नई दिल्ली: 50 साल का हीरो और 26 साल की हीरोइन वाली कहानी हमारे लिए आज भी किसी अनोखी दुनिया की या हंसने वाली बात लगती है. शायद तभी हमारा सिनेमा भी इस उम्र के अंतर को आज तक गंभीरता से नहीं ले सका. 'दे दे प्यार दे' भी ऐसे ही चैलेंजिंग विषय बनी एक कॉमेडी फिल्म है. फिल्म का म्यूजिक दमदार है जो दर्शकों को काफी हद तक बांधने में सफल है. आइये जानते है अजय देवगन की फिल्म के बारे में कुछ ख़ास बातें...  


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फिल्म में अजय देवगन, तब्बू और रकुल प्रीत सिंह की तिकड़ी के बीच कई इमोशन, सिच्वेशनल कॉमेडी सीन्स को फिट करने की कोशिश की गई है. लेकिन इन तीनों के बीत जिस तरह की केमेस्ट्री डायरेक्टर आकिव अली दिखाना छह रहे हैं उसे देखकर पहले पल तो हंसी आती है लेकिन अगले ही पल फिल्म निराश भी करती है. कहना गलत नहीं होगा की हास्य और हास्यास्पद होने की बारीक रेखा फिल्म कब लांघ जाती है यह शायद मेकर्स को बनाते समय समझ नहीं आया.  



कहानी क्या है...
फिल्म की कहानी को लेकर बात की जाए तो यह काफी सिंपल है. फिल्म की शुरुआत लंदन में होती है. जहां 50 साल का आशीष (अजय देवगन) एक  बिजनेसमैन है जो अपने परिवार से अलग रहता है, जो एक दिन 26 साल एक आयशा (रकुल प्रीत सिंह) नाम लड़की से मिलता है. दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती हैं फिर प्यार हो जाता है. आशीष अपने प्यार आयशा को अपने परिवार से मिलवाने इंडिया आता है. जहां आशीष आयशा को अपनी पूर्व पत्नी मंजू (तब्बू), बेटा-बेटी और माता-पिता से मिलवाता है. आशीष के साथ आयशा को देख बेटी नाराज हो जाती है. इस पूरी कहानी के बीच मंजू, आशीष, आयशा के बीच कई गुदगुदाने वाले पल आते हैं. आशीष अपनी बेटी का रिश्ता जुड़वा देता है, लेकिन तब तक आयशा लंदन चली जाती है. इधर मंजू और आशीष के बीच सब ठीक होता नजर आता है लेकिन आशीष का दिल आयशा के साथ है. अंत में आशीष दिल की सुनता है. अब आशीष का दिल उसे क्या सलाह देता यह आपको सिनेमा हॉल में जाकर देखना होगा. 



अगर एक्टिंग के बारे में बात की जाए तो यहां महिलाओं ने बाजी मार ली है. रकुल प्रीत सिंह और तब्बू दिल जीतने में कामयाब रहती हैं. तब्बू ने भी अच्छी एक्टिंग की है, लेकिन अजय देवगन अपने फैंस को थोड़ा निराश करते हैं. उनकी एक्टिंग बहुत ही एवरेज रही है. उनका अंदाज यहां थोड़ा मिसफिट है. 


अंत में कहा जाये तो 'दे दे प्यार दे' का डायरेक्शन भी बेहद कमजोर है. कहानी एक गंभीर विषय पर होते हुए डायरेक्शन इसका माखौल उड़ाता नजर आता है. फिल्म का संगीत मजेदार है. लेकिन फिल्म में यूथ को कनेक्ट मिसिंग फेक्टर की तरह नजर आता है. 


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