जब कैंसर का पता चलते ही दोस्तों और परिवार ने छोड़ दिया था मनीषा कोइराला का साथ, एक्ट्रेस बोलीं- `मैं बहुत अकेली...`
Manisha Koirala: मनीषा कोइराला इस समय संजय लीला भंसाली की पहली वेब सीरीज `हीरामंडी` में नजर आ रही हैं. हाल ही में एक्ट्रेस ने खुलासा किया कि कैसे जब उनके कैंसर का पता चला तब उनके दोस्तों और परिवार के साथ उनके रिश्ते बदल गए थे. उन्होंने बताया वो उस समय अकेली पड़ गई थीं.
Manisha Koirala Oh Her Cancer: दशकों तक बॉलीवुड पर राज करने वाली खूबसूरत मनीषा कोइराला इस समय फिल्म निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली की पहली वेब सीरीज 'हीरामंडी' में नजर आ रही हैं, जिसमें वो मल्लिका जान के किरदार में नजर आ रही हैं. इतना ही नहीं, इस सीरीज के साथ-साथ उनके किरदार को भी बेहद पसंद किया जा रहा है. इसी बीच एक्ट्रेस ने अपने हालिया इंटरव्यू में खुलासा किया कि कैसे जब उनके कैंसर का पता चलने के बाद वो अकेली पड़ गई थीं.
मनीषा ने बताया जब उनके कैंसर के बारे में पता चलते ही उनके दोस्तों और परिवार के साथ छोड़ दिया था और वो अकेली पड़ गईं. मनीषा ने बताया कि उनके कैंसर डायग्नोसिस से कई अहसास हुए. एक इंटरव्यू में मनीषा ने बताया कि जिन लोगों को वो अपना करीबी दोस्त मानती थीं. उन्होंने बीमारी का पता चलते हैं उनसे मुंह मोड़ लिया था और उस मुश्किल समय में केवल उनके परिवार के कुछ गिने चुने लोगों ने ही उनके साथ दिया था.
कैंसर से मिला सीखने वाला अनुभव
इतना ही नहीं, एक्ट्रेस ने ये भी खुलासा किया कि जब वे कैंसर से जूझ रही थीं, तब उनके विस्तृत परिवार ने भी, जो उनसे मिलने आ सकते हैं और उनका खर्च उठा सकते थे, ऐसा नहीं किया. मनीषा ने कहा कि निदान के बाद उन्होंने थेरेपी ली और इससे उन्हें काफी मदद मिली. जब उनसे पूछा गया कि इस अनुभव ने उनके परिवार और दोस्तों के साथ उनके रिश्ते को कैसे बदल दिया? इसके जवाब में मनीषा ने एनडीटीवी को बताया, 'ये एक सफर की तरह रहा. ये एक सीखने वाला अनुभव भी रहा है'.
केवल कुछ लोगों ने दिया साथ
एक्ट्रेस ने आगे बताया, 'मुझे सच में विश्वास था कि मेरे कई दोस्त हैं. मैंने सोचा कि एक साथ पार्टी करना, एक साथ सफर करना, एक साथ मौज-मस्ती करना, लोग मेरे दर्द में मेरे साथ बैठेंगे. लेकिन ऐसा नहीं था. लोग अपना दर्द तो दूर, किसी ओर के दर्द लेकर भी नहीं बैठ पाते. हम हमेशा दर्द महसूस न करने के बहाने ढूंढने की कोशिश करते हैं. हम दर्द से बचना चाहते हैं. वे ह्यूमन नेचर है. मैंने खुद को बहुत अकेला पाया और मुझे एहसास हुआ कि केवल मेरा करीबी परिवार ही मेरे आसपास था'.