Delhi Crime Season 2 Review: कच्छा-बनियान गैंग की कहानी में खास दम नहीं, एक्टरों ने संभाला है यह सीजन
Crime In India 2022: सबसे पहले दिल्ली में सुर्खियों में आने वाले कच्छा-बनियान गैंग ने बीते तीन दशक में देश के कुछेक शहरों में अलग-अलग समय पर सिर उठाया है. लेकिन यहां कहानी देश की राजधानी की है. अगर आपकी इसमें दिलचस्पी है तो देख सकते हैं.
Netflix New Web Series: नेटफ्लिक्स पर यह एक और अपराध कथा है. दिल्ली क्राइम सीजन 2 में इस बार कच्छा-बनियान गिरोह की कहानी है. सीरीज का पहला सीजन 2012 में हुए जघन्य गैंग रेप कांड पर आधारित था. जिसने वाकई देखने वालों को हिला दिया था. दूसरा सीजन उसके मुकाबले बहुत फीका है. लेकिन अगर आपकी दिलचस्पी इन अपराधियों की कहानी देखने में है तो निराश नहीं होंगे. दिल्ली में कच्छा-बनियान गैंग की खबरें 1990 के दशक के आखिरी वर्षों में सबसे पहले आई थीं और फिर उसके बाद देश के कुछ शहरों में समय-समय पर ये सक्रिय दिखते रहे. लेकिन दिल्ली क्राइम के दूसरे सीजन में कहानी हालिया वर्षों की है. जब साउथ दिल्ली में एक बुजुर्ग दंपती की हत्या की खबर पुलिस को मिलती और पैटर्न देख कर डीसीपी वर्तिका चतुर्वेदी (शेफाली शाह) और उनकी टीम अलर्ट हो जाती है कि कहीं कच्छा-बनियान गैंग लौट तो नहीं आया.
इतिहास की बात
पांच कड़ियों की यह सीरीज दिल्ली के पूर्व कमिश्नर नीरज कुमार की किताब खाकी फाइल्स के चैप्टर मून गजर पर आधारित है. सीरीज में हत्याओं का सिलसिला शुरू होता है और पुलिस उन जनजातियों के लोगों को उठा कर थाने लाने लगती है, जिन पर आदतन अपराधी होने का ठप्पा ब्रिटिश राज में लगा था. भरे ही स्वतंत्र भारत में इस ठप्पे को मिटा दिया गया लेकिन पुलिस अपने अंदाज में काम करती है. सीरीज थोड़ा से इनके इतिहास और थोड़ा सा पुलिस के रवैये पर बताती हुई, कहानी में आगे बढ़ जाती है. कौन है यह नया कच्छा-बनियान गिरोह, क्यों और कैसे काम कर रहा है, दूसरा सीजन इसी रहस्य पर से पर्दा उठाता है.
थोड़ा पर्सनल टच
दिल्ली क्राइम सीजन की अच्छी बात यह है कि इसमें निर्माताओं ने फैलने के मोह से खुद को बचाए रखा. साथ ही जितना संभव हो सका इसे तेजी से समेटने की कोशिश की है. औसतन पौन-पौन घंटे की यह पांच कड़ियां हैं, जो रफ्तार से चलती हैं. हालांकि इनमें ने पेच ज्यादा हैं और न विस्तार. यह जरूर है कि जब साफ हो जाता है कि अपराध उन्होंने नहीं किए, तो आगे जो थ्रिल होना चाहिए वह यहां नहीं है. एपिसोड खबरिया अंदाज में आगे बढ़ते हैं. इस बार सीरीज में डीसीपी वर्तिका सिंह की पर्सनल लाइफ पर उतना जोर नहीं है, लेकिन एसीपी नीति सिंह (रसिका दुग्गल) का वैवाहिक जीवन जरूर रह-रह कर उथल-पुथल का शिकार होता है. वह पुलिस की जिम्मेदारियों के बीच अपने पारिवारिक जीवन को समय नहीं दे पाती. भूपिंदर बने राजेश तैलंग की कहानी भी इस सीरीज में आकर ठहरी हुई है.
सीजन की सीमाएं
दिल्ली क्राइम का नया सीजन बगैर किसी बिखराव के लगातार आगे बढ़ता है. इसे खूबसूरती से शूट किया गया है. कलाकारों का काम भी बढ़िया है. इस सीरीज में अगर कोई निखर कर आता है, तो वह है तिलोत्मा शोम. उनका परफॉरमेंस कम स्पेस के बावजूद बढ़िया है. लेकिन इतना जरूर है कि शेफाली शाह ने पिछले सीजन की शानदार अदाकारी को इस बार भी बरकरार रखा है. असल में राइटिंग से भी ज्यादा वही इस सीजन को संभाले हुए हैं. लेकिन इस सीजन की अपनी सीमाएं हैं. अगर आप इस क्राइम कथा में दिलचस्पी लेते हैं, तभी इसमें आगे बढ़ पाएंगे.
निर्देशकः तनुज चोपड़ा
सितारेः शेफाली शाह, राजेश तैलंग, रसिका दुग्गल, तिलोत्तमा शोम
रेटिंग **1/2
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