Hush Hush Review: इस क्राइम थ्रिलर में कहीं है रफ्तार और कहीं सुस्ती, समय हो तो आप देख सकते हैं
Juhi Chawla Webseries: इस साल फिल्म श्रीमानजी नमकीन में जूही चावला नजर आई थीं. हश हश के साथ उन्होंने मैदान बदला है और वेब सीरीज में डेब्यू किया है. उनके साथ सोहा अली खान और आयशा जुल्का भी हैं. इस थ्रिलर में उतार-चढ़ाव तो हैं लेकिन नयापन आपको खुद ढूंढना पड़ेगा.
New Thriller Webseries: बंद कमरे में लाश मिले, संदिग्ध सामने हों और उस पर तेज तर्रार पुलिस अफसर सबको निशाने पर ले ले, तो थ्रिलर की जमीन तैयार हो जाती है. हश हश इसी जमीन पर खड़ी वेबसीरीज है. उस पर खास बात ये कि यह अमीरों और रसूखदारों की जिंदगी की पड़ताल करती है. जिनकी जिंदगी में पर्दे के पीछे की घटनाओं में सबकी दिलचस्पी होती है. हश हश में ऐसे ही लोग हैं. केंद्र में ईशी संघमित्रा (जूही चावला), जो देश की राजधानी में लॉबीस्ट है यानी बड़े-बड़े लोगों के बड़े-बड़े काम कराती है. उसके कनेक्शन हाईफाई हैं. उसकी तीन दोस्त हैं. अपनी सास और पति से परेशान डॉली (कृतिका कामरा). खोजी पत्रकारिता छोड़ कर बच्चों के साथ जिंदगी में व्यस्त हो चुकी साईबा त्यागी (सोहा अली खान) और पति से अलग हो गई फैशन डिजाइनर जायरा शेख (शहाना गोस्वामी). इन सबकी जिंदगी अपने-अपने हिसाब से चल रही होती है कि एक के बाद एक दो हत्याएं इन चारों को पुलिस के रडार पर ले आती हैं और जांच भी मिलती है, महिला अफसर गीता तेहलान (करिश्मा तन्ना) को. जो बहुत सख्त है. क्या है पूरा मामला और कितनी हैं परतें, यही हश हश की सात कड़ियों में आप देख सकते हैं. हां, समय इसमें काफी लगेगा क्योंकि सारी कड़ियां औसतन 40 से 45 मिनट की हैं.
थ्रिल और पुलिसिया जांच-पड़ताल
हश हश को काफी लंबा-चौड़ा बुना गया है. भले ही मुख्य रूप से चार किरदार शुरुआत में सामने आते हैं, लेकिन धीरे-धीरे इसमें कई और किरदार जुड़ते हैं. हर कड़ी एक फ्लैशबैक के साथ शुरू होती है और कहानी में नए सिरे आकर मिलते हैं. जिनसे किरदारों के रहस्य गहराते हैं. उनका अतीत भी सामने आता है. मूल रूप से कहानी दो सिरों को पकड़ कर चलती है. पहला थ्रिल और दूसरा पुलिसिया जांच-पड़ताल. इनके बीच दोस्ती, प्रेम, परिवार, सुख-दुख, झगड़े और राजनीति भी आते हैं. कहीं-कहीं चीजें बहुत उलझी हुई हैं और लगता है कि कई सारी चीजों को समेटने के चक्कर में लेखक कुछ अतार्तिक हो रहे हैं या फिर यथार्थ की जमीन को छोड़ कर सिनेमाई छूट ले रहे हैं. फ्लैशबैक अच्छा खासा रखने के बावजूद किरदारों की बैकस्टोरी ठीक ढंग से सामने नहीं आती. वे कैसे बहुत अमीर और रसूखदार बन गए, यह सवाल कई जगहों पर खटकता है.
पार्ट टू से प्यार की खिड़की
इस तरह की लंबी थ्रिलर वेबसीरीजों की एक समस्या शुरू से दिखी है. वह है, दूसरे सीजन में कहानी को ले जाने की चाहत. यहां भी वही स्थिति है. शुरुआती तीन एपिसोड में आपको लगता है कि कहानी सधे ढंग से आगे बढ़ रही है और निश्चित ही तमाम सवालों का जवाब देते हुए खत्म होगी, लेकिन दूसरे सीजन का दबाव इसे बीच में बिखेरने लगता है और आखिरी एपिसोड आते-आते लगता है कि मेकर्स सीरीज को जल्दी-जल्दी खत्म करके वह खिड़की खोलने की जल्दी में हैं, जहां से दूसरे सीजन की गुंजायश बन जाए. सीरीज में चूंकि सारे ही प्रमुख किरदार महिलाएं हैं, इसलिए फेमिनिज्म के नजरिये से यहां बहुत कुछ देखने मिलता है. संवादों में भी यह बात खूब झलकती है. कुछ संवाद अच्छे हैं और कहीं-कहीं अचानक उनका वजन कम हो जाता है.
दिल चाहता है अगर
कहानी के केंद्र में शुरू में भले ही जूही चावला हैं और इसे अच्छे से लेकर आगे बढ़ती हैं, लेकिन सीरीज देख कर नहीं लगता कि यह उनका धमाकेदार कमबैक है. बहुत सारे किरदारों के बीच अव्वल तो उनकी मौजूदगी खास दमखम वाली नहीं है और उनका काम भी औसत है. यही स्थिति सोहा अली खान की है. आयशा जुल्का भी लौटी हैं, परंतु वह भी असर नहीं पैदा करतीं. जो कलाकार इंप्रेस करते हैं, उनमें सबसे आगे हैं हरियाणवी पुलिस अफसर बनीं करिश्मा तन्ना. जबकि शाहना गोस्वामी और कृतिका कामरा अपनी मौजूदगी दर्ज कराती हैं. छोटी भूमिकाओं में बेंजामिन गिलानी और विभा छिब्बर सशक्त हैं. सीरीज को तकनीकी रूप से मजबूत बनाया गया है और राइटिंग के स्तर पर भी इसमें कसावट है. लेकिन समस्या यही कि बहुत सारे किरदारों, फ्लैशबैक और दूसरे सीजन का लक्ष्य इसे कुछ कमजोर करता है. इन चीजों से बचा जाता तो निश्चित ही यह सीरीज अवश्य देखने जैसी बन पाती. फिलहाल यही कि अगर आपके पास अच्छा खासा समय है, समय गुजारने का संकट है, ज्यादा कुछ सोचने-समझने को नहीं है और दिल चाहता है, तो यह सीरीज देख सकते हैं.
निर्देशकः तनुजा चंद्रा, कोपल नैथानी, आशीष पांडे
सितारेः जूही चावला, सोहा अली खान, शहाना गोस्वामी, कृतिका कामरा, करिश्मा तन्ना, आयशा जुल्का,
रेटिंग **1/2
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