Israel-Iran: इजरायल और ईरान में जंग छिड़ी तो कौन किस पर पड़ेगा भारी? किसके पास कितनी ताकत, युद्धपोत-टैंकों का ब्योरा
Comparing Israel and Iran Military Doctrine and Strategy: ईरान समर्थित आतंकवादी संगठन हिज्बुल्लाह पर इजरायल के लगातार घातक हमले के बाद पश्चिम एशिया में युद्ध की एक और सूरत साफ दिख रही है. ईरान ने इजरायल पर बड़े हमले की धमकी दी है. हालांकि, दोनों देशों के बीच कई बार युद्ध की स्थिति बनते-बनते रुक चुकी है.
Iran-Israel Military Strength Comparison: दुनिया के शिया मुस्लिम बहुल मुल्क ईरान और एकमात्र यहूदी देश इजरायल के बीच कई दशकों से बना तनाव अब अपने नेक्स्ट लेवल पर पहुंच चुका है. हालांकि, कई बार दोनों देश युद्ध के कगार पर आकर संभल चुके हैं. लेकिन इस बार ईरान समर्थित आतंकवादी संगठन हिज्बुल्लाह पर इजरायल के लगातार घातक हमले ने जंग के आसार को बढ़ा दिया है.
इजरायल के सीक्रेट ऑपरेशंस से बुरी तरह बौखलाया ईरान
अलग-अलग देशों में इजरायल के एक के बाद सीक्रेट ऑपरेशंस से और खासकर साल 2022 के बाद से बुरी तरह बौखलाया ईरान कभी भी जंग छेड़ने के मूड में है. वहीं, युद्ध के लिए हमेशा तैयार इजरायल हमास और हिजबुल्लाह को लगभग निपटा देने के बाद किसी भी दूसरे दुश्मन से निर्णायक जंग की रणनीति बनाने में जुटा हुआ है. इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र की जनरल एसेंबली में हालिया भाषण में अपना मकसद पूरी तरह साफ कर दिया है.
रूस-यूक्रेन, इजराइल-हमास-हिजबुल्लाह के बाद नई जंग?
दूसरी ओर, ईरान के सबसे बड़े नेता अयातुल्ला अली खामनेई भी लंबे समय से इजरायल के साथ युद्ध के सभी पहलुओं पर गौर कर रहे हैं. क्योंकि उनके सामने इजरायल के समर्थन में अमेरिका के आगे आने की चुनौती है. इस तरह, रूस-यूक्रेन, इजराइल- हमास -हिजबुल्लाह जैसे युद्ध झेल रही दुनिया अब तीसरे बड़े युद्ध के मुहाने पर खड़ी है. आइए, जानते हैं कि इजरायल और ईरान में जंग छिड़ी तो कौन किस पर भारी पड़ेगा? किसके पास कितनी ताकत है?
चार दशकों से प्रॉक्सी वॉर में शामिल है इजरायल और ईरान
रिपोर्ट के मुताबिक, चार दशकों से ज्यादा समय से प्रॉक्सी वॉर में शामिल इजरायल और ईरान कभी खुलकर युद्ध के मैदान में दो-दो हाथ करने के लिए सामने नहीं आए हैं. फिर भी एक-दूसरे के खिलाफ अपनी सैन्य ताकत और रणनीति बनाते रहे हैं. इजरायल की 95.6 लाख की आबादी के मुकाबले ईरान में 8.86 करोड़ लोग रहते हैं. इसलिए ईरान के पास सैनिक अधिक हैं. लेकिन आधुनिक रक्षा तकनीकों के मामले में इजरायल उससे कई गुना आगे है.
मिलिट्री रैंकिंग में ईरान 14वें तो 17वें नंबर पर है इजरायल
ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स 2024 के मुताबिक, मिलिट्री रैंकिंग में दुनिया भर में ईरान 14वें और इजरायल 17वें नंबर पर है. मौजूदा समय में इजरायल के पास कुल 169,500 एक्टिव और 465,000 रिजर्व सैनिक हैं. वहीं, ईरान के पास 610,000 एक्टिव और 350,000 रिजर्व सेना है. ईरान के पास 2.20 लाख जवानों की पैरा-मिलिट्री है, जबकि इजरायल के पास मात्र 35 हजार पैरा- सैनिक हैं. टैंक और तोपों के मामले में भी ईरान बेहतर स्थिति में है. हालांकि, दोनों देशों के बीच की दूरी के चलते यह उतना प्रासंगिक नहीं है.
ईरान के पास मिसाइलें ज्यादा, इजरायल के पास आयरन डोम
रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के पास मिसाइलें ज्यादा हैं, तो इजरायल के पास दुनिया बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम है. इजरायल का आयरन डोम किसी भी तरह के हवाई हमले को 90 फीसदी तक रोक देता है. इजरायल के पास वायु, थल और नौसैनिक भी ईरान से ज्यादा हैं. ईरान के पास 42 हजार एयरफोर्स हैं तो इजरायल के पास 89 हजार. ईरान के पास 3.50 लाख थल सैनिक हैं तो इजरायल के पास 5.26 लाख. ईरान के पास कुल 18,500 नौसैनिक हैं तो इजरायल के पास 19,500 नौसैनिक हैं.
