R Balki At National Museum of Indian Cinema: मुंबई में नेशनल म्यूजियम ऑफ इंडियन सिनेमा (NMIC) की पांचवीं वर्षगांठ के मौके पर बॉलीवुड के जाने-माने निर्देशक आर बाल्की ने भी शिकरत की. जहां उन्होंने हिंदी सिनेमा पर खुलकर बात की और साथ ही उन लोगों पर भी निशाना साधा जो फिल्मों के कंटेंट पर सवाल उठाते हैं. बातचीत के दौरान 'घूमर' और 'चीनी कम' जैसी फिल्मों का निर्देशन करने वाले डायरेक्टर आर बाल्की ने कहा, 'मैं अपनी फिल्मों से दुनिया को बदलने के लिए यहां नहीं हूं'. 


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फिल्म निर्देशक ने अपनी बात रखते हुए कहा, 'मीनिंगफुल मैसेज जैसे शब्द मुझे डराते हैं, तो जो लोग इस शब्द को ध्यान में रखकर फिल्में देखते हैं तो उनको मेडिटेशन ऐप का इस्तेमाल करना चाहिए'. आर बाल्की ने कहा, 'अगर आप जीवन में अर्थ तलाशना करते हैं या करना चाहते हैं, तो मेडिटेशन ऐप पर जा सकते हैं. फिल्म क्यों देखें? आपको इसको लेकर लिए स्पष्ट होना होगा कि आपकी  एम्बिशन क्या है और ये फिल्मों में पूरी नहीं हो सकती'. 



हिंदी सिनेमा में अपने अनुभव पर की बात 


उन्होंने आगे कहा, 'सिनेमा में मेरे आइडिया एडवरटाइजिंग में मेरे आइडियाज की तुलना में कहीं ज्यादा यूजलेस रहे हैं. हमेशा सोचते हैं कि सिनेमा गंभीर है, तो क्यों न एक यूजलेस आइडिया से शुरुआत की जाए'. इसके अलावा उन्होंने अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए कहा, 'मुझे नहीं लगता कि सेट पर जाने और कई फिल्म निर्माताओं के साथ काम करने से बेहतर कोई फिल्म स्कूल है. आप जीवन के बारे में सीखते हैं. मैं भाग्यशाली था कि मैं ये अनुभव पा सका. इसलिए मुझे फिल्म स्कूल करने की कभी कोई जरूरत महसूस नहीं हुई'. 



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जाने-माने डायरेक्टर हैं आर बाल्की


उन्होंने आगे बात करते हुए कहा, 'ऐसा नहीं है कि मैंने ये बिना कुछ जाने किया और मुझे इसका ज्ञान प्राप्त हुआ. अगर आप किसी फिल्म स्कूल में जा सकते हैं, तो शायद आप चीजें मेरी तुलना में तेजी से सीख सकते हैं, लेकिन जो आप नहीं सीख सकते, वो है स्क्रिप्टिंग की कला. किसी स्क्रिप्टिंग स्कूल में जाने से स्क्रिप्टिंग नहीं होती है क्योंकि ऐसे सैकड़ों तरीके हैं जिनसे आप कहानी कम्यूनिकेटेड कर सकते हैं'. बता दें, आर बाल्की इंडस्ट्री के जाने-माने डायरेक्टर में से एक हैं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा और दर्शकों को दर्जनों हिट और अच्छी फिल्में दी हैं.