Explainer: केशव प्रसाद मौर्य के सुर 24 घंटे में कैसे बदले? CM योगी से पहले दूरी... फिर हो गए जरूरी!
Keshav Maurya: पहले तो यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सार्वजनिक तौर पर योगी के नारे से किनारा कर लिया था. उन्होंने कहा था कि वे पीएम मोदी के नारे `एक हैं तो सेफ हैं` का समर्थन करते हैं. फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि उन्होंने योगी के नारे का भी समर्थन कर दिया.
Batenge Toh Katenge: ऐसा लग रहा है कि इस समय देश की राजनीति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक नारे के इर्द-गिर्द घूम रही है. योगी ने कहा था कि 'बंटेंगे तो कटेंगे. उन्होंने नारा तो दे दिया लेकिन नारे पर राजनीतिक घमासान भी मचा हुआ है. खुद बीजेपी में भी कई नेता इससे असहज हैं. पहले तो महाराष्ट्र के कई नेता इस नारे से असहमति जताते नजर आ रहे हैं. फिर एक दिन पहले योगी के ही डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी नारे पर सहमत नजर नहीं ऐ. लेकिन अचानक ऐसा कुछ हो गया कि वे योगी के इस नारे के खुलकर समर्थन में आ गए हैं. केशव प्रसाद मौर्य के सुर 24 घंटे में कैसे बदल गए.
पहले तो नारे से किनारा कर लिया
असल में महज एक दिन पहले पत्रकारों ने यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से इस नारे के बारे में पूछा तो उन्होंने इस नारे से किनारा कर लिया है. मौर्य ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे 'एक हैं तो सेफ हैं' का समर्थन करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह नारा किसी खास संदर्भ में दिया होगा, लेकिन वह इस पर टिप्पणी नहीं करेंगे. मौर्य के इस बयान से योगी के साथ उनकी सहमति सामने आई. लेकिन अगले दिन वे यूटर्न लेकर पलट गए.
अगले दिन यूटर्न लेकर पलट गए
हुआ यह कि अब रविवार को फिर उन्होंने बयान दिया और कहा कि ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे, बटेंगे तो कटेंगे’ सभी कार्यकर्ताओं की एकजुटता और संकल्प का प्रतीक है. उन्होंने किसी भी मतभेद से इनकार करते हुए यह भी साफ किया कि पार्टी का नारा ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ ही है. यहां तक कि उनको ट्वीट करना पड़ गया. उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का स्पष्ट संदेश और उनके भाषणों से उभरे नारे ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे, बटेंगे तो कटेंगे’ हम सभी कार्यकर्ताओं की एकजुटता और संकल्प का प्रतीक हैं.
सफाई में क्या बोले केशव?
इसी पोस्ट में उन्होंने एक तरह से सफाई दी कई भाजपा में न मतभेद था, न है, न होगा. यह नारा मुझ जैसे करोड़ों कार्यकर्ताओं के दिल की आवाज है. पोस्ट में उन्होंने पूछा कि सपा, बसपा और कांग्रेस को इस एकजुटता से पेट में दर्द क्यों हो रहा है? अगर दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा है, तो इलाज कराएं और दवा ले लें.
बयानों पर कयासों का दौर शुरू
यह पूरा मामला तब उठा था जब शनिवार को प्रयागराज में आदित्यनाथ के 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे को लेकर किए गए सवाल पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने नाराज स्वर में कहा था कि मुख्यमंत्री जी कोई संबोधन करते हैं तो उस पर मुझसे टिप्पणी क्यों लेना चाहते हो?.. क्या आप मीडिया के मित्र आपस में हमें लड़ाना चाहते हो?' इसी के बाद सीएम योगी और डिप्टी सीएम के बयानों पर कयासों का दौर शुरू हो गया था.
केशव का यह यूटर्न नया नहीं
राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कई केशव का यह यूटर्न नया नहीं है. इससे पहले भी वे सीम योगी के साथ मतभेदों को लेकर चर्चा में रहे हैं. अभी कुछ ही समय पहले जब यूपी लोकसभा चुनावों में हार मिली तो उन्होंने कहा था कि सरकार से बड़ा संगठन होता है. इस पर उन्हें बीजेपी आलाकमान से समझाइश भी मिली थी. तब उन्होंने सीम योगी के खिलाफ मोर्चे को शांत किया था. एक बार फिर उन्होंने योगी के नारे पर लगभग अपनी असहमति जताई लेकिन एक ही रात में फिर से उनके सुर बदल गए हैं.