Muslim Leaders Fight: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुआ, नतीजे आये, शपथग्रहण हो गया. महायुति की सरकार भी बन गई. पर एक लड़ाई अभी भी मौलानाओं और भाईजान के बीच चल रही है. जमकर वार-पलटवार हो रहे हैं और ये लड़ाई है मुसलमानों का सबसे बड़ा लीडर बनने की. शायद आपका ध्यान इसकी तरफ नहीं गया होगा. पर मुस्लिम लीडर बनने के लिये एक-दो नहीं बल्कि त्रिकोणीय मुकाबला शुरु हो गया है.


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बिना नाम लिए असदुद्दीन ओवैसी ने जिसपर एक के बाद दूसरा अटैक किया वो एक मौलाना हैं. नाम है मौलाना सज्जाद नोमानीऔर मुसलमानों के नाम पर अब भाईजान और मौलाना के बीच बिग फाइट शुरू हो गई है.


मालेगांव से गरजे थे ओवैसी


महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद 1 दिसंबर को ओवैसी महाराष्ट्र के मालेगांव पहुंचे. यही वो सीट है जहां पर ओवैसी की पार्टी को एकमात्र जीत मिली.. और मालेगांव से ओवैसी ने 4 बड़ी बातें कहीं.


ओवैसी ने कहा कि मौलाना सज्जाद नोमानी ने महाविकास अघाड़ी के पक्ष में बयान दिया वो बड़ी गलती थी. ओवैसी ने बताया कि वोट जिहाद का फायदा उठाकर बीजेपी ने अपने पक्ष में चुनाव प्रचार किया. ओवैसी इतने पर ही नहीं रुके, वो बोले कि फतवा या भगवा की लड़ाई से मुसलमानों का बड़ा नुकसान हुआ. और आखिर में बताया कि चुनाव ना लड़नेवाले लोगों को बाहर से ऐलान नहीं करना चाहिए.


नोमानी ने फेंका नहले पर दहला


 कहने की जरूरत नहीं कि यहां ओवैसी ने सीधे-सीधे मौलाना सज्जाद नोमानी को टारगेट किया. महाराष्ट्र में अघाड़ी की हार के साथ ओवैसी ने मुसलमानों की शिकस्त का ठीकरा भी नोमानी पर फोड़ दिया. ओवैसी की बातों का जवाब मौलाना ने भी नहले पर दहला वाले अंदाज में दी.


AIMPLB प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा, 'उनके (ओवैसी) लिए नमाज के बाद दुआएं करता हूं. अल्लाह से मांगता हूं कि उन्हें सलामत रखें और अगर उनसे (ओवैसी) कोई गलती हुई हो तो उनको अपनी गलती की समझ का एहसास दिलाएं. अगर गलती मुझसे हो रही हो तो मुझे सही रास्ता दिखाएं.'


नोमानी ने आगे कहा, 'एक इंटरव्यू में उनके (ओवैसी के) बारे में कहा था कि उनकी (ओवैसी की) वजह से फिरकापरस्त ताकतें (बीजेपी-RSS) ताकतवर हो रही हैं. काश उनका मिजाज मुशावरती (आपस में सलाह करने वाला) होता.'


ओवैसी पर जमकर लगाए आरोप


सज्जाद नोमानी ने खुद ओवैसी की सलामती के लिए दुआ करने की बात की पर साथ ही ये भी कह दिया कि ओवैसी की वजह से सांप्रदायिक ताकतें जीत रही हैं. यानी नोमानी ने बीजेपी की जीत का जिम्मेदार ओवैसी को बता दिया. इससे पहले ओवैसी ने नोमानी से जुड़ा एक किस्सा बताकर पब्लिक के सामने खूब तालियां बटोरीं.


किस्सा बताते हुए ओवैसी ने कहा, 'मेरे घर को आये थे हैदराबाद में. बगैर बोले मेरे घर को आए. मैंने कहा मेरा घर इतना बड़ा नहीं है, आप 20 लोगों को ले लीजिए, वो बात करें, मैंने बात की. लेटर लिखकर दिया कि इनको टिकट दो मैंने कहा मैं गौर करूंगा.' 


ओवैसी ने आगे कहा, 'आप मेरे घर आये ये अल्लाह के वली की कुरान का तर्जुमा है एक-एक के हाथ में दिया. तो औरंगाबाद जाकर बोले हम घर गये हमें चाय तक नहीं पिलाये. अरे आप पहले से बोल देते तो नान खलिया खिला देता मैं आपको.' 


सबसे बड़ा मुस्लिम लीडर बनने की फाइट


तो पढ़ा आपने. एक-दूसरे पर जमकर तीर बरसाये जा रहे हैं.असल में ये फाइट देश में सबसे बड़ा मुस्लिम लीडर बनने की है. महाराष्ट्र चुनाव में ओवैसी ज्यादा सीटें जीतकर इस गद्दी पर बैठना चाहते थे.


लेकिन 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ओवैसी को सिर्फ एक सीट मिली. जबकि 2019 में ओवैसी ने 2 सीटों पर कब्जा किया था.


और ओवैसी इस हार के लिये मौलाना सज्जाद नोमानी एंड कंपनी को जिम्मेदार मानते हैं. चुनाव के नतीजों के बाद ओवैसी का गुस्सा भड़का हुआ था. इसलिये बोलते-बोलते उन्होंने मौलाना को बड़ी चेतावनी दे दी.


बरेलवी भी उतरे लड़ाई में


भाईजान और मौलाना का घमासान चल ही रहा था कि एक और मौलाना इस लड़ाई में अपना परचम लेकर आ गए. इनका नाम है मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी, जो ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष हैं और इन्होंने ओवैसी और नोमानी दोनों को ही खारिज कर दिया.


बरेलवी ने कहा, अगर सही मायने में असदुद्दीन ओवैसी मुसलमान को हितैषी होते तो मुसलमान से राय लेकर आगे कार्रवाई करते. सज्जाद निमानी भी मुसलमान के हितैषी नहीं हैं. क्योंकि जब भी मुसलमान के साथ कुछ भी गलत हुआ इन दोनों नेताओं ने अपना हित साधते हुए सिर्फ उनके मुद्दों से फायदा उठाया है.


क्यों चल रही ये सियासी फाइट


भाईजान और मौलाना की लड़ाई में एक और मौलाना बाजी मारना चाहते हैं. ओवैसी की ख्वाहिश देश का सबसे बड़ा मुस्लिम नेता बनने की है. हर चुनाव में वो मुसलमानों के हितों की बात करते हैं. ओवैसी और नोमानी की सियासी फाइट का मतलब इन आंकड़ों से समझिए


  •  महाराष्ट्र में विधानसभा की करीब 38 सीटों पर मुस्लिम वोटर 20 फीसदी से अधिक हैं.

  • ज्यादातर जगहों पर वो जिस कैंडिडेट का साथ देंगे उसकी जीत पक्की होगी.

  • हालांकि महाराष्ट्र में सिर्फ 10 ही मुस्लिम कैंडिडेट चुनकर आए.

  • मुस्लिम लीडर की गद्दी के लिए फाइट आनेवाले दिनों में और तेज हो सकती है. यानी भाईजान Vs मौलाना के घमासान का अगला चैप्टर जल्द आ सकता है