Bharat Ratna Lal Krishna Advani: लालकृष्ण आडवाणी को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने का एलान किया गया है. संघ के स्वयंसेवक से देश के उप-प्रधानमंत्री तक, आडवाणी का योगदान देश के विकास में महत्वपूर्ण रहा है. लंबी सार्वजनिक और राजनीतिक यात्रा में आडवाणी ने देश को नई दिशा दी. राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी विचारधारा को आगे बढ़ाया. राम मंदिर आंदोलन से देश की राजनीति का रुख बदलने वाले आडवाणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी राजनीतिक गुरु रहे हैं. इसीलिए जब पीएम मोदी ने आडवाणी को भारत रत्न देने की जानकारी देश से साझा की तो कहा गया कि मोदी ने अपने गुरु को आज गुरु दक्षिणा दी है.


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लालकृष्ण आडवाणी भारतीय राजनीति की वो धुरी हैं, जो लंबे वक्त तक विपक्ष में रहकर जनता की आवाज उठाते रहे. जब सत्ता में आए तो अपनी कार्यशैली से सुशासन का रास्ता दिखाया. बतौर गृह मंत्री और बतौर उप प्रधानमंत्री उनकी राजनीतिक यात्रा ने कई आयाम हासिल किए. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कराची का एक नौजवान कैसे भारत की राजनीति का शिखर पुरुष बन गया. कैसे एक कट्टर हिंदुत्व के पोस्टर बॉय लालकृष्ण आडवाणी 38 दलों के नायक बन गए.


बीजेपी की तीन धरोहर, अटल-आडवाणी और मुरली मनोहर


1990 के दशक में एक नारा गूंजा करता था. बीजेपी की तीन धरोहर, अटल-आडवाणी और मुरली मनोहर. अटल जी, इस दुनिया में नहीं रहे. लेकिन, आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी अब भी बीजेपी का मार्गदर्शन कर रहे हैं. दोनों नेताओं ने 70 साल तक साथ काम किया. मुरली मनोहर जोशी ने लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न मिलने पर उनके घर जाकर बधाई दी. बीजेपी आज सत्ता के शिखर पर है. लेकिन, बीजेपी को ऊंचाई तक पहुंचाने में लालकृष्ण आडवाणी की बड़ी भूमिका है. इतना ही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी के राजनीतिक जीवन को संवारने में भी आडवाणी का अहम योगदान रहा है.


16 दलों के साथ शुरू हुआ एनडीए आज 38 दलों तक पहुंचा


साल 1998 में बीजेपी के अध्यक्ष रहते हुए लालकृष्ण आडवाणी ने अटअटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस यानी एनडीए (NDA) की शुरुआत की थी. उस समय गठबंधन में 16 दल शामिल हुए. 26 सालों में एनडीए में कई बड़े उलटफेर हुए और कई पुराने दलों ने साथ छोड़ दिया तो कई नए दल जुड़ते गए. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एनडीए की बड़ी बैठक दिल्ली में होने वाली है. बैठक को लेकर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दावा किया है कि इसमें 38 दलों के नेता शामिल होंगे. यानी 16 दलों से शुरू हुआ एनडीए आज 38 दलों तक पहुंच गया है. आज भी लालकृष्ण आडवाणी इन 38 दलों के नायक और मार्गदर्शक हैं.


कैसे 38 दलों के नायक बन गए लालकृष्ण आडवाणी


साल था 1990, जब लालकृष्ण आडवाणी ने रथ यात्रा निकाली थी. जो सोमनाथ से चला है और जिसके मन में संकल्प किया हुआ है कि 30 अक्टूबर को वहां पहुंचकर कारसेवा करेंगे और मंदिर वहीं बनाएंगे. आडवाणी की रथ यात्रा में उमड़ी भीड़ ने रथ यात्रा को जन आंदोलन में बदल दिया, जिससे तत्कालीन सरकार की चिंता बढ़ा दी और उस दौर में बिहार के सीएम लालू प्रसाद यादव ने 23 अक्टूबर 1990 को आडवाणी की गिरफ्तारी करवा दी. इसके बाद आडवाणी रथ यात्रा में अयोध्या नहीं जा पाए, लेकिन वो जो संदेश देना चाहते थे वो दे चुके थे.


साल 2013 में बीजेपी की स्थापना दिवस पर लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा था, 'जो लोग कहते हैं ना कि ये तो अयोध्या, मंदिर और राम मंदिर के आधार पर ही बीजेपी ने या जनसंघ ने ये स्थान प्राप्त किया है. मैं उनको ये कहता हूं कि हां बराबर है.  हम इस पर गर्व करते हैं कि हमारा आंदोलन केवल राजनीतिक आंदोलन नहीं है वो एक सांस्कृतिक आंदोलन है. लेकिन, इस सांस्कृतिक आंदोलन का जब प्रतिरूप मुझे डॉ लोहिया जैसे समाजवादी व्यक्ति और नेता से मिलता है तो उनकी प्रशंसा किए बगैर मैं नहीं रह पाता. मैं मानता हूं. सही बात आप करो तो दुनिया उसे स्वीकार करेगी. संकोच मत करो. हीन भावना कभी मत आने दो. अयोध्या की बात पर विश्वास करते हैं. आंदोलन करते हैं तो उसपर एपोलॉजिटिक नहीं होना चाहिए. गर्व करना चाहिए.'


लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के बाद माहौल बदला, राजनीतिक तौर पर भी बीजेपी मजबूत हुई और देश की सत्ता तक पहुंचने में सफल रही. 2019 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने दम पर 302 सीट जीतकर आई. इस बार यानी 2024 के चुनाव में बीजेपी का लक्ष्य 400 पार का है. पीएम मोदी की नेतृत्व क्षमता और उनकी कार्यशैली की वजह से बीजेपी को भरोसा है कि जनता इस बार भी उनके साथ जरूर खड़ी रहेगी. लेकिन, इसमें भी लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका होगी. लाल कृष्ण आडवाणी साल 1986-1990, साल 1993-1998 और साल 2004-2005 तक तीन बार बीजेपी के अध्यक्ष रहे. वो सबसे सबसे लंबे समय तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं और बीजेपी आज जहां है, उसमें लालकृष्ण आडवाणी का अहम योगदान है.