नई दिल्लीः बॉलीवुड की बेहद खूबसूरत अदाकारा मधुबाला को कौन भुला सकता है. 19वीं सदी हो या 21वीं सदी मधुबाला की मनमोहक मुस्कान और एक्टिंग के आज भी सभी कायल हैं. 14 फरवरी यानि की वैलेंटाइन्स डे के दिन जन्मी मधुबाला को मर्लिन मुनरो कहा जाता है. मधुबाला को याद करते हुए आज गूगल ने अपना डूडल बनाया है, जिसमें मधुबाला की कलर फोटो लगाई गई है. यह फोटो मधुबाला की हिट फिल्म मुगल-ए-आजम से ली गई है. 


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20 सालों का फिल्मी सफर...
वर्ष 1933 में जन्मी मधुबाला में 1942 से लेकर 1962 तक काम किया. उन्हें अक्सर हिंदी सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित महिला सेलिब्रिटी के रूप में माना जाता है. वह 'महल' (1949), 'अमर' (1954), 'मिस्टर एंड मिसेज 55' (1955), 'चलती का नाम गाड़ी' (1958), 'मुगल-ए-आजम' (1960) और 'बरसात की रात' (1960) जैसी फिल्मों में अपने जलवे बिखेर चुकी हैं.



कोई भी शख्स जब बॉलीवुड की अदाकाराओं को देखता है तो उनकी एक्टिंग, डांस स्टेप और खूबसूरती का दीवाना हो जाता है, लेकिन संघर्ष की कहानी को शायद ही कोई जानना चाहता है. उस जमाने में एक बेटी का फर्ज निभाते हुए मधुबाला ने अपने पिता की आर्थित मदद करने के लिए छोटी सी उम्र में काम करना शुरू कर दिया था. छोटी उम्र में काम करने से बेशक मधुबाला का फिल्मों में सफलता मिली हो, लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ में हमेशा ही कांटे रहे हैं. 


अनारकली से ट्रेजडी क्वीन
जीवन में लगातार परेशानियों का सामना करने वाली मधुबाला को ट्रेजडी क्वीन भी कहा जाता है. उन्होंने एक्टर किशोर कुमार से शादी की. मधुबाला को लगता था कि एक बार शादी होने के बाद परिस्थितियां सुधर जाएंगी और अंतर्विरोध दूर हो जाएंगे लेकिन दिलीप अपने भविष्य को किसी ऐसे दूसरे व्यक्ति के हाथ में नहीं सौंपना चाहते थे जो उनके करियर से जुड़े फैसले ले और उनके लिए रणनीति बनाए.


किशोर कुमार ने धर्म बदलकर की थी शादी
शादी से पहले किशोर कुमार ने इस्लाम धर्म कबूल किया और नाम बदलकर करीम अब्दुल हो गए. उसी समय मधुबाला एक भयानक रोग से पीड़ित हो गई. शादी के बाद रोग के इलाज के लिए दोनों लंदन चले गए. लंदन के डॉक्टर ने मधुबाला को देखते ही कह दिया कि वह दो साल से ज्यादा जीवित नहीं रह सकतीं.


दिलीप से रिश्तों में बनी दूरी...
दिलीप कुमार को महसूस हो रहा था कि वे एक ऐसे रिश्ते में बंधते जा रहे हैं जो कि उनके लिए हितकारी नहीं होगा. इसलिए उन्होंने शादी का विचार त्याग दिया और दोनों को दुबारा सोचने का अवसर देने का मन बनाया. दिलीप कुमार कहते हैं कि उन्होंने मधु और उनके पिता से इस विषय में कई मर्तबा साफ दिली से बात की लेकिन वास्तव में वे उनकी दुविधा को समझने के लिए तैयार ही नहीं थे जिससे संभावनाएं बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होती जा रही थीं और अंतत: उनके रिश्ते का एक दुखद अंत हुआ.


तकलीफ में गुजरे जीवन के आखिरी दिन
मधुबाला के जीवन के आखिरी कुछ साल बहुत तकलीफ में गुजरे. उनके दिल में छेद था, जिसके चलते वह पूरी तरह से बैड पर आ गई थी. काफी इलाज के बाद भी मधुबाला सही नहीं हो पाई और 23 फरवरी 1969 में अपने जन्मदिन के कुछ दिनों बात उनका निधन हो गया.