India-Israel Relation: इजरायल के प्रति हाल के समय भारत और कई पश्चिमी राष्ट्रों का रुख भले ही नरम हुआ हो लेकिन अतीत में ऐसा नहीं था. यह बात सही है कि इजरायल ने अपनी मान्यता स्थापित करने के लिए काफी मेहनत की है लेकिन फिलिस्तीनियों के हक के लिए दुनियाभर ने आवाज उठाई है. भारत भी उनमें से एक था. भारत-इजरायल संबंधों के इतिहास में एक ऐसे वाकये का जिक्र आता है जिसे जानकर शायद आप भी भौचक्के हो जाएंगे. वह तारीख थी 19 मई, 1960 जब इजरायल की वायु सेना ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को ले जा रहे संयुक्त राष्ट्र के विमान को रोक दिया था. यह एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय घटना थी. असल में नेहरू उस समय राष्ट्रमंडल प्रधानमंत्रियों के सम्मेलन से लौट रहे थे. गाजा में उतरने के लिए वे संयुक्त राष्ट्र के विशेष विमान में सवार थे. बताया जाता है कि इजरायली अधिकारियों ने नेहरू की यात्रा के बारे में जानने के बाद भी उनके विमान को रोकने का फैसला किया. इजरायली वायु सेना के दो जेट लड़ाकू विमानों ने संयुक्त राष्ट्र के विमान को बेहद खतरनाक तरीके से रोक दिया.


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'इजरायली सैनिकों ने खेल रच दिया'
रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम नेहरू उस समय गाजा में यूएन द्वारा स्थापित संयुक्त राष्ट्र आपातकालीन सेना (यूएनईएफ) के शांति प्रयासों का समर्थन जताने के लिए गाजा उतरने वाले थे. ऐसे में उन्हें इजरायली क्षेत्र से गुजरना था. संयोग से उस समय यूएनईएफ के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम सिंह ज्ञानी थे, जो उस रेजिमेंट में नियुक्त होने वाले पहले भारतीय अधिकारी थे. वे 1959 से जनवरी 1964 तक गाजा में यूएनईएफ के कमांडर रहे. राष्ट्रमंडल प्रधानमंत्रियों के सम्मेलन से लौटते समय नेहरू गाजा का दौरा कर रहे थे. गाजा में उतरने के लिए संयुक्त राष्ट्र के विमान को थोड़ी देर के लिए इजरायली क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरना जरूरी था. और यहीं पर इजरायली सैनिकों ने खेल रच दिया. 


इजरायली जेट खतरनाक तरीके से पहुंचे
वैसे तो गाजा में उड़ान भरने वाले संयुक्त राष्ट्र के विमानों के लिए उस समय एक रेगुलर अभ्यास था और इजरायलियों को इसकी जानकारी थी, लेकिन जब उनको जानकारी लगी कि इसमें भारत के पीएम नेहरू हैं तो उन्होंने विमान को रोक दिया. बताया जाता है कि इजरायली वायु सेना के दोनों जेट बहुत ही खतरनाक तरीके से संयुक्त राष्ट्र्र के प्लेन के पास कलाबाजी करने लगे जिसमें नेहरू सवार थे. उन्हें रोकने का प्रयास किया गया, काफी देर तक हवा में ही रोके भी रखा लेकिन आखिरकार बाद में जब विमान लैंड हुआ तो पूरी दुनिया में चर्चा हो गई. सयुंक्त राष्ट्र ने भी संज्ञान लिया. नेहरू ने सिर्फ इतना बयान दिया कि यह बहुत ही खतरनाक अभ्यास था. चूंकि नेहरू की इस यात्रा का आयोजन यूएन की तरफ से था इसलिए भारत ने अपने आधिकारिक बयान में ज्याद कुछ ना कहते हुए सिर्फ इतना कहा कि इस मामले को संयुक्त राष्ट्र पर छोड़ दिया गया है.


इजरायल ने अपनी सफाई में क्या कहा
उधर इजरायल के इस कृत्य की आलोचना ना सिर्फ संयुक्त राष्ट्र ने की बल्कि अन्य कई देशों ने भी की. नेहरू की यात्रा के बाद इजरायल ने अपनी सफाई में कहा कि उसने विमान को रोका क्योंकि उसे डर था कि यह एक जासूसी मिशन हो सकता है. फिलहाल भारत ने इस दावे का खंडन किया था. हालांकि, इस घटना ने अरब-इजरायल शांति प्रयासों में  भारत की भूमिका को प्रभावित नहीं किया. पीएम नेहरू ने शांति की दिशा में काम करना जारी रखा और भारत ने 1967 के युद्ध के बाद भी गाजा में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में अपनी भागीदारी जारी रखी.


भारत ने ज्यादा तूल नहीं दिया
तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव डैग हैमरस्कजॉल्ड ने इस घटना की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया था. उन्होंने कहा कि यह बेहद 'गलत और अनुचित' था. उन्होंने इजरायल से इस घटना की जांच करने और जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने की मांग की थी. इसके बाद भी इजरायल ने कह दिया कि उसने विमान को गलत तरीके से नहीं रोका था. उसने यह भी कह दिया था कि उसके पास विमान को रोकने का अधिकार था क्योंकि विमान ने इजरायली क्षेत्र में उड़ान भरी थी. इजरायल ने यह भी आरोप लगाया कि विमान में मिस्र के सैनिक भी सवार थे. फिलहाल इस मामले को बाद में भारत ने कोई तूल नहीं दिया था. (नोट- इस खबर को लिखने में एआई का भी सहयोग लिया गया है) (Photo-UN archives)