नई दिल्ली: 'शोले' एक ऐसी फिल्म है जिसका हर किरदार अपने आप में कंप्लीट नजर आता है. आज सालों बाद भी इस फिल्म का हर डायलॉग लोगों को जुबानी याद है. इस फिल्म में पट-पट बोलने वाली बसंती तो आपको भी याद होगी. अब फिल्म की रिलीज के 43 साल बाद इस किरदार को निभाने वाली एक्ट्रेस हेमा मालिनी ने बसंती के बारे में कई बातें कहीं.


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महिला सशक्तीकरण का प्रतीक है बसंती
बॉलीवुड की ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में बात करते हुए बताया कि 'शोले' फिल्म में उनका निभाया किरदार 'बसंती' 43 साल बाद भी महिला सशक्तीकरण का प्रतीक बना हुआ है. हेमा मालिनी ने कहा, 'बसंती भारतीय फिल्मों की पहली ऐसी महिला है जो तांगा चलाती है. इसलिए वह आज के समय में भी महिलाओं के सशक्तीकरण का और बुलंदी का प्रतीक बनी हुई है.'



बीजेपी की लोकसभा सांसद हेमा ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, 'मैं जब भी किसी जगह प्रचार के लिए जाती हूं, तो मैं वहां आने वाली कामकाजी महिलाओं को जरूर बताती हूं कि उनका योगदान अपने परिवार और समाज के लिए 'बसंती तांगेवाली' से कम नहीं है. महिलाएं कठोर परिश्रम करती हैं और आदिवासी मेहनत करते हैं. उन्हें नमन है.'


नेगेटिव कैरेक्टर पर बोली हेमा 
जब यहां हेमा से उनके नेगेटिव किरदार वाली फिल्म 'लाल पत्थर' के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि एफसी मेहरा की यह फिल्म उनके करियर की सबसे बेहतरीनफिल्मों में से एक है. हेमा ने बताया कि इस मूवी में मुख्य भूमिका निभा रहे एक्टर राजकुमार ने सलाह दी थी नेगेटिव किरदार करने की और उन्हीं के कहने पर हेमा ने इस फिल्म में नेगेटिव रोल का चैलेंज लिया था. इतना नहीं बिलकुल ऐसे ही किशोर कुमार की सलाह पर हेमा मालिनी ने बांग्ला भाषा में दो गाने भी गाए हैं.



लोगों को सिर्फ बसंती याद है 
हेमा मालिनी से अपने फैंस से जब भी वह मिलती हैं तो लोगों को उनके टाइटल नेम 'ड्रीमगर्ल' वाले किरदार से ज्यादा 'बसंती' ही याद रहता है. हेमा का कहना है कि उनके डांस कॉन्सर्ट में आने वाले दर्शकों को उनके आइटम सॉन्ग याद रहते हैं लेकिन बाकी सभी लोगों को सिर्फ 'बसंती' याद रहती है. 



इस कार्यक्रम में बात करते हुए हेमा मालनी यह भी कहा कि उन्हें सत्यजीत रे जैसे महान फिल्मकार के साथ काम न कर पाने का अफसोस है. अगर उन्हें मौका मिलता तो वह जरूर उनके साथ काम करतीं.  


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