखिला मिल गया. इसके बाद उन्होंने थांथी पेरियार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. लेकिन इन दो डिग्रियों को पूरा करने बावजूद वे एक अच्छी नौकरी नहीं पा सके. 


इसके बाद उन्होंने एक मूवी थियेटर में बिलिंग क्लर्क की नौकरी करने का फैसला किया. वह एक होटल में वेटर का काम भी करते थे. इन छोटे-मोटे कामों को करते हुए वह ज्यादा पैसे नहीं कमा पाते था. कुछ समय बाद उन्हें अहसास हुआ कि कम सैलरी से परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल है. दूसरी ओर, उनकी भी एक आईएएस अधिकारी बनने की इच्छा थी. इस प्रकार, उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपने सपनों की दिशा में काम करना शुरू कर दिया और अंत में आखिरकार, वह एक IAS अधिकारी बन गए.