नई दिल्ली: देश की चार लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव की गिनती जारी है. इनमें से बीजेपी जिन तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उनमें से दो सीटों (कैराना और भंडारा-गोंदिया) पर पार्टी पीछे चल रही है. ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि 2014 लोकसभा चुनाव में 282 सीटें लाने वाली बीजेपी अब तक हुए उपचुनावों में चार राज्यों में छह सीटें हार चुकी है. बीजेपी ने अब तक चार सीटें कांग्रेस के हाथ और दो सीटें समाजवादी पार्टी के हाथों गंवाई हैं.पार्टी जिन-जिन सीटों पर अब तक हारी में उनमें विपक्षी एकता का हाथ तो रहा ही साथ ही, 2014 की मोदी लहर का शिथिल होना भी एक वजह रहा.


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रतलाम: बीजेपी के दिलीपसिंह भूरिया के निधन (2015) के बाद मप्र की इस सीट पर उनकी बेटी निर्मला लड़ीं. वे कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया से 88 हजार वोटों से हार गईं. यह सीट पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ रही है और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया यहां खासे लोकप्रिय हैं. यह जीत 2014 की हार के बाद कांग्रेस के लिए संजीवनी की तरह आई थी.


गुरदासपुर: पंजाब में बीजेपी की यह सीट अभिनेता विनोद खन्ना के निधन (2017) के बाद खाली हुई. कांग्रेस के यहां से अपने प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को मैदान में उतारा था. जब यहां लोकसभा उपचुनाव हुआ तब तक राज्य में कांग्रेस सरकार बन चुकी थी. मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के करिश्मे से कांग्रेस ने यह सीट 1.93 लाख वोटों से सीट जीत ली.


अलवर: पारंपरिक रूप से यह सीट का कांग्रेस का गढ़ थी. यहां से राहुल गांधी के करीबी माने वाले भंवर जीतेंद्र सिंह बीजेपी से हार गए थे. 2017 में बीजेपी सांसद महंत चांदनाथ के निधन के बाद पार्टी के जसवंतसिंह यादव लड़े. उपचुनाव में भंवर मैदान में नहीं उतरे और पार्टी ने करणसिंह यादव को टिकट दिया. यादव 1.96 लाख वोटों से जीत दर्ज कर राजस्थान में कांग्रेस की लोकसभा सीटों का सूखा खत्म किया. इस जीत को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए बड़ा झटका माना गया.


अजमेर: अगस्त 2017 में बीजेपी सांसद सांवरलाल जाट के निधन के बाद बीजेपी ने रामस्वरूप लांबा को टिकट दिया. वे कांग्रेस के रघु शर्मा से 84 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए. यह सीट भी कांग्रेस का पुराना गढ है. यहां से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट 2009 में सांसद थे. इस जीत के साथ पायलट ने पार्टी में अपनी पकड़ मजबूत की.


गोरखपुर: यूपी की यह सीट योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई थी. अब यहां से समाजवादी पार्टी के प्रवीण निषाद 21 हजार 881 वोटों से जीते हैं. सपा-बसपा के एक साथ आने के बाद यह बीजेपी करारी हार थी. इस हार के बाद योगी को कहना पड़ा की वे अति आत्मविश्वाास में हार गए. लेकिन यहां से भारतीय राजनीति में नए बदलाव की शुरुआत दिखाई दी.


फूलपुर: उत्तरप्रदेश की यह सीट बीजेपी के केशव प्रसाद मौर्य के उप-मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई थी. उपचुनाव में सपा के नागेंद्र सिंह पाल 59 हजार वोटों से जीते हैं. फूलपुर सीट पर हार के बाद बीजेपी के अतिपिछड़ा वोटर की लामबंदी पर असर पड़ा. हार की एक वजह यह भी रही कि पार्टी अपने वोटर को बूथ तक ही नहीं ले जा सकी.