NASA's Parker Solar Probe: 24 दिसंबर 2024, यह तारीख याद कर लीजिए. मंगलवार का दिन इतिहास में दर्ज हो चुका है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी, NASA का 'पार्कर सोलर प्रोब' अंतरिक्ष यान 'क्रिसमस ईव' यानी 24 दिसंबर की शाम 5.23 बजे, मानव की बनाई सबसे तेज वस्तु बन गया. उस समय यह 6,92,000 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर रहा था. इस स्पीड का अंदाजा इस बात से लगाएं कि पार्कर सोलर प्रोब ने हर एक सेकंड में करीब 192 किलोमीटर की दूरी तय की. इतनी तेजी से उड़ते हुए यह सूर्य के कोरोना से महज 6.1 मिलियन किलोमीटर दूर रहा. सूर्य के इतने पास अभी तक कोई भी अंतरिक्ष यान नहीं गया है. यानी, NASA के पार्कर सोलर प्रोब की यह 22वीं उड़ान ऐतिहासिक है. 2018 में लॉन्च किए गए इस स्पेसक्राफ्ट ने हमें सूर्य के बारे में बहुमूल्य जानकारियां उपलब्ध कराई हैं.
- NASA के Parker Solar Probe की 22वीं उड़ान: अपनी 22वीं नजदीकी उड़ान में, पार्कर सोलर प्रोब, सूर्य की सतह से केवल 6.1 मिलियन किलोमीटर (3.8 मिलियन मील) दूर रहा, इस दौरान इसकी गति लगभग 192 किलोमीटर प्रति सेकंड रही. नासा को अंतरिक्ष यान से संदेश मिला था कि सभी सिस्टम चालू हैं और पार्कर 24 दिसंबर को 06:53 EST (24 दिसंबर को 17:23 IST) पर गोता लगाने के लिए सही जगह पर है. यह यान की अंतिम नजदीकी उड़ानों में से पहली होगी, जिन्हें पेरीहेलियन के रूप में जाना जाता है. 2025 में अपने मिशन को पूरा करने से पहले पार्कर हर बार यही करीबी और गति हासिल करेगा.
- लाइव स्ट्रीमिंग/कम्युनिकेशन नहीं: जब Parker Solar Probe सूर्य के सबसे करीब था, उस समय यह धरती पर मौजूद NASA के वैज्ञानिकों को कोई सिग्नल नहीं भेज पाया. ऐसा इस वजह से क्योंकि उस समय रेडियो इंटरफेरेंस चरम पर होगा और दूरी के चलते सिग्नल डिस्टॉर्टेड हो सकते हैं. इस दौरान, ऑटोपायलट मोड पर रहते हुए पार्कर सोलर प्रोब अपनी उड़ान को अंजाम देगा. फ्लाई-बाई लाइव नहीं होगा, लेकिन NASA समय-समय पर मिशन से जुड़े अपडेट शेयर करेगा. अपना फ्लाई-बाई पूरा करने के बाद अंतरिक्ष यान अपने मिशन कंट्रोलर्स को सिग्नल भेजेगा.
- फ्लाई-बाई के दौरान क्या करेगा: पार्कर सोलर प्रोब, सूर्य की स्टडी करने वाला अब तक का बेस्ट मिशन साबित हुआ है. इसका मकसद सूर्य के अंदरूनी कामकाज का पता लगाना है, महत्वपूर्ण डेटा जुटाना है जिसका इस्तेमाल वैज्ञानिक सूर्य के व्यवहार को समझने के लिए कर पाएं. Parker Solar Probe मिशन का एक प्रमुख लक्ष्य सूर्य के चुंबकीय क्षेत्रों और अंतरिक्ष मौसम को आकार देने वाली सौर हवाओं की उत्पत्ति के बारे में पता लगाना है. 24 दिसंबर को यह स्पेसक्राफ्ट, कोरोना के पास से गुजरेगा और चुंबकीय क्षेत्रों और आवेशित कणों के माप लेगा.
- सूर्य का कोरोना क्यों अहम: सूर्य की सतह और उसके बाहरी वायुमंडल के तापमान में काफी अंतर है. सतह यानी फोटोस्फीयर का औसत तापमान करीब 5,500 डिग्री सेल्सियस है. जबकि कोरोना यानी सूर्य के वायुमंडल की बाहरी परत का तापमान 5 लाख से लेकर 10 लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. वैज्ञानिकों को यह बात हमेशा से हैरान करती आई है. इसी वजह से पार्कर सोलर प्रोब को भेजा गया, जो शायद हमें बताएगा कि कोरोना, सूर्य की सतह के मुकाबले इतना अधिक गर्म क्यों है.
- सबसे तेज, सबसे मजबूत: NASA का Parker Solar Probe फ्लाई-बाई के दौरान 4.30 लाख मील प्रति घंटे (692,000 किलोमीटर प्रति घंटे) की आश्चर्यजनक गति से यात्रा करेगा. यह अब तक की सबसे तेज मानव निर्मित वस्तु है. चूंकि, यह अंतरिक्ष यान सूर्य के बेहद करीब से यात्रा करता है इसलिए इसे उतना ही मजबूत बनाया गया है. इसके उपकरण अविश्वसनीय गर्मी का सामना करने के लिए बनाए गए हैं. सूर्य के सबसे करीब पहुंचने पर, पार्कर सोलर प्रोब लगभग 980 डिग्री सेल्सियस के तापमान का सामना करेगा. अंतरिक्ष यान इसे बचाने के लिए एक एडवांस्ड कार्बन-कम्पोजिट फोम हीट शील्ड से लैस है जो 4.5 इंच (11 सेंटीमीटर) मोटा और 8 फीट (2.4 मीटर) मोटी है, यह 1,377 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान बनाए रखने में सक्षम है. हीट शील्ड सूर्य की तरफ है.
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