वायुसेना में ईरान के मुकाबले काफी आगे है इजरायल
ईरान की वायुसेना के पास 551 एयरक्राफ्ट रिजर्व और 358 एक्टिव हैं. इजरायल के पास 612 रिजर्व और 490 एक्टिव एयरक्राफ्ट हैं. ईरान के पास 186 फाइटर जेट्स हैं. इनमें से 121 हर समय हमले के लिए तैयार रहते हैं. इजरायल के पास 241 फाइटर जेट्स हैं, जिनमें से 193 हमले के लिए हमेशा रेडी रहते हैं. ईरान के पास 86 ट्रांसपोर्ट विमान हैं, जिनमें से 56 एक्टिव हैं. इजरायल के पास 12 हैं, जिनमें से 10 एक्टिव हैं. दो स्टॉक में है.
ईरान के पास 102 ट्रेनर्स एयरक्राफ्ट हैं तो इजरायल के पास 155 ट्रेनर्स एयरक्राफ्ट हैं. ईरान के पास 129 हेलिकॉप्टर्स हैं, जिनमें से 84 रेडी मोड में हैं. वहीं, इजरायल के पास 146 हेलिकॉप्टर्स हैं, जिनमें से 117 एक्टिव मोड में हैं. ईरान के पास 13 अटैक हेलिकॉप्टर हैं. इजरायल के पास 48 हमलावर हेलीकॉप्टर हैं. हालांकि, इजरायल में हवाई ऑपरेशंस के लिए 42 हवाई अड्डे हैं. वहीं, ईरान के पास इनकी तादाद 310 है.
प्रतिबंधों के चलते अपडेट नहीं हो पा रही ईरानी वायुसेना
सिर्फ संख्या ही नहीं, बल्कि लड़ाकू विमानों की क्वालिटी और अपडेशन के मामले में भी इजरायल अपने दुश्मन ईरान से काफी आगे है. क्योंकि दशकों के प्रतिबंधों के कारण ईरान अपनी वायुसेना के बेड़े का सही से अपडेट नहीं कर पा रहा है. वहीं, इजरायल की वायु सेना मध्य पूर्व की सबसे ताकतवर वायु सेना मानी जाती है. इसीलिए ईरान ने मिसाइल और ड्रोन को विकसित करने पर फोकस किया हुआ है.
टैंक और आर्टिलरी के मामले में ईरान से पीछे इजरायल
ईरान के पास कुल 1996 टैंक हैं, जिनमें से 1397 इस समय जंग के लिए तैयार हैं. इजरायल के पास 1370 टैंक हैं, जिनमें से 1096 टैंक जंग के लिए रेडी हैं. ईरान के पास 65,765 सैन्य वाहन हैं, जिनमें से 46 हजार से ज्यादा एक्टिव हैं. इजरायल के पास 43,407 सैन्य वाहन हैं, जिनमें से 34,736 एक्टिव मोड में हैं.
ईरान के पास 580 सेल्फ-प्रोपेल्ड आर्टिलरी हैं. इसमें से 406 एक्टिव सर्विस में हैं. बाकी स्टॉक में रखे हैं. वहीं, इजरायल के पास 650 सेल्फ-प्रोपेल्ड आर्टिलरी हैं. इनमें से 540 जंग के लिए तैयार हैं. ईरान के पास 2050 खींचने वाली आर्टिलरी हैं. वहीं, इजरायल के पास सिर्फ 300 खींचने वाली आर्टिलरी है. ईरान के पास 775 मल्टी-लॉन्चर रॉकेट सिस्टम है. इजरायल के पास इसकी संख्या महज 150 है.
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नौसेना के मामले में भी इजरायल से ज्यादा है ईरान की ताकत
नौसेना के मामले में तुलना करें तो रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के पास कुल 101 नौसैनिक एसेट्स हैं. इजरायल के पास 67 हैं. दोनों देशों के पास कोई भी एयरक्राफ्ट कैरियर या हेलिकॉप्टर कैरियर नहीं हैं. न ही डेस्ट्रॉयर्स हैं. ईरान के पास सात फ्रिगेट है. इजरायल के पास ये नहीं है. ईरान के पास तीन कॉर्वेट्स हैं. इसके मुकाबले इजरायल के पास 7 कॉर्वेट्स हैं. ईरान के पास 19 सबमरीन है. इजरायल के पास 5 सबमरीन हैं. ईरान के पास 21 पेट्रोल वेसल है. इस मामले में इजरायल आगे है. उसके पास 45 पेट्रोल वेसल हैं.
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इजरायल के पास 30 से 50 घातक परमाणु बम होने की चर्चा
और अंत में, परमाणु ताकत की बात करें तो इजरायल के पास ये ब्रह्मास्त्र की तरह है. हालांकि, इजरायल ने कभी भी खुलकर इस बारे में कुछ कबूल नहीं किया है. लेकिन माना जाता है कि उसके पास 30 से 50 तक परमाणु बम हैं. अपने अस्तित्व पर खतरा होने की स्थिति में वह इसका इस्तेमाल कर सकता है. इसके अलावा, इजरायल की जासूसी दस्ता मोसाद भी अपनी क्षमता के लिए काफी मशहूर है. ईरान समेत तमाम इस्लामिक देशों के लिए इजरायल से जंग न करने की एक वजह इजरायल के साथ अमेरिका की ताकत का जुड़ा होना भी है.
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