Nitrate in Groundwater: केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि देश के 440 जिलों के भूजल में 'नाइट्रेट' का हाई लेवल पाया गया है, जो सेहत के लिए खतरनाक है.
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Science News in Hindi: भारत के 440 जिलों के भूजल (ग्राउंडवाटर) में 'नाइट्रेट' का हाई लेवल पाया गया है. केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी. बोर्ड ने बताया कि एकत्र किए गए नमूनों में से 20 प्रतिशत में 'नाइट्रेट' का कंसंट्रेशन सीमा से अधिक है. 'नाइट्रेट' कंटामिनेशन पर्यावरण और स्वास्थ्य के मद्देनजर गंभीर चिंता का विषय है, खास कर उन क्षेत्रों में जहां 'नाइट्रोजन' आधारित उर्वरकों एवं पशु अपशिष्ट का उपयोग किया जाता है.
'वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट - 2024' से यह भी पता चला कि 9.04 प्रतिशत नमूनों में 'फ्लोराइड' का स्तर भी सुरक्षित सीमा से अधिक था, जबकि 3.55 प्रतिशत नमूनों में 'आर्सेनिक' संदूषण पाया गया. मई 2023 में भूजल की गुणवत्ता की जांच के लिए देश भर में कुल 15,259 निगरानी स्थानों को चुना गया. इनमें से 25 प्रतिशत कुओं (बीआईएस 10500 के अनुसार सबसे अधिक जोखिम वाले) का विस्तार से अध्ययन किया गया.
WHO और BIS के मानकों से खतरनाक लेवल
मॉनसून से पहले और बाद में 4,982 स्थानों से भूजल का नमूना लिया गया. रिपोर्ट में पाया गया कि जल के 20 प्रतिशत नमूनों में नाइट्रेट की सांद्रता 45 मिलीग्राम प्रति लीटर (एमजी/एल) की सीमा को पार कर गई, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा पेयजल के लिए निर्धारित सीमा है.
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किस राज्य में क्या है नाइट्रेट का लेवल?
राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु में 40 प्रतिशत से अधिक नमूनों में नाइट्रेट सीमा से ऊपर था, जबकि महाराष्ट्र के नमूनों में कंटामिनेशन 35.74 प्रतिशत, तेलंगाना में 27.48 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 23.5 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 22.58 प्रतिशत था. उत्तर प्रदेश, केरल, झारखंड और बिहार में कंटामिनेशन का प्रतिशत कम पाया गया. अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड में सभी नमूने सुरक्षित सीमा के भीतर थे. CGWB ने कहा कि, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में 'नाइट्रेट' का स्तर 2015 से स्थिर बना हुआ है. हालांकि, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और हरियाणा में 2017 से 2023 तक कंटामिनेशन में इजाफा देखा गया है.
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भूजल में घुला नाइट्रेट, फ्लोराइड और यूरेनियम
क्यों हमारी सेहत के लिए खतरा हैं ये तत्व?
हाई 'नाइट्रेट' लेवल शिशुओं में 'ब्लू बेबी सिंड्रोम' जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है और यह पानी पीने के लिए असुरक्षित है.
लंबे समय तक फ्लोराइड और आर्सेनिक संदूषकों के संपर्क में रहने से गंभीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं. फ्लोराइड के कंटामिनेशन से फ्लोरोसिस और आर्सेनिक के संदूषण से कैंसर या त्वचा के घाव हो सकते हैं.
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यूरेनियम के लगातार संपर्क में रहने से गुर्दों को नुकसान हो सकता है. राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में भी यूरेनियम का सांद्रण भूजल में अधिक पाया गया है. (भाषा इनपुट)