नई दिल्ली: विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा सितंबर तक कराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान छात्रों के वकील अभिषेक मनु सिंधवी ने कहा कि कोर्ट के सामने सबसे बड़ा सवाल 'जीवन के अधिकार' का है.


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सिंधवी ने कहा कि रोजाना कोरोना (Coronavirus) के मामलों की संख्या तथा दैनिक मृत्यु दर बढ़ रही है. महामारी के इस दौर में ज्यादातर छात्र अपने-अपने घर लौट चुके हैं एवं बहुत से छात्र पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में छात्रों के आवागमन एक मुद्दा है. उन्होंने आगे कहा कि क्लास में पढ़ाई के बाद ही परीक्षा कराई जाती हैं, लेकिन कोरोना के कारण पिछले करीब 5 महीनों से पढ़ाई बाधित है तो परीक्षा कैसे आयोजित की जाएगी?


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सिंधवी ने कहा कि कोरोना महामारी विश्वस्तरीय समस्या है, यह एक असाधारण स्थिति है. महामारी से सभी सेक्टर प्रभावित हैं और अधिकतर बंद हैं. ऐसे वक्त में कोई भी रेगुलर परीक्षा के खिलाफ नहीं है, हम महामारी के दौरान परीक्षा के खिलाफ हैं. सिंधवी ने आगे कहा कि UGC ऐसी असाधारण स्थिति के दौरान कोई परीक्षा आयोजित नहीं कर सकता. 


वहीं वकील श्याम दीवान ने कहा कि UGC द्वारा परीक्षा के लिए 30 सितंबर की तारीख घोषित करना सही नहीं है, क्योंकि इसमें स्वास्थ सम्बंधित और कोरोना सम्बंधित हालात का जिक्र तक नहीं किया गया है. बताते चलें कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा कि शिक्षा मंत्रालय के आग्रह पर अंतिम सेमेस्टर परीक्षा के लिए शैक्षणिक संस्थान खोलने की अनुमति दी गई है. UGC के निर्देश के मुताबिक परीक्षा के आयोजन के लिए 'अनलॉक 3' गाइडलाइन से छूट दी जा रही है.


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दरसअल, देशभर के विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं के जवाब में UGC ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिल्ली सरकार और महाराष्ट्र सरकार द्वारा अपने अपने राज्य की यूनिवर्सिटी की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द करने के फैसले का विरोध किया है. यूजीसी ने कहा है कि यूजीसी एक स्वतंत्र संस्था है, विश्वविद्यालयों में परीक्षाओं के आयोजन का जिम्मा यूजीसी का है, न कि किसी राज्य सरकार का. यूजीसी ने फिर दोहराया कि वह सितंबर तक परीक्षाओं के आयोजन के हक में है. जो छात्रों के भविष्य के हितों के मद्देनजर सही है.