Satellite Speed: बदलते दौर के साथ ही साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है और इस तरक्की में सैटेलाइट्स का बहुत अहम योगदान है. जब धरती से अंतरिक्ष में कोई सैटेलाइट छोड़ा जाता है वह बहुत ही तेज गति से ऊपर जाता है. इसके बाद सैटेलाइट की स्पीड स्पेस में अलग-अलग जगहों पर अलग होती है. वह उसकी स्पीड किसी ऑर्बिट में कम तो कहीं ज्यादा होती है. सैटेलाइट की स्पीड इतनी ज्यादा होती है कि अगर धरती पर कोई चीज इतनी गति से चले तो हमारे लिए उसे देखना भी मुश्किल हो जाएगा. 


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बुलेट ट्रेन से कई गुना ज्यादा है इसकी स्पीड 
अर्थ ऑबजर्वेशन सैटेलाइट लॉ अर्थ ऑर्बिट में घूमते हैं और उस समय सैटेलाइट की स्पीड लगभग 29,000 किलोमीटर प्रतिघंटा तक होती है. जबकि एक बुलेट ट्रेन की अधिकतम गति से कई गुना ज्यादा है, बुलेट ट्रेन की रफ्तार 320 किलोमीटर प्रति घंटा घंटा बताई जाती है. सैटेलाइट की स्पीड इससे लगभग 90 गुना तेज है. भारत में शहरों के लिहाज से देखा जाए तो यह कुछ ही सेकेंड में कई देशों को पार कर जाएगा. इनकी स्पीड इतनी तेज होती है कि अगर धरती पर कोई चीज इतनी तेजी से ट्रैवल करे तो देखना मुश्किल हो जाएगा.


बेहद कम है फ्यूल का खर्च
वहीं, अगर सैटेलाइट की स्पीड को धरती का चक्कर लगाने के हिसाब से देखा जाए तो अगर यह दिनभर भी पृथ्वी के चारों ओर घूमता है तो एक दिन में पूरे 14 बार धरती का परिक्रमा कर लेगा. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक सैटेलाइट में लगने वाले फ्यूल का खर्च एक लग्जरी कार कीमत से भी कम है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस समय ऑर्बिट में तकरीबन 2,500 सैटेलाइट ट्रेवल कर रहे हैं. बताया जाता है कि अंतरिक्ष में इनके कारण बहुत कचरा भी हो चुका है.


ऐसे काम करता है सैटेलाइट 
सैटेलाइट को रॉकेट के माध्यम से स्पेस की निर्धारित ऑर्बिट में पहुंचाया जाता है . रॉकेटजिस स्पीड से  सैटेलाइट को उस ऑर्बिट में पहुंचाता है,  लगभग उतनी ही स्पीड से सैटेलाइट धरती के चारों ओर घूमता है. अर्थ ग्रेविटी के कारण सैटेलाइट की स्पीड बैलेंस रहती है और वह धरती का चक्कर लगाता है.