Liger Review: यह क्रॉस ब्रीड हीरो करता है बिल्ली जैसा म्याऊं, आप सोचेंगे ये कैसा मजाक है
Vijay Devarkonda Ananya Pandey 2022: खोदा पहाड़, निकला चूहा. लाइगर पर यह कहावत फिट है. विजय देवरकोंडा की फिल्म धूमधाम भरे प्रमोशन के लिए जितनी याद की जाएगी, उससे ज्यादा खराब मेकिंग और ठंडी स्टोरी के लिए याद रखी जाएगी.
New Bollywood Film 2022: लाइगर क्रॉस ब्रीड है. बॉलीवुड और तेलुगु सिनेमा की. लेकिन नतीजा बहुत कमजोर. इसकी गुर्राहट बिल्ली की म्याऊं जैसी है. साफ-साफ कहें तो लाइगर इस साल की सबसे खराब फिल्मों की रेस में आगे रहेगी. रिलीज से पहले जितनी बड़ी-बड़ी बातें थीं, वैसा इसमें कुछ नहीं है. झबरे बालों वाला हीरो निराश करता है. हीरोइन के बारे में पहले से कहा जा रहा है कि वह हर मामले में सपाट हैं. रही बात माइक टाइसन की, तो राइटर-डायक्टर ने पूर्व वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन को कॉमेडियन बना दिया है. अगर साउथ को बॉलीवुड के साथ मिलकर ऐसी ही फिल्में बनानी है, तो उन्हें तत्काल हिंदी फिल्मवालों से दूरी बना लेनी चाहिए क्योंकि इस क्रॉस ब्रीड में उनके सिनेमा का बुरा हश्र होगा.
पैन-इंडिया मजाक
लाइगर की नींव ही सबसे कमजोर है. कहानी और स्क्रिप्ट. यह बे-सिर-पैर का, बिना सोचा-समझा स्पोर्ट्स ड्रामा है. बीते कुछ साल में जो भी बॉलीवुड मेकर मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स पर फिल्म बनाता है, वह कहता है कि यह इंडिया की पहली ऐसी फिल्म है. प्रोड्यूसर करण जौहर अपनी 2015 में बनाई ‘ब्रदर्स’ को ही भूल गए. अगर आपने अक्षय कुमार और सिद्धार्थ मल्होत्रा की ब्रदर्स देखी हो, तो उस फिल्म और लाइगर के स्क्रीन-फील में मुश्किल से अंतर कर पाएंगे. वह फिल्म कम से कम दो भाइयों की कहानी थी, जिसमें कुछ भारतीय फीलिंग थी. लेकिन लाइगर में समझना मुश्किल है कि यह किसके लिए बनाई गई है. हिंदी में यह पसंद किए जाने लायक नहीं है. साउथ में भी नहीं चलेगी. पैन-इंडिया के नाम पर यह मजाक है.
सपने हॉलीवुड के
लाइगर (विजय देवरकोंडा) फिल्म के हीरो को नाम है. जो उसकी मां (राम्या कृष्णन) ने रखा है. मां बताती है कि उसके बेटे का पिता बाघ जैसा बहादुर, शेरदिल इंसान था. मिक्स मार्शल आर्ट्स का चैंपियन. मां बेटे को बाप जैसा बनाना चाहती है और उसे सही ट्रेनिंग दिलाने के लिए बनारस से मुंबई लेकर आई है. उसने सड़क किनारे चाय बेच कर बेटे को मिक्स मार्शल आर्ट चैंपियन बनने लायक बनाया है. मुंबई में वह उसे ट्रेनिंग सेंटर में भर्ती कराती है, जो उसके पति का एक परिचित (रोनित रॉय) चलाता है. कोच और मां लाइगर से कहते हैं कि उसे सिर्फ मिक्स मार्शल आर्ट्स पर फोकस करना है, लड़कियों से दूर रहना है. लेकिन तभी अमीर घर की लड़की तान्या (अनन्या पांडे) लाइगर पर फिदा हो जाती है. तान्या फिल्म में देखते-देखते सोशल मीडिया स्टार बन जाती है और उसका सपना अब हॉलीवुड में हीरोइन बनने का है. इधर लाइगर इंडिया में मिक्स मार्शल आर्ट्स का चैंपियन बनने के बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेने अमेरिका जाता है. फिर वहां जो कुछ होता है, उसे देख कर आप हॉल में ही सो सकते हैं या फिर रो सकते हैं.
साउथ के लिए सबक
राइटर-डायरेक्टर पुरी जगन्नाथ ने न फिल्म लिखने के स्तर पर कहीं दिमाग लगाया और न ही निर्देशन के स्तर पर. तमाम दृश्य बहुत ही कमजोर ढंग से लिखे और रचे गए हैं. संवादों में भी दम नहीं है. कहानी में लॉजिक जरूरी लगे तो आप खुद गढ़ लीजिए. लाइगर और अनन्या की लव स्टोरी मजाक जैसी चलती है. हीरो यहां हकलाता है. यही उसकी एक्टिंग है. अनन्या को किसी भी सीन में देख कर नहीं लगता कि उन्हें एक्टिंग आती है. सबसे पहली बात तो यही कि वह हीरोइन जैसी नहीं लगती हैं. देखना यह है कि बॉलीवुड में पिता चंकी पांडे के कनेक्शन कब तक उनके काम आते रहेंगे. लेकिन इतना तय है कि साउथ में उनका सफर इसी फिल्म के साथ खत्म होने की पूरी आशंका है. विजय देवरकोंडा में भी ऐसी कोई बात नहीं कि वह बॉलीवुड सिनेमा में काम कर रहे दूसरे हीरो से अलग हों.
डबल दुख
लाइगर का पहला भाग तो भी आप थोड़ी सहनशक्ति के साथ देख सकते हैं और उम्मीद में रहते हैं कि शायद आगे कुछ ठीक होगा. मगर इंटरवेल के बाद टिकट के साथ पॉपकॉर्न और कोल्ड ड्रिंक के पैसे डूबने का दोहरा दुख होता है. दूसरे हिस्से में फिल्म तिनका-तिनका बिखर जाती है. डायरेक्टर को समझ ही नहीं पड़ता कि कहानी का क्या करे. वह उसे ले जाकर माइक टाइसन से भिड़ा देता है. खराब कहानी, खराब स्क्रिप्ट और खराब एक्टिंग के बाद अगर थोड़ा-सा कुछ बिगड़ने से बचता है तो इक्का-दुक्का एक्शन सीन और इक्का-दुक्का नाच-गाना. लेकिन पैसा वसूल होने के लिए यह नाकाफी है. सबसे बुरा तब लगता है जब आप अपने दौर के चैंपियन माइक टाइसन को हास्यास्पद रोल में देखते हैं. वह भी विजय देवरकोंडा से घूंसे खाते हुए. अगर यह पैन-इंडिया फिल्म है, तो हमें अपने सिनेमा का शोक मनाना चाहिए. इतना तय है कि जमे-जमाए प्रोड्यूसर-डायरेक्टर अपने दिमाग की खिड़कियां नहीं खोल पा रहे हैं. ऐसे में फिलहाल आप अपना कीमती समय और मेहनत से कमाया पैसा मुट्ठी में बंद रख सकते हैं.
निर्देशकः पुरी जगन्नाथ
सितारेः विजय देवरकोंडा, अनन्या पांडे, राम्या कृष्णन, रोनित रॉय, माइक टाइसन, चंकी पांडे
रेटिंग *1/2
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