National Award Controversy: यूं तो सैफ अली खान और शाहरुख खान अच्छे दोस्त हैं. दोनों ने कई बढ़िया फिल्मों में साथ काम किया, लेकिन साल 2005 में दोनों एक मैदान में आमने-सामने खड़े थे. असल में उस साल नेशनल अवार्ड के लिए दोनों की फिल्में दावेदार थीं और तब सैफ अली खान को फिल्म हम तुम के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड मिला था. परंतु तब हर तरफ इस बात के लिए सैफ की आलोचना हुई कि वह इस अवार्ड के लायक नहीं थे और उनकी मम्मी शर्मीला टैगोर की वजह से उन्हें पुरस्कार मिला. इस पर काफी विवाद हुआ. उस साल शाहरुख भी फिल्म स्वदेस के लिए बड़े दावेदार थे. परंतु रेस में वह सैफ से पिछड़ गए.


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कंट्रोवर्सी का बाउंसर
सैफ के नाम पर विवाद के बीच 17 सदस्यीय जूरी का नेतृत्व करने वाले सुधीर मिश्रा ने तब दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बाउंसर का मुकाबला किया था. उन्होंने कहा था कि हम अपने फैसले का बचाव करने के लिए तैयार हैं. सैफ का अभिनय बेहतर है और उसमें काफी सुधार हुआ है. वहीं जूरी की अन्य सदस्य, गायिका प्रीति सागर ने कहा था कि यह तो लोग मां-बेटे का मुद्दा उठा उठा रहे हैं. जूरी ने तो इसके बारे में बिल्कुल नहीं सोचा. उन्होंने कहा कि सैफ ने फिल्म में बहुत अच्छा काम किया और जरूरी नहीं कि हर बार भारी-भरकम परफॉर्मेंस के लिए अवॉर्ड दिया जाए. हमने इस बार अलग फैसला करने की कोशिश की. उल्लेखनीय है कि जब सैफ को इस अवार्ड के लिए चुना गया, उनकी शर्मीला टैगोर सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष थीं. वह 2004 में अध्यक्ष बनी थीं और 2011 तक इस पद पर रहीं.


पहुंचे लंदन से दिल्ली
सैफ हम तुम में कॉमिक रोल में थे. सैफ को इस पुरस्कार दिए जाने की आलोचना करने वालों का कहना था कि हम तुम में उनका अभिनय उनके पिछले काम से बेहतर है, लेकिन पुरस्कार के लायक नहीं है. इस विवाद से कुछ नहीं हुआ और सैफ अली खान पुरस्कार लेने के लिए आखिरी मौके पर लंदन से दिल्ली पहुंचे थे. कई बार यह विवाद उठा है और एक बार तो लोगों ने सोशल मीडिया में मुहिम भी छेड़ी कि सैफ को अपना अवार्ड लौटा देना चाहिए. परंतु सैफ ने साफ कहा कि पुरस्कार का भाई-भतीजावाद से कोई संबंध नहीं है और वह पुरस्कार नहीं लौटाएंगे.