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मिडिल ईस्ट में तनाव के बीच ईरान के उप विदेश मंत्री डॉ तखत रानावची आज भारत की यात्रा पर आ रहे हैं. ईरानी अधिकारियों के मुताबिक दोनों देशों के बीच ऊर्जा और गैर-ऊर्जा सेक्टरों में द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ोतरी, संचार और पर्यटन में सुधार, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सिक्योरिटी विषयों पर चर्चा एवं चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट के पूरे होने पर बात होगी. ईरान की न्यूज एजेंसी IRNA के मुताबिक उप विदेश मंत्री की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 19वें राउंड की बातचीत में इन विषयों पर चर्चा होगी.
भारत-ईरान संबंध
भारत और ईरान के बीच सदियों से संपर्क रहा है. 15 मार्च, 1950 को दोनों देशों के बीच मित्रता संधि हुई थी. अप्रैल, 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ईरान की यात्रा की थी और तेहरान घोषणापत्र जारी हुआ था. उसके बाद ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति सैयद मोहम्मद खातमी ने भारत की यात्रा और 2003 में नई दिल्ली घोषणापत्र जारी होने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए. इन दोनों दस्तावेजों में परस्पर सहयोग के मुद्दों की पहचान करते हुए भविष्य के लिए द्विपक्षीय रणनीतिक विजन का एजेंडा पेश किया गया.
उसके बाद पीएम मोदी ने 2016 में जब ईरान की यात्रा की तो दोनों देशों के संबंधों के बीच प्रगति हुई. उस दौरान 'सिविलाइजेशनल कनेक्ट, कंटमपेरोरी कांटेक्स्ट' शीर्षक से संयुक्त बयान जारी हुआ और 12 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. उस दौरान भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच ट्रेड, ट्रांसपोर्ट और ट्रांजिट को लेकर त्रिपक्षीय समझौता हुआ. उसके बाद फरवरी, 2018 में राष्ट्रपति रूहानी ने भारत की यात्रा की और 13 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.
सिर्फ इतना ही नहीं दोनों देशों ने संबंधों को आगे बढ़ाते हुए स्पीकर लेवल की यात्राएं पर भी कीं. लोकसभा की तत्कालीन स्पीकर मीरा कुमार ने 2011 में ईरान की यात्रा की और उसके बदले ईरान की मजलिस के स्पीकर डॉ अली लारीजानी ने 2013 में भारत की यात्रा की.
उसके बाद पीएम मोदी और ईरानी राष्ट्रपति रईसी ने 2022 में समरकंद में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय मुलाकात की. इस दौरान दोनों नेताओं ने ट्रेड और कनेक्टिविटी को लेकर द्विपक्षीय सहयोग के लिए प्रतिबद्धता को दोहराया. उसके बाद अगस्त, 2023 में भी दोनों नेताओं की ब्रिक्स समिट से इतर मुलाकात हुई थी.