नई दिल्ली:  अपनी मदमस्त धुनों पर लोगों को इतने सालों बाद भी थिरकने पर मजबूर कर देने वाले बॉलीवुड के महान संगीतकार राहुल देव बर्मन यानी हमारे पंचम दा का आज जन्मदिन है. क्या आप जानते हैं कि पंचम दा को यह नाम उसी समय मिल गया था जब वह चंद महीनों के थे. लेकिन इसके साथ बचपन में उनका एक और नाम भी था 'तबलू'. महान संगीतकार बनने से पहले राहुल देव बर्मन को मिले इन दोनों प्यार के नामों की कहानी बड़ी रोचक है. आइए उनके जन्मदिन पर जानते हैं इन नामें से जुड़े रोचक किस्से...  


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आरडी बर्मन का नाम राहुल देव से पंचम होने के पीछे कई किस्से सामने आते हैं. लेकिन जावेद अख्तर की जुबानी सामने आए एक किस्से की मानें तो पंचम को यह नाम उनके पैदा होने के कुछ ही महीनों बाद मिला. क्योंकि उनके पिता को उनके रोने की आवाज में शास्त्रीय संगीत 'पंचम सुर' की खनक सुनाई पड़ती थी. लेकिन इनका एक और उपनाम 'तबलू' हुआ करता था. संगीत के प्रति इनकी दिलचस्पी के चलते ये नाम उन्हें अपनी नानी से मिला. 



बता दें कि पंचम दा का जन्म 27 जून को कोलकाता में हुआ था. उन्होंने  ने पश्चिम बंगाल में अपनी शुरुआती पढ़ाई की थी. उनके पिता मशहूर बॉलीवुड म्यूजिक कंपोजर एसडी बर्मन यानी सचिन देव बर्मन थे. कहते हैं जब राहुल देव बर्मन 9 साल के थे तो उन्होंने अपना पहला गाना कंपोज किया था. इस गाने को उनके पिता ने साल 1956 में आई फिल्म 'फंटूश' के लिए इस्तेमाल किया था. 



1959 में बर्मन ने म्यूज़िक डायरेक्टर के तौर पर पहली फिल्म 'राज' साइन की थी. इस फिल्म को निर्देशक गुरूदत्त के असिस्टेंट निरंजन ने डायरेक्ट किया था. लेकिन कुछ कारणों से यह फिल्म कभी पूरी नहीं हो सकी थी. जिसके बाद एक इंडिपेंडेंट म्यूजिक डायरेक्टर के तौर पर बर्मन की पहली फिल्म 'छोटे नवाब' थी. 


बता दें कि उन्होंने साल 1966 में 'तीसरी मंजिल' के साथ ही अपनी पहली हिट फिल्म के साथ सफलता का स्वाद चखा. इस फिल्म के गानों को आज भी पसंद किया जाता है. 


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