भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने हरियाणा विधानसभा की <<90 सीटों में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं,कांग्रेस के खाते में 37 सीटें आई. बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार के साथ ही देश का सियासी पारा हाई हो गया है और आने वाले महीनों में महाराष्ट्र में होने वाले चुनाव से पहले शिवसेना (यूबीटी) आंख तरेरने लगी है. शिवसेना की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने पहले कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा के खिलाफ सीधे मुकाबले में देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कमजोर पड़ जाती है. हालांकि, अब उन्होंने सफाई दी है और कहा है कि हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार का महाराष्ट्र पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बता दें कि अगले महीने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है.


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सीएम का फेस घोषित करने पर जोर दे रही शिवसेना


महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के बीच सीट बंटवारे को लेकर इन दिनों बातचीत जारी है. शिवसेना (यूबीटी) सीट बंटवारे में अपनी बड़ी भूमिका के साथ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा भी पहले घोषित करने पर जोर दे रही है. वहीं, लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में एमवीए के सबसे बड़े घटक के रूप में उभरने के बाद से कांग्रेस विधानसभा चुनाव में भी सीट बंटवारे में अपनी बड़ी हिस्सेदारी की उम्मीद लगाए हुए थी. लेकिन, अब हरियाणा चुनाव में हार के बाद पार्टी की अंदरुनी गुटबाजी को भी कांग्रेस की एक कमजोर कड़ी के रूप में सामने ला दिया है.


क्या हरियाणा से अलग है महाराष्ट्र की राजनीति?


प्रियंका चतुर्वेदी ने दावा किया कि हरियाणा के विपरीत, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति 'धोखाधड़ी' के जरिए सत्ता में है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लोग इस बात को पसंद नहीं करते हैं कि दो पार्टियों (शिवसेना और राकांपा) को तोड़ा गया, जिसके कारण कई राजनीतिक संगठन बन गए. शिवसेना (यूबीटी) नेता ने दावा किया कि ऐसा लगता है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख एवं उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर भाजपा भरोसा नहीं करती है.


तो क्या महाराष्ट्र में सीट बंटवारे पर नहीं होगा असर?


कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के नेता बालासाहेब थोराट ने कहा कि अगले महीने प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के लिए महा विकास आघाडी (MVA) सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे पर बातचीत अंतिम चरण में है और एक-दो दिन में तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी. कांग्रेस विधायक दल (CLP) के नेता ने बात करते हुए कहा कि फिलहाल 50 से 60 विधानसभा सीट पर चर्चा जारी है. बाकी सीट पर आम सहमति बन गई है.


राकांपा (एसपी) नेता अनिल देशमुख अपनी पार्टी की ओर से अन्य लोगों के साथ बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लगभग 15 प्रतिशत सीट पर सहयोगी दलों द्वारा निर्णय लिया जाना बाकी है. राज्य के पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि एमवीए के मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर कोई विवाद नहीं है, लेकिन इस समय इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हो रही है. कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर फैसला पार्टी हाईकमान द्वारा लिया जाएगा.


शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के इस बयान पर कि वह कांग्रेस और राकांपा (एसपी) द्वारा सुझाए गए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए तैयार हैं, पटोले ने कहा कि मुझे नहीं पता कि उन्होंने क्या कहा। इसका फैसला हाईकमान करेगा. हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बारे में पूछे जाने पर पटोले ने कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में अंतर है.


कांग्रेस ने महाराष्ट्र में सहयोगियों को दिलाई गठबंधन धर्म की याद


कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद महाराष्ट्र में अपने सहयोगियों को गठबंधन धर्म याद दिलाई और कहा कि लोकसभा चुनाव में प्रदेश में वह सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि गठबंधन के सहयोगियों को आपसी बात मीडिया में नहीं, एक दूसरे से करनी चाहिए. शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद कथित तौर पर कहा था कि जहां भी भाजपा से सीधा मुकाबला होता हैं वहां कांग्रेस कमजोर पड़ जाती है.


जयराम रमेश इस कथित टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा, 'मैं याद दिलाना चाहता हूं कि लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में कांग्रेस पहले स्थान पर थी. बंधन का एक धर्म होता है, जो आपस की बात होती है वो एक दूसरे से बोलते हैं मीडिया के माध्यम से नहीं बोलते.' उन्होने यह भी कहा, 'महाराष्ट्र में गठबंधन को मजबूत करना हमारा कर्तव्य बनता है और हम अपने साथी दलों के बारे में कुछ नहीं कहेंगे.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)