नई दिल्ली: रविवार (25 फरवरी) का दिन हिंदी सिनेमा के लिए किसी काले दिन की तरह शुरू हुआ. बॉलीवुड की पहली फीमेल सुपरस्टार कहलाने वाली एक्ट्रेस श्रीदेवी का 54 साल की उम्र में निधन हो गया. 1963 में जन्मीं श्रीदेवी ने वर्ष 1967 में  एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी. श्रीदेवी को 2013 में चौथे उच्चतम नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. लेकिन तमिल भाषा बोलने वाली श्रीदेवी के लिए सफलता के ये ऊंचे मकाम छूना इतना आसान भी नहीं था.


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सालों तक नाज़ बानी थी श्रीदेवी की आवाज
श्रीदेवी का असली नाम श्री अम्मा यंगर अय्यपन था और उनकी मातृभाषा तमिल थी. ऐसे में हिंदी फिल्मों में अदाकारी उनके लिए इतनी आसान नहीं थी. ये बहुत कम ही लोग जानते हैं कि अपनी अदायगी से दीवाना बनाने वाली श्रीदेवी की आवाज उनकी कई फिल्मों में उन्होंने नहीं, बल्कि एक्ट्रेस नाज़ ने दी थी. यहां तक कि 1986 में आई फ़िल्म 'आखिरी रास्ता' उनकी आवाज की डब्बिंग रेखा ने की थी. ऋषि कपूर के साथ आई उनकी फिल्म 'चांदनी' वह पहली फ़िल्म थी, जिसके लिए श्रीदेवी ने अपनी आवाज दी थी.



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103 बुखार में किया था 'चालबाज़' का ये गाना
श्रीदेवी अपनी फिल्मों में सफलता का दूसरा नाम हो गईं थीं और इसके पीछे उनकी मेहनत ही थी. यही वजह है कि फ़िल्म में अपने पहले सीन से आखिरी सीन तक दर्शकों की तालियां उन्हें मिलती रहीं. 1989 में आई फ़िल्म 'चालबाज़' में जब श्रीदेवी को एक गाने की शूटिंग करनी थी, तब उन्हें तेज़ बुखार था. लेकिन श्रीदेवी पीछे नहीं हुईं और 103 बुखार में उन्होंने बारिश में भीगते हुए 'न जाने कहाँ से आई है' गाने की शूटिंग की थी.


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श्रीदेवी को हॉलीवुड फ़िल्म 'जुरैसिक पार्क' में भी एक रोल ऑफर हुआ था, लेकिन अपने बॉलीवुड प्रोजेक्ट्स के चलते श्रीदेवी ने इस ऑफर को ठुकरा दिया था. श्रीदेवी के हिंदी सिनेमा में करियर की शुरुआत फ़िल्म 'सोलहवाँ सावन' से हुई थी और पिछले साल उनकी फिल्म 'मॉम' रिलीस हुई, जो उनकी 300वी फ़िल्म थी.