Panchayat 3 Fame Vishal Yadav: 'द वायरल फीवर' (TVF) ने अपने दर्शकों को कई हिट और मजेदार वेब सीरीज की सौगात दी है, जिनमें से एक 'पंचायत' भी है, जिसकी शुरुआत साल 2020 में हुई थी. वहीं, इस समय सीरीज अपने तीसरे सीजन से दर्शकों के बीच तहलका मचा रही है. सीरीज के सभी किरदारों को फैंस का बेहद प्यार मिलता है. उन्हीं किरदारों में से एक 'जगमोहन' भी है, जिसकी दादी उनके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक घर बनवाना चाहती है.


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'पंचायत' में 'जगमोहन' का किरदार विशाल यादव निभा रहे हैं, जिन्होंने अपनी दमदार अदाकारी से फैंस के बीच अपने लिए एक अलग जगह बना ली है. विशाल यादव इन दिनों अपने इंटरव्यू के लेकर हर तरफ छाए हुए हैं, जिसमें उन्होंने अपनी पर्सनल लाइफ से लेकर प्रोफेशनल लाइफ के बारे में खुल कर बात की. विशाल बिहार के आरा के रहने वाले हैं. उनके परिवार में उनके माता-पिता के अलावा दो बहनें और एक भाई भी है. विशाल दिल्ली में थिएटर भी कर चुके हैं. 



'बेस्ट ऑफ लक' बन गया था पनौती!


इसके बाद उन्होंने मुंबई अपने कदम जमाने शुरु कर दिए. हाल ही में दी लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में 'पंचायत' के 'जगमोहन' विशाल यादव की जिंदगी की कहानी बताते आंखें नम हो गईं. उन्होंने अपने संघर्ष के बारे में बताया और बताया जब उन्हें आयुष्मान खुराना की फिल्म 'ड्रीम गर्ल 2' में एक बहुत छोटी भूमिका मिली थी. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि 'बेस्ट ऑफ लक' उनके लिए पनौती बन गई थी. उन्होंने बताया कि एक वक्त ऐसा था जब उनको 'बेस्ट ऑफ लक' से कोई फर्क नहीं पड़ता था, लेकिन फिर ऐसा समय भी आया, जब उनको इस शब्द से नफरत हो गई.  


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'बेस्ट ऑफ लक' शब्द ले लगने लगा था डर


विशाल यादव ने बताया, 'जब भी कोई 'बेस्ट ऑफ लक' बोलता था तो ऐसा लगता था कि ये काम भी गया हाथ से... तो उस शब्द से चिढ़ होने लगी थी. इतना ही नहीं, इस शब्द से इतना डर लगने लगा था कि कहीं कास्टिंग डायरेक्टर भी ये शब्द 'बेस्ट ऑफ लक' मैसेज में लिखकर न दे भेज दे तो इसलिए धक-धक होने लगता था. डर लगता था, क्योंकि उस समय मुझे छोटे-छोटे रोल मिल रहे थे कहीं फाइनल नहीं हो पा रहा था, क्योंकि जहां ऑडिशन देता था तो वो सिनेमा ने कमर्शियल के हिसाब से होता था. 'ड्रीम गर्ल 2' में मैंने दूसरे किरदार के लिए ऑडिशन दिया था, लेकिन रोल एक दिन का दिया गया'.    



बस छोटे-छोटे मिल रहे थे रोल


विशाल यादव ने बताया, 'मैं ऑडिशन देता था और ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ता था जब डायरेक्टर या कास्टिंग डायरेक्टर को ये मौका न मिले कि वो न कर दें. उनको मेरा अभिनय अच्छा लगता था और वो छोटे-छोटे रोल दिया करते थे. उसके बाद मैं एक फ्लिपकार्ट का एड भी किया, लेकिन जो मैं करना चाहता था वहां फाइनल नहीं हो पा रहा था. उसको लेकर दुख होता था कि समय जा रहा है, लेकिन कुछ हो नहीं पा रहा है. लेकिन अचानक पंचायत की कास्टिंग हो रही थी. फिर मां बीमार पड़ गई और मुझे घर जाना पड़ा, लेकिन मेरी बहन ने हिम्मत बांधी और मैं वापस मुंबई आ गया जहां मुझे 15 दिन में 'पंचायत' सीरीज में रोल मिल गया.