Jayalalithaa: तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और फिल्म जगत की मशहूर हस्ती जयललिता का जीवन कई उपलब्धियों के साथ-साथ बेहद कठिनाइयों भरा भी रहा है. जयललिता ने सिर्फ फिल्मी दुनिया में ही नाम नहीं बनाया, बल्कि राजनीति में भी अपनी धाक दिखाई है. जयललिता ने बहुत ही छोटी-सी उम्र में अपने पिता को खो दिया था, जिसके बाद उनका जीवन काफी मुश्किल हो गया था. 15 साल की उम्र में फिल्मी दुनिया में कदम रखने के साथ वह राजनीति के उस शिखर पर पहुंचीं, जहां उन्होंने अपना अलग ही मुकाम बना लिया. छह बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनकर उन्होंने इतिहास रचा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

महज 2 साल की उम्र जयललिता के सिर से पिता का साया चला गया था. 15 साल की उम्र में उन्हें फिल्मी दुनिया में धकेल दिया गया, जहां उन्होंने शुरुआत में इंग्लिश फिल्मों में काम किया. इसके बाद उन्होंने कन्नड़ फिल्मों में अपना लोहा मनवाया और जल्द ही तमिल सिनेमा में अपना परचम लहरा दिया. जयललिता ने बॉलीवुड में धर्मेंद्र के साथ भी काम किया. जयललिता तमिल सिनेमा की पहली एक्ट्रेस थीं, जिन्होंने स्कर्ट पहनकर अभिनय किया. जयललिता ने 140 से ज्यादा तमिल, तेलुगू और कन्नड़ फिल्मों में काम किया.


जब अनजान बच्ची की जान बचाने के लिए सलमान खान ने लिया ये प्रण, बन गए भारत के पहले बोन मैरो डोनर


जयललिता के बिना अधूरी लगती थीं एमजीआर की फिल्में 
तमिल सिनेमा में जयललिता लगातार फेमस हो रही थीं और इसी दौरान उनकी मुलाकात एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) से हुई, जो उस समय के सुपरस्टार थे. देखा जाए तो 1965 से 1972 तक जयललिता ने अधिकतर फिल्में एमजीआर के साथ ही कीं. इनकी जोड़ी को दर्शकों का खूब प्यार मिला और एमजीआर की फिल्में जयललिता के बिना अधूरी सी लगती थीं. जयललिता ने अपना पूरा जीवन अविवाहित बिताया, लेकिन एमजीआर के साथ उनके रिश्तों को लेकर हमेशा चर्चाएं होती रहीं. हालांकि, दोनों ने कभी भी खुलकर अपने रिश्ते को स्वीकार नहीं किया, लेकिन उनके रिश्ते को लेकर अटकलें हमेशा लगती रहीं. बाद में वह एमजीआर की राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बनीं.


शानदार वक्ता थीं जयललिता
फिल्मी दुनिया में सफलता के शिखर पर पहुंचने के बाद एमजीआर ने राजनीति में एंट्री ली और इसके बाद लगभग 10 सालों तक एमजीआर और जयललिता के बीच कोई संपर्क नहीं रहा. हालांकि, 1982 में एमजीआर ने ही उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया. वहीं, जयललिता ने इस बात को कभी स्वीकार नहीं किया. कहा जाता है कि जब एमजीआर का राजनीतिक संघर्ष करुणानिधि से हुआ तो वह चिंतित हो गए थे. ऐसे में उन्होंने जयललिता को आगे कर दिया, जिनसे करुणानिधि मुकाबला नहीं कर सके. दरअसल, जयललिता एक शानदार वक्ता थीं. वह पूरा भाषण रटकर उसे डायलॉग की तरह बोल देती थीं. 1984 के दौर में जब एमजीआर की तबीयत बहुत खराब थी, उस वक्त जयललिता ने पूरी तरह से राजनीति में प्रवेश किया. 1987 में एमजीआर के निधन के बाद जयललिता ने चुनावी मैदान में कदम रखा. उनके इस कदम से अन्नाद्रमुक दो गुटों में बंट गई. एक गुट का नेतृत्व एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन ने संभाला, जबकि दूसरे गुट की कमान जयललिता के हाथों में आ गई. इस राजनीतिक संघर्ष में जयललिता ने जानकी को पछाड़ दिया. अभिनय की तरह जयललिता ने राजनीति में भी अपना लोहा मनवाया और छह बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं. 



विधानसभा में जब खींची गई जयललिता की साड़ी
राजनीति के मैदान में जयललिता को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. एक बार विधानसभा में उनकी साड़ी तक खींची गई. इस घटना के पीछे करुणानिधि का हाथ बताया गया था. कहा जाता है कि जयललिता ने इस घटना की तुलना द्रौपदी के चीरहरण से की थी. साथ ही उन्होंने कसम खाई थी कि वह मुख्यमंत्री बनकर ही विधानसभा में कदम रखेंगी. इसके बाद जयललिता और करुणानिधि एक-दूसरे के कट्टर विरोधी हो गए.


'अम्मा' के नाम से हैं मशहूर
तमिलनाडु में जयललिता की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके नाम को ही लोगों ने ब्रांड बना लिया. उन्होंने गरीबों के लिए 'अम्मा कैंटीन' की शुरुआत की थी, जहां बहुत ही कम दामों पर भोजन मिलता था. इसके बाद 'अम्मा मिनरल वाटर', 'अम्मा सब्जी की दुकान', 'अम्मा फार्मेसी' और 'अम्मा सीमेंट' भी बाजार में आ गए.


शम्मी कपूर पर था जयललिता का क्रश
जयललिता ने सिम्मी ग्रेवाल के साथ इंटरव्यू में अपनी निजी जिंदगी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें शेयर की हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें किन दो लोगों पर क्रश था. जयललिता ने बताया कि उन्हें शम्मी कपूर पर बहुत क्रश था. वो उनकी तस्वीरें अपने पर्स में रखती थीं. उन्होंने कहा था, "पहले थे शम्मी कपूर. मैं उनकी तस्वीरें कलेक्ट कर पर्स में रखा करती थी." हालांकि, उन्होंने बताया कि उनकी मुलाकात कभी शम्मी कपूर से मुलाकात नहीं हो पाई. उन्होंने बताया था कि उन्हें शम्मी कपूर की फिल्म 'जंगली' बहुत पसंद है और कई बार देख चुकी हूं.


करण जौहर को लंदन की सड़कों पर फैन ने बोला 'अंकल', नाराज हो गए फिल्ममेकर; Video


इस क्रिकेटर को देखने के लिए टेस्ट मैच देखने जाती थीं जयललिता
क्रिकेटर नारी कांट्रेक्टर भी जयललिता के क्रश थे. वो सिर्फ उन्हें देखने के लिए टेस्ट मैच देखने जाती थीं. उन्होंने बताया था, "दूसरे शख्स थे क्रिकेटर नारी कांट्रेक्टर मैं सिर्फ और सिर्फ उनकी एक झलक पाने के लिए टेस्ट मैच देखने जाया करती थी. उनकी भी तस्वीरें कलेक्ट किया करती थी."



मौत के बाद क्यों दफनाया गया था? 
'अम्मा' के नाम से मशहूर जयललिता का 5 दिसंबर 2016 को निधन हुआ था. हिंदू धर्म से ताल्लुक रखने के बावजूद जयललिता को जलाया नहीं गया, बल्कि दफनाया गया. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया था, क्योंकि जयललिता द्रविड़ आंदोलन से जुड़ी हुई थीं. द्रविड़ आंदोलन से जुड़े लोग हिंदू रीति-रिवाजों को नहीं मानते.