Anupam Kher On Ratna Pathak Shah: बॉलीवुड दिग्गज एक्टर अनुपम खेर ने हाल ही में अपनी को-एक्ट्रेस रत्ना पाठक शाह के उस कमेंट पर अपनी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने भारत में एक्टिंग इंस्टीट्यूट्स को दुकानें बताया था. उन्होंने कहा कि रत्ना को अपनी राय रखने का अधिकार है, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि क्या वे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) के बारे में भी यही बात कहेंगी? 


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 पिंकविला से बातचीत के दौरान अनुपम खेर (जो अपना खुद का एक्टिंग स्कूल भी चलाते हैं) ने रत्ना पाठक के कमेंट पर खुलकर बात की और कहा कि उन्हें उनके सामने कुछ भी सही ठहराने की जरूरत महसूस नहीं होती. रत्ना के विचारों के बारे में पूछे जाने पर अनुपम ने कहा, 'मुझे इस पर प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है. ये उनका अपना नजरिया है. मैं नसीर (नसीरुद्दीन शाह) का भी एक इंटरव्यू देख रहा था. वो भी यही कह रहे थे'. 



अनुपम ने रत्ना के कमेंट का दिया जवाब 


एक्टर ने बात करते हुए कहा, 'उन्होंने सवाल किया, 'मुझे लगता है कि वे दोनों नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से हैं, क्या वे नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा को दुकान कहेंगे'? अनुपम ने अपने हैरानी जाहिर करते हुए कहा, 'क्या ये कमेंट बिटर्नेस की वजह से की गई थी. तो कभी-कभी लोग कड़वाहट से कुछ बातें बोलते हैं. कभी-कभी वे कहते हैं कि आदमी की फिलॉसफी में भी कुछ बातें बोलती हैं. कभी-कभी आप इसलिए भी बात बोलते हैं, ताकि वो सवाल बन सके कोई'. 


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जब खरीदी थी पहली कार...


अनुपम ने कहा, 'लेकिन मेरे लिए किसी तरह से जस्टिफाई करना जरूरी नहीं है. वे जो सोचते हैं, वो उनकी सोच है और वे वही सोचते हैं. ये एक दुकान है. ये बिल्कुल ठीक है'. उन्होंने आगे कहा, 'मैं लोगों में अच्छाई देखता हूं. सबसे बुरे इंसान में भी अच्छाई होगी. मुझे याद है कि जब मैंने अपनी पहली कार ड्राइव के लिए निकाली थी, तो नसीर ने मुझे देखा और बहुत गर्मजोशी के साथ कहा था, 'वाह, अनुपम तुमने आखिरकार एक कार खरीद ही ली. मैं उस गर्मजोशी को नहीं भूल सकता जो उन्होंने मेरे प्रति दिखाई'.



क्या बोली थीं रत्ना पाठक शाह? 


दशकों से इंडस्ट्री में अपना अहम योगदान देने वाली रत्ना पाठक ने दो साल पहले साल 2022 में एक इंटरव्यू में एक्टिंग के लिए अपने प्यार और देश में अभिनेताओं के लिए ट्रेनर्स की कमी पर अपनी निराशा के बारे में खुलकर बात करते हुए कहा था, 'आप जानते हैं कि अभिनेता तैयार होते हैं, एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं, विंग में जाते हैं, अपनी एंट्री का इंतज़ार करते हैं, तकनीकी ग्रुप इधर-उधर घूमता रहता है. मुझे ये सब बहुत अच्छा लगता था. यही कारण है कि मैं NSD गई, क्योंकि मैं ट्रेनिंग लेना चाहती थी और सीखना चाहती थी कि एक बेहतर अभिनेता कैसे बनें. दुर्भाग्य से, वहां कोई अभिनय शिक्षक नहीं थे'.