नई दिल्ली: आपने अक्सर टीवी या फिल्मों में देखा होगा कि अदालत में मौजूद सभी वकील काले रंग का कोट ही पहनते हैं. वहीं बात करें जजों की तो, वे भी काले रंग का ही गाउन पहनते हैं. वकील या कोई जज कितना भी सीनियर क्यों ना हो, उन्हें अदालत में काले रंग का कोट ही पहनना होता है. यहां तक कि हमारे देश के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के लिए भी अदालत में काले रंग का कोर्ट पहनना अनिवार्य है. लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के वकील से लेकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया तक सभी काले रंग का ही कोर्ट पहनते हैं. क्या आप जानते हैं कि आखिर इसके पीछे क्या कारण है. अगर नहीं, तो आइये आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं.


वकील, जज यहां तक कि चीफ जस्टिस तक के काले कोट को पहनने के पीछे कई अहम कारण है, जो हमने नीचे विस्तारपूर्वक बताए हैं. 


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1. दरअसल, काला कोट अनुशासन और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा काले रंग की बात करें, तो यह ताकत और अधिकार का भी प्रतीक है. साथ ही काले रंग का संबंध आज्ञा का पालन करना व न्याय के अधीन होने से भी है. इसलिए सभी वकीलों व जजों को न्याय कि अधीन माना गया है.


2. इसके अलावा काला कोट वकीलों व जजों को दूसरे अन्य प्रोफेशन की तुलना में एक अलग पहचान देता है. वहीं आपने कई बार वकीलों की शर्ट में सफेद रंग का बैंड भी देखा होगा. दरअसल, यह बैंड पवित्रता और भोलेपन का प्रतीक होता है, जो किसी भी वकील के लिए काफी अहम माना जाता है.



3. इसके अलावा बता दें कि काले रंग दृष्टि हीनता (Blindness) का भी प्रतीक है. ऐसे में हम सभी यह जानते हैं कि कानून भी अंधा होता है यानी जिस प्रकार एक अंधा व्यक्ति कभी पक्षपात नहीं करता, उसी तरह समाज में कानून भी सभी के लिए एक समान होता है. इसी की तर्ज पर अदालत में वकीलों के लिए काला कोट पहनना अनिवार्य है, क्योंकि यह इस बात का प्रतीक है कि अदालत की कार्रवाही के दौरान वकील बिना किसी भेदभाव के न्यान के लिए लड़ेंगे.


4. साल 1961 में बने एडवोकेट एक्ट नियम के तहत भी वकीलों के लिए काला कोट पहनना अनिवार्य है.