नई दिल्ली: किसी भी बॉलीवुड फिल्म को अच्छा बनाने के लिए मसाले को सही तरह से मिक्स करना चाहिए. जैसा की 'दबंग' में किया गया था लेकिन 'बागी 2' में एक्शन सीन्स को सही तरह से नहीं फिल्माया गया. फिल्म का गाना 'एक दो तीन' कहानी के एक दिलचस्प मोड़ के बीच में आता है और फिल्म के कुछ डायलॉग,  जैसे 'दिमाग होता दही, दिल होता सही' काफी बेकार और बोरिंग हैं. वहीं फिल्म में जब विलेन अपने एक्शन और मोटिवेशन के बारे में बिना पूछे ही बताने लगता है तो यह पूरा ड्रामा खत्म कर देता है. गलत तरह से और गलत हिसाब से डाला गया मसाला और गलत टाइमिंग फिल्म देखने आए लोगों के वक्त को बर्बाद करता है.


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फिल्म- बागी 2
टाइमिंग- 2 घंटे 17 मिनट
कलाकराटाइगर श्रॉफ, दिशा पटानी, रणदीप हुड्डा, मनोज वाजपेयी, दीपक डोबरियाल और प्रतीक बब्बर
रेटिंग1/5


'बागी 2' में बताने के लिए अच्छी कहानी है लेकिन फिल्म के डायरेक्टर का विजन और इसे बताने के तरीके में कमी है. अहमद खान जो कोरियोग्राफर से डायरेक्टर बने हैं ने 'फुल एंड फाइनल' और 'लकीर' जैसी फिल्मों का भी निर्देशन किया है और इन फिल्मों के नाम आज के वक्त में किसी को याद नहीं है. जिस तरह उन्होंने इन याद न रखने वाली फिल्मों को बनाया है उसी तरह आप उनकी इस फिल्म को भी भूल जाना पसंद करेंगे. 


पिछली फिल्म से अच्छी है टाइगर की एक्टिंग
टाइगर श्रॉफ की ताकत एक्शन सीन्स में है और उन्होंने इस फिल्म में अपनी पिछली फिल्म 'मुन्ना माइकल' से अच्छा काम किया है. वहीं दीपक डोबरियाल, मनोज बाजपेयी और रणदीप हुड्डा ने फिल्म में अपना बेस्ट दिया है. उन्होंने अच्छी एक्टिंग की है. दिशा पटानी अपनी एक्टिंग से दर्शकों को प्रभावित नहीं कर पाईं. जिस सीन में उनका करेक्टर रॉनी से मदद मांगता है उसमें वह एक डरी हुई मां की भूमिका को मुश्किल से निभा पाती हैं जिसकी बेटी किडनेप हो गई है और जिस पर फिल्म की कहानी आधारित है. 



कैमरा वर्क नहीं है खास
फिल्म के कैमरा वर्क की बात करें तो वो भी कुछ खास अच्छा नहीं है. कई फिल्मों में स्टार्स के चहरों पर ज्यादा पीली लाइट नजर आती है. सीन्स में लाइट बैलेंस न होने की वजह से सीन्स अच्छे नहीं लगते. 'हॉलीडे' और 'कहानी' की तरह फिल्म में हाथ से कैमरे का इस्तेमाल करते हुए शूट किए गए सीन्स थ्रिलर महसूस कराते हैं लेकिन इसका ज्याद इस्तेमाल किए जाने की वजह से यह परेशान करने लगता है. फिल्म के एक्शन डिजाइन में अहमद खान का नाम भी शामिल है लेकिन फिल्म की ही तरह इसके एक्शन सीन्स भी सुसंगित नहीं है. एक सीन में नायक कुछ लोगों की हड्डियां तोड़ता है और अगले ही सीन में वह कुछ और कर रहा है जो सीन को ब्रेक कर रहा है.


'एक दो तीन' है फिल्म का खराब प्वाइंट
फिल्म का सबसे खराब प्वाइंट उस वक्त आता है जब रॉनी एक रेव पार्टी में सनी (प्रतीक बब्बर) का पीछा करते हुए पहुंचता है और जैकलीन फर्नांडीज 'एक दो तीन' गाने पर डांस करती है. फिल्म का पूरा ध्यान जैकलीन के डांस पर केंद्रित हो जाता है और यह भुला दिया जाता है कि नायक वहां विलेन को ढूंढने के लिए आता है. यहां पर दर्शकों को रोक कर पहले कुछ मिनट के लिए डांस दिखाया जाता है और वहां फिल्म से सबका कनेक्शन टूट जाता है. 


यह फिल्म आपके वक्त और पैसे के लायक नहीं है.


(स्वपनिल कुमार)