R D Burman Life Story: अगर हिंदी सिनेमा में म्यूजिक की बात होगी तो आर डी बर्मन का नाम जरूर लिया जाएगा. एक से बढ़कर जोशीले गाने देने वाले आर डी बर्मन (R D Burman) को पंचम दा (Pancham Da) भी कहा जाता था..लेकिन क्यों...जरूर इसके पीछे कोई खास वजह रही ही होगी. वहीं उस सीक्रेट लॉकर का क्या जिसके बारे में सभी को तब पता चला जब वो दुनिया से रुखसत हो गए. आज भी पांच रूपए वाले उस लॉकर का राज, राज ही बना है. चलिए बताते हैं आपको कुछ दिलचस्प बातें.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्यों कहलाए पंचम दा
आर डी बर्मन को इंडस्ट्री में पंचम दा के नाम से ही जाना जाता है. हर कोई उन्हें बर्मन से ज्यादा इसी नाम से पुकारता है लेकिन उन्हें ये पहचान आखिर मिली तो मिला कैसे. इससे जुड़ा किस्सा भी बेहद दिलचस्प है. दरअसल, उन्हें ये नाम दिया था अशोक कुमार ने जो एक बार एस डी बर्मन के घर पहुंचे थे. उस वक्त आर डी बर्मन रियाज करते हुए प का बार-बार इस्तेमाल करते थे ये देखकर अशोक कुमार ने उन्हें पंचम कहना शुरू कर दिया. हिंदुस्तानी संगीत में पांचवे स्केल को भी पंचम ही कहा जाता है. यहीं से उनका नाम पंचम और बाद में पंचम दा पड़ गया. इसके अलावा कहा जाता है कि जब वो बचपन में रोते थे तो पांच अलग अलग सुर निकलते थे. 


आज भी कायम है वो सीक्रेट लॉकर का रहस्य
आर डी बर्मन ने अपनी जिंदगी में यूं तो काफी उतार चढ़ाव देखे. उन्होंने पहले एक फैन से शादी की थी लेकिन कुछ सालों के बाद ये रिश्ता टूट गया. इसका वो आशा भोसले के नजदीक आए जो पहले से तीन बच्चों की मां थीं. पंचम दा की मां इस रिश्ते की खिलाफ थीं लिहाजा दोनों ने पहले शादी से दूरी बना ली लेकिन जब उनकी मां की तबीयत बिगड़ी और बिगड़ती ही चली गई तो उन्होंने आशा भोसले से शादी कर ली. 



वहीं उनकी जिंदगी का एक हिस्सा ऐसा भी रहा जिसके बारे में कोई नहीं जानता और ये राज पंचम दा के साथ ही चला गया. दरअसल, उनके निधन के बाद ये जानकारी मिली थी कि आर जी बर्मन का एक बैंक में लॉकर था जिसके लिए वो हजारों रूपए किराया दिया करते थे. लेकिन इस लॉकर की जानकारी तब किसी को नहीं थी. हैरानी की बात ये कि इस लॉकर का नॉमिनी पंचम दा ने अपनी मौत के बाद अपने सेक्रेटरी को बनाया था. जब आशा भोसले को इसके बारे में पता चला तो उन्हें लगा था कि इसमें प्रॉपर्टी के कागजात, खानदारी जेवरात होंगे. उस वक्त इस केस को मीडिया भी फॉलो कर रहा था. कहा जाता है कि जब लॉकर को आशा भोसले, बैंक मैनेजर, सेक्रेटरी और पुलिस की मौजूदगी में खोला गया तो उसमें सिर्फ 5 रूपए का नोट रखा मिला थे. 3 मई, 1994 को ये लॉकर खुला था जिसे देख हर की दंग था कि भला इस नोट के लिए पंचम दा हजारों रूपए किराया क्यों दे रहे थे. लेकिन ये नोट क्यों खास था, किसने उन्हें दिया था, ये राज कोई जान ही नहीं पाया. ये राज आर डी बर्मन के साथ ही चला गया.