Blind Movie Review: कोरोना ने फिल्म मेकरों और दर्शकों की सोच में खाई पैदा कर दी है. हाल के दिनों में जिस तरह का कंटेंट देखा और पसंद किया जा रहा है, उसकी तुलना में नई बॉलीवुड फिल्मों (New Bollywood Films) को देखिए. साफ पता चलता है कि दर्शक आगे निकल चुके हैं और फिल्म बनाने वाले पीछे रह गए हैं. मेकर्स यहीं पीछे नहीं रहे. दुनिया जो फिल्म 2011 में देख चुकी, वे उसे 2023 में बना कर भारतीय दर्शकों को परोस रहे हैं. मामला सोनम कपूर आहूजा (Sonam Kapoor Ahuja) की फिल्म ब्लाइंड का है. इस फिल्म सोनम चार साल बाद स्क्रीन पर लौट रही हैं. उनकी फिल्म पुरानी मालूम पड़ती है. सिनेमा का थ्रिल आज ब्लाइंड से कहीं आगे निकल चुका है. सोनम की ब्लाइंड इसी नाम से 12 साल पहले बनी दक्षिण कोरियाई फिल्म का हिंदी रीमेक है. जो लगभग मूल फिल्म के ही आस-पास है.


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कहानी की शुरुआत
ब्लाइंड ऐसी पुलिस अफसर जिया (सोनम कपूर आहूजा) की कहानी है, जो एक दुर्घटना में अपनी आंखें खो बैठी. साथ ही नौकरी भी. जिया और उसका भाई अनाथ थे. एक अनाथालय में वे पले-बढ़े. जिया नौकरी वापस पाना चाहती है. यह हो नहीं पाता क्योंकि उसकी आंखों की रोशनी ही नहीं गई, बल्कि उसकी गलती की वजह से हादसा हुआ, जिसमें भाई मारा गया था. हादसे के जिया एक रात अनाथालय से लौटती है. जिस टैक्सी में वह बैठी है, उसे शक होता है कि उसमें कुछ गड़बड़ है. वह जानने की कोशिश करती है और इसमें ड्राइवर से उसका झगड़ा होता है. जिया गाड़ी से उतरकर भागती है और फिर उसे खबरों में पता चलता है कि जहां से वह लौटी है, उसी इलाके से एक युवती गायब है.


ये हैं कुछ सवाल
कहानी की इस शुरुआत के बाद पूरा मामला यह है कि नेत्रहीन जिया क्या उस ड्राइवर का पता लगा पाएगीॽ या फिर वह ड्राइवर उसके पीछे आएगाॽ जिया जब पूरी बात और गायब लड़की के सूत्र जोड़कर पुलिस को बताएगी तो क्या उसकी बात पर विश्वास किया जाएगाॽ वह ड्राइवर कौन हैॽ इलाके में लड़कियां गायब हो रही हैं तो क्या इसके पीछे एक ही व्यक्ति हैॽ जिया क्या मामले को यूं ही भुला देगी क्योंकि आज भी मन से तो वह है पुलिस ही! ब्लाइंड ऐसे प्रश्नों के उत्तर ढूंढने की कोशिश करती है और जवाब मिलते भी हैं. लेकिन इनके बीच का थ्रिल पुराना पड़ चुका है. 



साइको-थ्रिलर नहीं
कहानी में जिया को अपनी गाड़ी में बैठाने वाला ड्राइवर उसके पीछे लगा है. कहानी में कोई ऐसा सिरा नहीं, जो रहस्य से जुड़ा हो. ऐसे में जब यह फिल्म साइक्रोलॉजिक थ्रिलर होने की भी कोशिश करती है, तो हो नहीं पाती. किसी सूरत यह दर्शकों के दिमाग से नहीं खेल पाती. आप सब कुछ आंखों के आगे देख रहे होते हैं कि वह ड्राइवर कौन है. कैसे जिया का पीछा कर रहा है. जिया का मददगार पुलिसवाला कैसा है, कौन है. एक और गवाह जिया की बात को कैसे मजबूती देता है. कुछ भी रहस्य नहीं रहता. सिर्फ घटनाएं सामने चल रही होती है. अपराधी का भी सब कुछ आप जानते हैं. ऐसे में देखने वाले को कोई रोमांच कहानी से बांध नहीं पाता. इस बीच सबसे निशाराजनक बात तो यह है कि ये सब कुछ इंडिया में नहीं बल्कि स्कॉटलैंड में हो रहा है. जिया स्कॉटलैंड पुलिस के लिए काम करती है. मुद्दा यही कि फिर दर्शक का इससे कैसा कनेक्शनॽ


नहीं जुड़ते तार
फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म जियो सिनेमा पर रिलीज हुई है. सोनम कपूर का काम ठीक है. लेकिन उनके विदेशी पुलिस होने की वजह से उनसे कोई तार जुड़ नहीं पाता. पूरब कोहली नेगेटिव रोल में हैं और वह ठीक लगे हैं. विनय पाठक जरूर स्पार्क पैदा करते हैं, लेकिन वह कहानी में सहयोगी हैं. लीडर नहीं. कुल मिलाकर ब्लाइंड ऐसी फिल्म है, जिसकी तरफ आप आंखें मूंदे रह सकते हैं. हालांकि यह फ्री में ओटीटी पर उपलब्ध है. अगर आप सोनम कपूर के फैन हैं या फिर आपके पास बहुत ज्यादा ही खाली समय है, कुछ नए ढंग की चीज आप नहीं देखना चाहते तो इस पुराने फार्मूले को आजमा सकते हैं.


निर्देशकः शोम मखीजा
सितारे: सोनम कपूर, पूरब कोहली, विनय पाठक, लिलेट दुबे, शुभम सराफ
रेटिंग**