नई दिल्ली:  उत्तर प्रदेश और बिहार में UPSC की परीक्षा को लेकर क्रेज देखा जाता है. हिंदी पट्टी के इन प्रदेशों में हर साल लाखों छात्र अधिकारी बनने का सपना लेकर पटना, इलाहाबाद और दिल्ली की ओर रुख करते हैं. कठिन मेहतन के बाद कोई Aspirants, UPSC की सिविल सेवा परीक्षा को पास कर पाता है. ठीक यही स्थिति UPPSC की परीक्षा का भी है. लेकिन अगर ये कहा जाए कि यूपी में एक ऐसा गांव है, जहां के बच्चे इन परीक्षाओं को पास करने के लिए ही पैदा होते हैं, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. 


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जौनपुर के इस गांव में पैदा होते हैं IAS अधिकारी 
यूपी के जौनपुर जिले में माधोपट्टी नाम का गांव है. इस गांव में कुल 75 घर हैं. लेकिन अब तक यहां से 47 लोग IAS और PCS बन चुके हैं. स्थिति ये है कि हर घर में कोई ना कई बड़ा अधिकारी मौजूद है. ये कह सकते हैं कि इस गांव का दखल भारत की ब्यूरोक्रेसी में बहुत बड़े स्तर पर है.  इनमें से कई लोग पीएम और सीएम ऑफिस में अपनी सेवा दे चुके हैं. 


साल 1952 से हुई थी शुरुआत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,  प्रशासनिक सेवा अधिकारी  बनने की शुरुआत इस गांव में साल 1952 से हो गई थी. तब पहली बार इंदू प्रकाश सिंह ने IAS की दूसरी रैंक हासिल की थी. इंदू प्रकाश सिंह ने अपने करियर काफी ऊंचाईयां हासिल की. वह  फ्रांस सहित दुनिया के कई देशों में भारत के राजदूत भी रहे. इसके बाद गांव में युवाओं के बीच एक किस्म की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई. यह सिलसिला आज तक चला रहा है. 


इस गांव के नाम पर दर्ज है एक और रिकॉर्ड 
इस गांव में एक ऐसा भी परिवार है, जिसमें चार भाईयों ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की है. साल 1955 विनय सिंह ने सफलता हासिल की. इसके बाद उनके भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह ने 1964 में ये परीक्षा पास की. इसके बाद साल 1968 सबसे छोटे भाई शशिकांत सिंह ने परीक्षा पास करके इतिहास ही रच दिया.