NEET Success Story: बकरी चराने वाले की बेटियों ने एक साथ क्रैक किया मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम, अब बनेंगी डॉक्टर
NEET Success Story: रितु यादव और करीना यादव का कहना है कि वे स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से बचते हैं और दिन में कम से कम 12 घंटे सेल्फ स्टडी में बिताते हैं.
NEET Success Story: चरवाहों के एक गरीब परिवार से आने वाली चचेरी बहनें रितु यादव और करीना यादव ने सफलता के मार्ग के रूप में शिक्षा के महत्व को काफी गहराई से समझा है. दोनों लड़कियों ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी होते ही अपने चाचा, जो एक सेवानिवृत्त विज्ञान शिक्षक और परिवार के एकमात्र पढ़े-लिखे सदस्य है, उनके मार्गदर्शन में नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट अंडरग्रेजुएट (NEET UG) की तैयारी शुरू कर दी.
जयपुर जिले के जामवा रामगढ़ के नांगल तुलसीदास गांव की रितु यादव (19) और करीना यादव (20) ने कई बाधाओं को पार किया और अंतत: भारत की प्रतिष्ठित मेडिकल प्रवेश परीक्षा में अपने दूसरे और चौथे प्रयास में सफलता हासिल की.
करीना यादव, जिन्होंने इस परीक्षा में 680 अंक हासिल किए हैं, उन्होंने कहा, "साल 2020 में अपना पहला प्रयास देने के बाद मुझे सफल होने का भरोसा था. मैंने अच्छे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए एलिजिबिलिटी प्राप्त करने के बजाय अपने स्कोर में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित किया था." बता दें कि इस परीक्षा में करीना यादव ने ऑल इंडिया 1621 रैंक और कैटेगरी के अनुसार 432 रैंक हासिल की है. करीना ने कहा, "मैं एक न्यूरोलॉजिस्ट बनना चाहती हूं और समाज की सेवा करना चाहती हूं."
वहीं, रितु यादव, जिन्होंने साल 2022 में अपना पहला प्रयास किया था, उन्होंने इस बार की परीक्षा में 645 अंक हासिल किए है और ऑल इंडिया 8,179 रैंक और कैटेगरी के अनुसार 3027 रैंक हासिल की है.
दोनों बहनों ने कहा कि वे स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से बचते थे और दिन में कम से कम 12 घंटे सेल्फ स्टडी में बिताते थे. उनके माता-पिता ने उनसे परीक्षा की तैयारी के दौरान घर के कामकाज में मदद करने के लिए भी नहीं कहा.
लड़कियों के चाचा ठाकरसी यादव ने कहा, "1983-84 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा में असफल होने के बाद मैंने अपने बच्चों को डॉक्टर बनते देखने का सपना संजोया था. किसी को स्टेथोस्कोप पहने हुए देखना मुझे प्रेरित करता था."
उन्होंने कहा कि जहां लड़कियों ने वर्षों तक खुद तैयारी की, वहीं प्रोफेशनल गाइडेंस की आवश्यकता को महसूस करने के बाद उन्होंने सात महीने पहले उन्हें राजस्थान के सीकर जिले में कोचिंग क्लासेज में दाखिला दिलाया.
करीना यादव ने कहा, "बड़े पापा (चाचा) ने न केवल हमारा मार्गदर्शन किया और हमें पढ़ाया, बल्कि सीकर में हॉस्टल में हमारे साथ रहे और खाना पकाने सहित सभी नियमित काम किए, ताकि हम बिना किसी रुकावट के पढ़ाई कर सकें."
ठाकरसी यादव ने गर्व और खुशी से झूमते हुए कहा, अब चरवाहे के परिवार में दो डॉक्टर होंगे. ठाकरसी यादव ने कहा, करीना यादव के पिता नन्चू राम और रितु यादव के पिता हनुमान सहाय के पास दो-दो बीघे जमीन के अलावा कुछ बकरियां भी हैं, जो परिवार की आय का मुख्य स्रोत हैं.