नई दिल्ली: Knowledge: ट्रेन में सफर करना भारत में आम बात है. लोग अक्सर लंबी दूरी तय करने के लिए ट्रेन को चुनते हैं. अगर सड़क पर भी हों, तो क्रासिंग के वक्त कोई ना कोई ट्रेन गुजर ही जाती है. आपने ध्यान दिया होगा, ट्रेन में दो किस्म के डिब्बे देखने को मिलते हैं. एक डिब्बा लाल रंग का होता है. वहीं, दूसरा डिब्बा नीले रंग का होता है. क्या आप इन डिब्बों के रंग का मतलब जानते हैं. ये सिर्फ ट्रेन के कोच को सुंदर बनाने के लिए ही लाल-नीले नहीं किए जाते हैं. इनका अपना मतलब भी होता है. आइए जानते हैं...


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लाल रंग के कोच का मतलब
लाल रंग के कोच को लिंक हॉफमेन बुश (LHB) कोच कहा जाता है. ये कोच जर्मनी से साल 2000 में भारत में लाए गए थे, लेकिन अब पंजाब के कपूरथला में बनते हैं. इनकी खासियत है कि ये एल्युमिनियम से बने होते हैं और दूसरे कोच की तुलना में हल्के होते हैं. साथ ही साथ इनमें डिस्क ब्रेक भी दी जाती है. अपनी इसी खासियत की वजह से 200 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार तक भाग सकते हैं. बता दें कि इनका इस्तेमाल तेज गति से चलने वाली ट्रेनों जैसे राजधानी और शताब्दी में किया जाता है. हालांकि, अब सभी ट्रेन में LHB कोच लगाने की योजना है. ऐसे में कई अन्य ट्रेनों में भी इसका इस्तेमाल होने लगा है.  


नीले रंग के कोच का मतलब
नीले रंग के कोच को इंटीग्रल कोच (Integral Coach Factory- ICF) कहते हैं.  दरअसल, LBH के उलट ये लोहे के बनते हैं और इनमें एयर ब्रेक का इस्तेमाल किया जाता है. इनका निर्माण चेन्नई में स्थिति इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में किया जाता है. लेकिन धीरे-धीरे अब इनके स्थान पर LBH का इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन आज भी मेल एक्सप्रेस और इंटरसिटी जैसी ट्रेन में ये लगे मिल जाते हैं.