Process of lok sabha speaker election: लोकसभा चुनाव 2024 की चुनावी प्रक्रिया संपन्न होने और प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह के बाद अब बारी लोकसभा स्पीकर चुनने की है. लोकसभा सचिवालय की ओर से बताया गया है कि इस महीने की 26 तारीख को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होना है. इसके लिए सदस्यों द्वारा उम्मीदवारों के समर्थन वाले प्रस्तावों का नोटिस एक दिन पहले दोपहर 12 बजे लोकसभा सचिवालय में जमा किए जा सकते हैं. यानी मंगलवार यानी 25 जून को दोपहर 12 बजे तक सचिवालय में नोटिस ऑफ मोशन दिया जा सकता है.


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कैसे होता है लोकसभा स्पीकर का चुनाव


भारत के संविधान में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के साथ-साथ विधानसभा और लोकसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर जैसे पदों का वर्णन है. लोकसभा के लिए अनुच्छेद 93 और राज्य की विधानसभाओं के लिए अनुच्छेद 178 में कहा गया है कि सदन जितनी जल्दी हो सके अपने दो सदस्यों को स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के रूप में चुनेंगे.


संविधान में इन चुनावों के लिए न तो कोई समय सीमा निर्धारित है और ना ही किसी तरह की प्रक्रिया का उल्लेख है. यह सदन पर निर्भर है कि वह स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव कैसे करते हैं. लोकसभा के स्पीकर के चुनाव के लिए राष्ट्रपति तो विधानसभा के स्पीकर के चुनाव के लिए राज्यपाल तारीख निर्धारित करता है. इसके बाद स्पीकर डिप्टी स्पीकर के चुनाव की तारीख तय करते हैं. चुनाव में सदन से सदस्य अपने बीच से ही किसी एक को इन पदों के लिए चुनते हैं.


आमतौर पर स्पीकर चुने जाने के लिए सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत की जरूरत होती है. इसलिए, आमतौर पर सत्तारूढ़ दल का सदस्य ही स्पीकर बनता है. संविधान में प्रावधान है कि अध्यक्ष का पद कभी खाली नहीं होना चाहिए. इसलिए मृत्यु या इस्तीफे की स्थिति को छोड़कर वह अगले सदन की शुरुआत तक उस पद पर बना रहेगा.


लोकसभा की पहली बैठक से पहले वर्तमान स्पीकर देंगे इस्तीफा


24 जून को होने वाली नई लोकसभा की पहली बैठक से ठीक पहले वर्तमान लोकसभा स्पीकर ओम बिरला अपने पद से इस्तीफा देंगे. इस स्थिति में स्पीकर की जिम्मेदारियां प्रोटेम स्पीकर निभाता है जो चुने हुए सांसदों में सबसे वरिष्ठ होता है. प्रोटेम स्पीकर एक अस्थायी स्पीकर होता है जिसे संसद में कार्यवाही संचालित करने के लिए सीमित समय के लिए नियुक्त किया जाता है. नई लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता और नए सदस्यों को शपथ दिलाने का काम प्रोटेम स्पीकर करता है.


लोकसभा के स्पीकर के लिए चुनाव और मतदान कराने की जिम्मेदारी भी प्रोटेम स्पीकर की होती है. जैसे ही नए स्पीकर का चुनाव हो जाता है, प्रोटेम स्पीकर का पद समाप्त हो जाता है.