31.5 लाख का पैकेज छोड़ शुरू की UPSC की तैयारी, बिना कोचिंग के हासिल की 25वीं रैंक
UPSC Success Story: गोल्ड मैन बैंक कंपनी, बैंगलुरू में 31.5 लाख रुपए के वार्षिक पैकेज पर काम करते हुए श्रुति ने नौकरी छोड़कर यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लिया. श्रुति ने बिना कोई कोचिंग लिए यूपीएससी के प्रीलिम्स और मेंस परीक्षा की तैयारी की और तैयारी के दौरान वे सोशल मीडिया से भी दूर रही. हालांकि, उन्होंने कहा कि वे परीक्षा की तैयारी के लिए इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल किया करती थी.
नई दिल्ली: एक कहावत बहुत प्रचलिच है कि, "अपनी मंजिल तक वही लोग पहुंचा करते हैं, जो कड़ी धूप में छांव नहीं मंजिल ढूंढ़ा करते हैं". इस कहावत को झारखंड की श्रुति राज लक्ष्मी ने सच कर दिखाया है. श्रुति ने 31.5 लाख के सालाना पैकेज की नौकरी को छोड़कर यूपीएससी की तैयारी की और अपने दूसरे ही अटैंपट में सिविल सेवा परीक्षा 2021 पास कर डाली. साथ ही उन्होंने इस परीक्षा में 25वां स्थान प्राप्त किया है, जबकि पहले प्रयास में वे प्रीलिम्स परीक्षा भी क्लियर नहीं कर पाई थीं.
श्रुति का कहना है कि अगर आप ईमानदारी से इस परीश्रा की तैयारी करते हैं, तो इस परीक्षा को पास करने से अपको कोई नहीं रोक सकता है. उन्होंने कहा कि मैनें अपने जीवन में अब तक जो भी काम किया वो पूरी ईमानदारी के साथ किया है और आगे भी ऐसे ही करती रहूंगी.
आईआईटी बीएचयू से ली कंप्यूटर साइंस में डिग्री
श्रुति का परिवार मूल रूप से बिहार के भागलपुर जिले में स्थित अंबा गांव का रहने वाला है. श्रुति ने अपनी कक्षा 10वीं तक की पढ़ाई लोयोला स्कूल, जमशेदपुर से और कक्षा 12वीं की पढ़ाई दिल्ली के डीपीएस आर. के. पुरम से की है. इसके बाद उन्होंने साल 2019 में आईआईटी बीएचयू से कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल कर जॉब करने का फैसला किया. हालांकि, श्रुति के माता-पिता का सपना था कि बेटी बड़ी होकर आईएएस ऑफिसर बनें.
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31.5 लाख का पैकेज छोड़ शुरू की UPSC की तैयारी
गोल्ड मैन बैंक कंपनी, बैंगलुरू में 31.5 लाख रुपए के वार्षिक पैकेज पर काम करते हुए श्रुति ने नौकरी छोड़कर यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लिया. श्रुति ने बिना कोई कोचिंग लिए यूपीएससी के प्रीलिम्स और मेंस परीक्षा की तैयारी की और तैयारी के दौरान वे सोशल मीडिया से भी दूर रही. हालांकि, उन्होंने कहा कि वे परीक्षा की तैयारी के लिए इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल किया करती थी. प्रीलिम्स परीक्षा की तैयारी उन्होंने रांची में अपने घर पर रहकर ही की थी. हालांकि, मेंस परीक्षा की तैयारी के लिए वे दिल्ली आ गई और अपनी तैयारी का आंकलन करने के लिए टेस्ट सीरीज ज्वाइन कर ली. वे बताती हैं कि उन्हें इस बार भी उम्मीद नहीं थी, लेकिन रिजल्ट जारी होने के बाद वे पूरी तरह से हैरान हो गई और उनकी खुशी का कोई ठिकाना ना था.
महत्वपूर्ण टिप्स
श्रुति ने अपनी तैयारी को लेकर सबसे महत्वपूर्ण टिप्स दी है. श्रुति बताती हैं कि जिन छात्रों को लगता है कि उनका खुद पर नियंत्रण नहीं है, तो वे परीक्षा की तैयारी के दौरान मोबाइल से दूरी बनाए रखें. ऐसा नहीं है कि मोबाइल के बिना काम नहीं चल सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि एक टॉपिक को पढ़ने के बाद आप उसका समय-समय पर रिवीजन करते रहें. ज्यादा पुस्तकों के पीछे ना भागें और समय-समय पर टेस्ट सीरीज के जरिए अपनी तैयारी का आंकलन करते रहें.
बता दें कि श्रुति ने अपनी मेंस परीक्षा में एंथ्रोपोलाजी विषय रखा था. इस विषय को रखने के पीछे श्रुति का कहना है कि सात से आठ महीने इसके लिए तैयारी करनी पड़ती है. ऐसे में वो विषय चुनना चाहिए, जिसे पढ़ने में रूची हो और जिसकी सामग्री आसानी से मिल जाए.
आदिवासी उत्पादों को नई तकनीक से जोड़ने का करेंगी काम
श्रुति ने आगे कहा कि अगर उन्हें भविष्य में झारखंड कैडर मिलता है, तो वे आदिवासी उत्पादों को नई तकनीक से जोड़ने का काम करेंगी. इसके अलावा डायन प्रथा को रोकने ओर स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने की भी जरूरत है. साथ ही गांव के प्रत्येक व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले, इस बात पर भी वे ध्यान देंगी. उन्होंने आगे कहा कि, जो कुछ भी वे आईआईटी से सीख कर आई हैं, उसका इस्तमाल वे गांवों के विकास के लिए भी करेंगी.