नई दिल्ली: अखबार से लेकर मोबाइल पर आप कई बार चांसलर, वाइस चांसलर और डीन जैसे शब्दों को पढ़ते या सुनते होंगे. ये सभी पद देश की यूनिवर्सिटीज़ से जुड़े हैं. पढ़ाई के इन बड़े संस्थानों को चलाने के लिए इन पदों पर आसीन लोग ही जिम्मेदार होते हैं. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हम चांसलर और वाइस चांसलर को लेकर कन्फ्यूज हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि दोनों में से कौन-सा पद बड़ा होता है? 


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सबसे बड़ा होता है विजिटर
देश में दो किस्म की यूनिवर्सिटीज़ होती हैं. पहली सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ और दूसरी स्टेट यूनिवर्सिटीज़. जैसे- जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU),दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) और केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद (AU) सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ हैं. इन सभी यूनिवर्सिटीज़ में सबसे बड़ा पद विजिटर का होता है, जो कोई और नहीं बल्कि देश के राष्ट्रपति होते हैं. विजिटर ही वाइस चांसलर की नियुक्ति को मंजूरी देते हैं. 
 
चांसलर कौन होता है?
सेंट्रेल और स्टेट दोनों ही यूनिवर्सिटीज़ में चांसलर होते हैं. इसका निर्धारण यूनिवर्सिटीज़ के एक्ट के मुताबिक होते हैं. जैसे डीयू के चांसलर देश के उप-राष्ट्रपति हैं. इसके अलावा स्टेट यूनिवर्सिटीज़ के चांसलर उस राज्य के राज्यपाल ही होते हैं. 


यूनिवर्सिटी को संभालते हैं वाइस चांसलर
यूनिवर्सिटी के 'प्रिंसिपल इग्जेक्युटिव एंड ऐकडमिक ऑफिसर' को वाइस चांसलर कहते हैं. दरअसल, किसी भी यूनिवर्सिटी से जुड़े अहम फैसले वहां के वीसी ही लेते हैं. इनके पास फाइनैंस कमिटी के चेयरमैन की जिम्मेदारी भी होती है. यूनिवर्सिटीज़ में होने वाली नियुक्तियों में वीसी अहम भूमिका निभाते हैं. 


डीन का क्या काम है? 
यूनिवर्सिटीज के अंदर कॉलेज होते हैं. इसके अलावा कुछ इंटीट्यूट के पास यूनिवर्सिटीज़ जैसी स्वायतता होती है. इन कॉलेज और इंटीट्यूट के पास डीन और डायरेक्टर्स होते हैं. दरअसल, कॉलेज से जुड़े कई अहम फैसले डीन लेते हैं. इसके अलावा प्रॉक्टर और रजिस्टार्स जैसे भी पद होते हैं.