King Charles III Coronation: ब्रिटेन के नए महाराज किंग चार्ल्स की ताजपोशी आज, 6 मई 2023 को होनी है. इसके लिए राजघराने समेत लंदन को दुल्हन की तरह सजा दिया गया है. किंग चार्ल्स III के राजतिलक के दौरान ही उनकी पत्नी डचेज ऑफ कॉर्नवेल (Duchess of Cornwall) कैमिला को ब्रिटेन की महारानी की पदवी दी जाएगी.


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इस दौरान महारानी कैमिला को कोहिनूर जड़ा ताज सौंपा जाना था, लेकिन ब्रिटिश रॉयल फैमिली ने ऐसा न करने का फैसला लिया है. जी हां, किंग चार्ल्स III के राजतिलक से कोहिनूर को दूर रखा जाएगा. नई महारानी कोहिनूर ताज को नहीं पहनेंगी. वहीं, ताजपोशी में किंग चार्ल्स तृतीय सेंट एडवर्ड्स ताज पहनाया जाएगा. आइए जानते हैं क्यों लिया शाही परिवार ने यह फैसला..


भारत कोहिनूर पर अपना होने का करता है दावा
ये ताज कभी महारानी एलिजाबेथ द्वितीय पहनती थीं. महारानी के निधन के बाद किंग चार्ल्स तृतीय की पत्नी कैमिला महारानी कहलाएंगी, उन्हें क्वीन मदर का बेशकीमती कोहिनूर से जड़ा ताज दिया जाना था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. इसके पीछे कोहिनूर का भारत से जुड़ा होना बताई जा रही है.


इस शाही ताज में कोहिनूर के अलावा और भी कई बेशकीमती और दुर्लभ हीरे, जवाहरात जड़े हुए हैं. हालांकि, भारत समेत चार देश कोहिनूर पर अपना दावा करते हैं और आज भी ब्रिटेन से कोहिनूर हीरे को लौटाने की मांग करते हैं. वहीं, राज्यभिषेक के दौरान राजपरिवार किसी भी कंट्रोवर्सी में नहीं पड़ना चाहता. 


क्वीन कंसोर्ट कहलाएंगी क्वीन कैमिला
आपको बता दें कि डचेज ऑफ कॉर्नवेल को अब क्वीन कंसोर्ट (Queen Consort) के नाम से जाना जाएगा. दरअसल, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने इस साल की शुरुआत में ही ऐलान किया था कि कैमिला को क्वीन कंसोर्ट के नाम से जाना जाएगा. हालांकि, 75 साल की कैमिला के पास किसी तरह की संवैधानिक शक्तियां नहीं होंगी.


किंग चार्ल्स के कोरोनेशन में नई महारानी को क्वीन मैरी का ताज पहनाया जाएगा. राज्याभिषेक समारोह के लिए महारानी कैमिला ने क्वीन मैरी का क्राउन चुना है, जो 100 वर्षों से भी पुराना है. इसके पीछे ब्रिटिश राजपरिवार की ओर से यह दलील दी गई है कि यह ताज पर्यावरण के अनुकूल और सक्षमता के हक में है. 


दुनिया के सबसे बड़े हीरों में से एक है कोहिनूर  
इतिहास को खंगालने पर पता चलता है करीब 800 साल पहले भारत की गोलकुंडा खदान में चमचमाता हुआ कोहिनूर मिला था. यह ताज में जड़ा कोहिनूर हीरा भारत का है, जो ईरानी शासक नादिर शाह तक जा पहुंचा था. लेकिन वतन वापसी के बाद 1849 में पंजाब पर अंग्रेजों के कब्जे के बाद उनकी नजरों से ये बेशकीमती और खूबसूरत हीरा बचाया नहीं जा सका. उन्होंने वहां के अंतिम सिख शासक महाराजा दलीप सिंह से कोहिनूर हथिया लिया. इसके बाद यह कोहिनूर हीरा ब्रिटेन में ही है.