पाकिस्तान से आए थे भावना, यशोदा और हरीश, नागरिकता मिलने पर बोले- थैंक्यू मोदी जी! चुनाव में मिलेगा फायदा?
What is CAA: इन लोगों ने केंद्र सरकार के पोर्टल पर आवेदन किया था. ऑनलाइन मंजूरी मिलने पर केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने 14 लोगों को सर्टिफिकेट सौंपे. दिलचस्प बात ये है कि यह कदम लोकसभा चुनावों के बीच उठाया गया है.
CAA Latest News: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत बुधवार को 14 लोगों को भारत की नागरिकता का सर्टिफिकेट दिया गया. बरसों तक पड़ोसी देशों में प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आए इन गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए आज का दिन दिवाली से कम नहीं है. इन गृह मंत्री अमित शाह ने इसे ऐतिहासिक दिन करार देते हुए कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले लोगों का दशकों पुराना इंतजार खत्म हो गया है.
इन लोगों ने केंद्र सरकार के पोर्टल पर आवेदन किया था. ऑनलाइन मंजूरी मिलने पर केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने 14 लोगों को सर्टिफिकेट सौंपे. दिलचस्प बात ये है कि यह कदम लोकसभा चुनावों के बीच उठाया गया है.
'...जैसे नया जन्म हो गया हो'
नागरिकता का सर्टिफिकेट मिलने के बाद इन 14 लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. इन लोगों ने मोदी सरकार को खुलकर थैंक्यू कहा. भारत के नागरिक बने हरीश कुमार ने कहा, 'मैं पिछले 13-14 साल से दिल्ली में रह रहा हूं. एक सपने के सच होने जैसा एहसास है, मैं बहुत खुश हूं. यह मेरे लिए एक नए जन्म जैसा है. मैं केंद्र सरकार का बहुत धन्यवाद करता हूं.'
वहीं भावना ने कहा, 'मुझे आज नागरिकता मिली है, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, अब हम आगे पढ़ सकेंगे... मैं 2014 में यहां आई थी. जब (CAA) पास हुआ था तब बहुत खुशी हुई थी...पाकिस्तान में हम लड़कियां पढ़ नहीं पाती थीं और घर से बाहर नहीं निकल पाती थी, अगर बाहर जाना होता था तो बुर्का पहन कर निकलती थीं.'
भारत की नागरिकता पाने वालों में यशोदा भी शामिल हैं. उन्होंने कहा, 'मैं 2013 से भारत में रह रही हूं. हम पाकिस्तान से आए थे...अब स्थिति बेहतर होगी क्योंकि नागरिकता मिल गई है. अब हमारे बच्चे पढ़ सकेंगे.हम नागरिकता के लिए PM मोदी और भारत का धन्यवाद करते हैं.'
क्या है सीएए?
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ना के शिकार गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता दी जानी थी. इस कानून को दिसंबर 2019 में लाया गया था. इनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग शामिल हैं. कानून बनने के बाद, सीएए को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई लेकिन जिन नियमों के तहत भारत की नागरिकता दी जानी थी, उन्हें चार साल से अधिक की देरी के बाद इस साल 11 मार्च को जारी किया गया.
सीएए के नियमों में आवेदन करने के तरीके, जिलास्तरीय समिति (डीएलसी) की ओर से आवेदन को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया और राज्यस्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (एसएलईसी) में आवेदनों की जांच और नागरिकता प्रदान करने की व्यवस्था की गई है.
क्या वाकई बीजेपी को मिलेगा फायदा?
अब सवाल यह भी उठता है कि लोकसभा चुनाव के बीच इन लोगों को नागरिकता दी गई है. ऐसे में यह बीजेपी को चुनावी फायदा भी मिल सकता है और नुकसान भी हो सकता है. यह दोधारी तलवार की तरह है. बीजेपी का हमेशा से स्टैंड रहा है कि वह पड़ोसी देशों से आए शरणार्थियों को नागरिकता देगी. विपक्षी पार्टियों ने इसे मुस्लिम विरोधी बताते हुए इसका विरोध किया है. सरकार ने हमेशा कहा है कि इस कानून से मुस्लिमों की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है. लेकिन 2019 में इसे लेकर बड़े पैमाने पर विरोध हुआ.
अब समझते हैं कि बीजेपी के लिए कैसे फायदेमंद होगा. दरअसल बीजेपी का मानना है कि इसके जरिए उसके राष्ट्रवाद के मुद्दे को और बल मिलेगा और हिंदू वोटर्स को बड़ी संख्या में अपनी ओर लाया जा सकता है. इस कानून को लाया भी ऐसे राज्यों को ध्यान में रखकर लाया जा रहा है, जहां हिंदू वोटर्स अच्छी तादाद में हैं.
मास्टरस्ट्रोक या गलत दांव?
अगर विपक्ष सीएए का विरोध करता है तो बीजेपी को चुनावी माइलेज मिलना तय है. इससे बीजेपी यह नैरेटिव सेट कर सकती है कि विपक्ष हिंदू विरोधी है और उसका काम मुस्लिम तुष्टीकरण का है.
दूसरी ओर, बंगाल में बीजेपी काफी वक्त से ममता सरकार को सत्ता से उखाड़ने में जुटी हुई है. वहां बांग्लादेश से आए मतुआ समुदाय के लोग भारत की नागरिकता मांग रहे हैं. इन लोगों की जनसंख्या बंगाल में 30 लाख है. इतना ही नहीं बंगाल की 4 लोकसभा सीटों पर इस समाज का दबदबा है. 2014 में बंगाल में बीजेपी के पास 2 ही सीटें थीं. लेकिन 2019 में यह आंकड़ा 18 तक पहुंच गया. 2024 में इस कदम से बीजेपी बंगाल में अपनी सीटों की संख्या और बढ़ाना चाहती है. हालांकि सियासी पंडितों का कहना है कि नॉर्थ ईस्ट में सीएए का विरोध हो रहा है. ऐसे में असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और नगालैंड समेत अन्य जगहों पर उसके लिए मुश्किलें हो सकती हैं.