IAS Topper Success Stories: आपने दुष्यंत कुमार जी द्वारा लिखी यह पंक्ति तो जरूर पढ़ी होगी कि "कौन कहता है कि आकाश में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों!" इस पंक्ति को पूरी तरह से बिहार के गोपालगंज के रहने वाले प्रदीप सिंह ने चरितार्थ कर दिखाया है. प्रदीप सिंह ने महज 23 साल में दो बार यूपीएससी की परीक्षा पास की है और आज वे एक आईएएस ऑफिसर के पद पर कार्य कर रहे हैं. हालांकि, प्रदीप के लिए आईएएस बनने तक का सफर काफी मुश्किल भरा था. यूपीएससी की तैयारी के लिए उनका घर तक बिक गया था और तो और उनकी मां को अपने गहने भी गिरवी रखने पड़े थे. आज हम आपको उसके इस मुश्किल सफर के बारे में बताएंगे.


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इस कारण लिया IAS बनने का निर्णय
सबसे पहले बता दें कि प्रदीप सिंह मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं, लेकिन उनका परिवार 1992 से ही मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में रहता है. प्रदीप ने अपनी शुरुआती पढ़ाई इंदौर से ही पूरी की है. प्रदीप के परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं थी. ऐसे में प्रदीप ने अपने परिवार को इस स्थिती से बाहर निकालने के लिए कक्षा 12वीं पास करते ही यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा देने का निर्णय लिया. 


UPSC की तैयारी के लिए बेचना पड़ा घर 
प्रदीप यूपीएससी की तैयारी कोचिंग के जरिए करना चाहते थे, लेकिन कि प्रदीप के पिता एक पेट्रोल पंप पर काम किया करते थे और उनकी इतनी सैलरी नहीं थी कि वे अपने बेटे को यूपीएससी की पढ़ाई के लिए दिल्ली भेज सकें. हालांकि, प्रदीप के पिता ने बेटे को अफसर बनाने के लिए दिल्ली भेजना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने अपना घर तक बेच डाला था. घर बेचने के बाद भी जब प्रदीप की तैयारी के दौरान उनके पैसे खत्म हो गए, तो उनकी मां ने अपने गहने गिरवी रख दिए थे. घर और मां-बार की ऐसी स्थिती देखकर प्रदीप ने ठान लिया था कि वे यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पहले अटेंप्ट में ही क्लियर कर डालेंगे.


दो बार क्रैक की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 
साल 2018 में प्रदीप ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी, जिसमें उन्होंने ऑल इंडिया 93वीं रैंक हासिल की थी. प्रदीप द्वारा हासिल की गई रैंक के मुताबिक उनकी नियुक्ति इंडियन रेवेन्यू सर्विस ( IRS) में की गई. हालांकि, प्रदीप का सपना IAS ऑफिसर बनने का था, इसलिए उन्होंने अपनी सर्विस से छुट्टी लेकर दोबारा परीक्षा की तैयारी की और इस बार ऑल इंडिया में 26वीं रैंक हासिल कर IAS ऑफिसर बन गए.


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