David Cameron: ब्रिटेन के नए विदेश मंत्री और पूर्व पीएम डेविड कैमरन के चीन के साथ हमेशा मधुर संबंध रहे हैं. ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक के डेविड कैमरन को विदेश मंत्री नियुक्त करने के फैसले की अब आलोचना भी होने लगी है. कैमरन की नियुक्ति के बाद भारत और ब्रिटेन के रिश्ते की भी बात हो रही है. कैमरन जब 2015 में प्रधानमंत्री थे, उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की राजकीय यात्रा पर मेजबानी की. कैमरन और जिनपिंग ने एक साथ बीयर के मग भी लड़ाए और सेल्फी भी ली थी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

डेविड कैमरन.. यूके के नए पीएम


ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को नया विदेश मंत्री बनाया है. साथ ही भारतीय मूल की अपनी गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन को बर्खास्त कर उनकी जगह जेम्स क्लेवरली को गृह मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी है. सुनक के इन दोनों ही फैसले से ब्रिटेन और भारत के संबंध पर असर पड़ सकता है. वैसे कैमरन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी अच्छे पल शेयर किए हैं. ब्रिटेन दौरे पर पीएम मोदी और कैमरन ने वेंबली में मंच साझा किया था.


चीन से कैमरन की यारी?


अब आपको कैमरन और चीन के संबंध के बारे में बताते हैं. 2010 से 2016 तक यूके के प्रधानमंत्री के रूप में कैमरन ने यूके-चीन संबंधों के "स्वर्ण युग" की शुरुआत की. कई मोर्चों पर चीन के साथ आर्थिक और व्यापार सहयोग को बढ़ावा दिया था. उन्होंने नवंबर 2010 में बीजिंग में चार कैबिनेट मंत्रियों और लगभग 50 ब्रिटिश व्यापारिक नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अक्टूबर 2015 में यूके का दौरा किया, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध चरम पर पहुंच गए.


कैमरन के फैसलों पर उठे थे सवाल


इस साल जुलाई में यूके संसद की खुफिया और सुरक्षा समिति (आईएससी) ने गोपनीय सबूतों का हवाला दिया कि चीन और चीनी ब्रांड में निवेश की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए कैमरन के यूके-चीन निवेश कोष को कुछ हद तक चीनी सरकार द्वारा आयोजित किया गया था. यह भी कहा गया था कि चीन ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में घुसपैठ की है. तब चीनी खतरे का जवाब देने में विफल रहने के लिए ब्रिटिश सरकार की आलोचना की गई थी. यह भी पता चला कि इस साल सितंबर में मध्य पूर्व में कैमरन के भाषण ने चीन के बेल्ट एंड रोड कार्यक्रम के हिस्से के रूप में श्रीलंका में पोर्ट सिटी कोलंबो परियोजना को बढ़ावा दिया था.


सुनक के फैसले की आलोचना


यूके हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य डेविड एल्टन चीन के खिलाफ अपने सख्त रुख के लिए जाने जाते हैं. एल्टन ने भी कैमरन के चीन को लेकर फैसलों पर सवाल उठाए थे. ब्रिटेन स्थित मानवाधिकार संगठन, हांगकांग वॉच में नीति और वकालत के निदेशक सैम गुडमैन ने भी कैमरन पर अपनी चिंता व्यक्त की है. गुडमैन ने कहा था कि चीन के साथ कैमरन के संबंधों और उनके व्यक्तिगत वित्त के बारे में अभी भी बड़े सवाल हैं. क्या उन्हें सीधे चीनी सरकार से पैसा मिल रहा है? यह एक प्रश्न बना हुआ है. ब्रिटिश विदेश नीति के लिए इसका क्या अर्थ है? वह अब विदेश सचिव हैं, यूके में सबसे वरिष्ठ राजनयिक हैं और यूके-चीन संबंधों के प्रभारी होंगे.


2010 से 2016 तक यूके के प्रधानमंत्री रहे


बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री ने विदेश मंत्री के रूप में नियुक्ति के बाद अपनी पहली टिप्पणी में कहा, 'हालांकि मैं पिछले सात वर्षों से मुख्य राजनीति से बाहर हूं, मुझे उम्मीद है कि मेरा अनुभव- ग्यारह वर्षों तक कंजर्वेटिव नेता और छह वर्षों तक प्रधानमंत्री के रूप में- प्रधानमंत्री की मदद करने में मेरी सहायता करेगा.' कैमरन 2010 से 2016 तक प्रधानमंत्री और 2005 से 2016 तक कंजर्वेटिव पार्टी के नेता रह चुके हैं.


(एजेंसी इनपुट के साथ)