चंडीगढ़ मेयर चुनाव विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला दिया है. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मेयर चुनाव में अमान्य घोषित आठ वोटों को मान्य माना. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच ने इसके बाद आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ का मेयर घोषित कर दिया. इसके साथ ही भाजपा को बड़ा झटका लगा है. वहीं, रविवार को आप छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले तीन पार्षदों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. 


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आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर लगाए संगीन आरोप


आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस बहुत बड़ी जीत बताते हुए विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन को बधाई दी और सुप्रीम कोर्ट को शुक्रिया कहा. इसके साथ ही चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले को मिसाल बताते हुए केजरीवाल ने कहा कि भाजपा के कारण देश में लोकतंत्र मल्टीपल खतरे में हैं. आप छोड़कर भाजपा में जाने वाले चंडीगढ़ नगर निगम के तीन काउंसिलर्स के बारे में सवाल पर उन्होंने कहा कि वकीलों से राय लेकर पार्टी इस पर जरूरी कार्रवाई करेगी. क्योंकि पुराने मेयर के इस्तीफे और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नए मेयर ही डिप्टी मेयर का चुनाव करेंगे. उस दौरान वोटिंग हुई तो मौजूदा परिस्थितियों को लेकर कानूनी पहलू देखे जाएंंगे. 


चंडीगढ़ में 30 जनवरी को मेयर पद के लिए हुए चुनाव में धांधली पर सुप्रीम फैसला


दरअसल, चंडीगढ़ में 30 जनवरी को मेयर पद के लिए हुए चुनाव में भाजपा के मनोज सोनकर को विजयी घोषित कर दिया गया था. आप के उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगाए. पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया. पूरी सुनवाई के बाद बैलेट पेपर मंगवाए गए और काउंटिंग की वीडियोग्राफी तक देखी गई. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने आप उम्मीदवार कुलदीप कुमार को विजेता और मेयर घोषित कर दिया. हालांकि, इससे एक दिन पहले ही मनोज सोनकर ने इस्तीफा दे दिया था.  


आप छोड़कर नेहा मुसावट, गुरचरण काला और पूनम देवी भाजपा में क्यों आए


इससे भी पहले रविवार को एक बड़े उलटफेर में आप के तीन पार्षद भाजपा में शामिल हो गए. आप छोड़ने वाले तीनों पार्षदों नेहा मुसावट, गुरचरण काला और पूनम देवी ने बाद में चंडीगढ़ में भाजपा के चुनाव प्रभारी विनोद तावड़े से भी मुलाकात की. तावड़े ने तीनों नेताओं के भाजपा में आने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनकल्याणकारी नीतियों से प्रभावित होना बताया. भाजपा ने भले ही मेयर चुनाव अमान्य घोषित हो जाने की सूरत में दोबारा वोटिंग को लेकर नंबर गेम का तैयारी के लिए तैयारी की हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद काफी असहज हालात पैदा हो गए हैं.


तीनों पार्षदों के आप छोड़ने और भाजपा में शामिल होने की पूरी इनसाइड स्टोरी


चंडीगढ़ नगर निगम की पार्षद नेहा मुसावट ने भाजपा में आने के बाद कहा कि आम आदमी पार्टी की तरफ से मेयर कैंडिडेट बनाने का एक झूठा वादा किया गया था. मेयर पद के लिए सबसे ज्यादा शिक्षित उम्मीदवार मानी गई थी, लेकिन समय आने पर किसी और को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के गरीब कल्याण और दलितों के लिए किए गए काम से प्रभावित होकर वह भाजपा में शामिल हो गईं. 


पूनम देवी ने खुद को पीएम मोदी के काम से प्रेरित और आप को फर्जी पार्टी करार दिया. वहीं, गुरचरण काला ने कहा कि वह पहले भी भाजपा में थे. बीच में वह कुछ लोगों के हाथों गुमराह हो गए थे और अब फिर भाजपा में ही हैं. हालांकि, चंडीगढ़ में चर्चा शुरू हो गई थी कि भाजपा ने वार्ड नंबर-19 की पार्षद नेहा को मेयर पद का उम्मीदवार बनाकर सियासी दांव खेलने की योजना बनाई थी. साथ ही वार्ड नंबर-16 की पार्षद पूनम और गुरुचरण काला को भी भाजपा ने कोई अहम जिम्मेदारी देने का वादा किया था.


सुप्रीम कोर्ट का रुख और चुनाव के आसार से प्लान-बी पर सक्रिय थी भाजपा  


मेयर चुनाव विवाद के बाद आम आदमी पार्टी ने जहां अपनी पूरी ताकत विरोध प्रदर्शन और कानूनी लड़ाई में लगा दी थी, वहीं, सुप्रीम कोर्ट का रुख और दोबारा मेयर चुनाव के आसार देखते ही भाजपा नेताओं ने प्लान-बी पर काम शुरू कर दिया था. भाजपा के सीनियर नेताओं ने आम आदमी पार्टी के नाराज पार्षदों की पहचान और उनसे संपर्क साधने की शुरुआत कर दी थी. आप के तीन पार्षदों के भाजपा में आ जाने से अब उसके पार्षदों की संख्या बढ़कर 17 हो चुकी है. चंडीगढ़ से भाजपा सांसद किरण खेर का भी एक वोट है.


चंडीगढ़ नगर निगम में भाजपा और इंडिया गठबंधन का मौजदूा समीकरण


इसके अलावा हाल ही में संपन्न मेयर चुनाव के दौरान शिरोमणि अकाली दल के इकलौते पार्षद ने भी भाजपा उम्मीदवार का समर्थन किया था. यानी भाजपा के पास कुल 19 वोट हो चुके हैं. चंडीगढ़ में संख्याबल के लिहाज से सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है. क्योंकि चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद हैं. एक सांसद का वोट मिलाकर मेयर चुनाव में 36 वोट डाले जाते हैं. इस तरह बहुमत का आंकड़ा 19 बैठता है. भाजपा ने 20 वोटों का जुगाड़ कर लिया है. दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के वोटों की संख्या 20 से घटकर 17 रह गई है. इनमें कांग्रेस के 7 और आप के 10 पार्षद शामिल हैं. 


चंडीगढ़ नगर निगम में जोड़-तोड़ की राजनीति थमी, अभी भी खत्म नहीं हुई


सूत्रों का कहना है कि चंडीगढ़ नगर निगम में जोड़-तोड़ की राजनीति अभी भी खत्म नहीं हुई है. चर्चा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मेयर भले ही आम आदमी पार्टी का बन गया हो, मगर उसका एक और पार्षद जल्द ही पाला बदल सकता है. वहीं, कांग्रेस के पार्षद भी नफा-नुकसान के मौके को लेकर वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं. इंडिया गठबंधन के आगे के समीकरण यहां भी असर डाल सकते हैं. राजनीतिक जानकारों ने आशंका जताई है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले चंडीगढ़ नगर निगम में सियासी उलटफेर का एक और चैप्टर खुल सकता है.