नई दिल्ली: देश की जानी मानी एक्टिविस्ट, लेखिका, स्तंभकार, फिल्म निर्माता सादिया देहलवी (Sadia Dehlvi) का 5 अगस्त, 2020 को मेटास्टेटिक स्तन कैंसर (metastatic breast cancer) के साथ दो साल की लंबी जंग के बाद निधन हो गया. देहलवी को हाल ही में दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसका इलाज चल रहा था. सादिया के निधन के बाद से ही कई लोग सोशल मीडिया पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.


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सादिया देहलवी का जन्म 1957, दिल्ली में हुआ था. दिल से वह एक सूफी महिला थीं, उन्होंने आए दिन अपनीर कविताओं और आर्टिकल्स में इस्लाम की कट्टरपंथी व्याख्याओं की आलोचना की थी. सूफीवाद पर उनकी पहली पुस्तक 'सूफीज्म: द हार्ट ऑफ इस्लाम' 2009 में हार्पर कॉलिंस इंडिया द्वारा प्रकाशित हुई थी जिसने उन्हें सुर्खियों में ला दिया था. उनकी अन्य लोकप्रिय पुस्तकों में 'द सूफी कोर्टयार्ड: दिल्ली की दरगाह' (2012) और 'जैस्मीन एंड जिन्स: यादें और व्यंजनों की मेरी दिल्ली' (2017) शामिल हैं. दिल्ली की संस्कृति और सूफीवाद के एक महत्वपूर्ण क्रॉसर, देहलवी ने अल्पसंख्यकों, महिलाओं, इस्लामिक आध्यात्मिकता और चार दशक के करियर में दिल्ली की समृद्ध विरासत जैसे मुद्दों पर लिखा. वह एक फिल्म निर्माता भी थीं और उनके कामों में 'द सूफी कोर्टयार्ड', 'अम्मा एंड फैमिली' और खुशवंत सिंह के साथ 'नॉट ए नाइस मैन टू नो' शामिल थीं.



 



 



दिवंगत लेखक खुशवंत सिंह और सादिया काफी अच्छे दोस्त थे. यह दोस्ती इतनी गहरी थी कि खुशवंत सिंह ने अक्सर अपने कामों में उनका उल्लेख किया- जैसे पुस्तक 'नॉट ए नाइस मैन टू नो' को देहलवी को समर्पित करना या उनके बारे में उनकी पुस्तक 'मेन एंड वीमेन इन माय लाइफ' लिखना है.


देहलवी ने हाल ही में 16 जून, 2020 को अपना 63वां जन्मदिन मनाया था. देहलवी की असामयिक मृत्यु की खबर पर उनके दोस्तों, पाठकों और फॉलोअर्स ने सोशल मीडिया पर अपना दुख व्यक्त किया. 


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