Kamal Nath Political Journy: वो दौर जब देश की राजनीति इमरजेंसी के इर्द गिर्द घूम रही थी. गांधी-नेहरू परिवार के लाडले बेटे संजय गांधी की तस्वीरें देश भर के अखबारों के किसी ना किसी पन्ने में जरूर दिखाई पड़ जाती थीं. संजय की उन तस्वीरों में एक घने काले बालों वाला उनका एक युवा साथी भी उनके इर्द गिर्द एकदम ढाल की तरह दिखाई देता था, कभी संजय के बाएं तो कभी संजय के दाएं.. कई बार तो वही लड़का उनकी जीप की ड्राइविंग सीट पर भी होता था. इस युवा का नाम कमलनाथ था. फिर कुछ सालों के अंदर एक तारीख आती है, 13 दिसंबर 1980. इस दिन मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक चुनावी मंच पर इंदिरा गांधी मौजूद होती हैं. मंच से वो छिंदवाड़ा और मध्य प्रदेश की जनता को कहती हैं कि ये राजीव और संजय के बाद मेरे तीसरे बेटे हैं. इंदिरा का इशारा कमलनाथ की तरफ था.


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असल में इंदिरा ने कमलनाथ को यूं ही नहीं अपना तीसरा बेटा कह दिया था. देश इमरजेंसी देख चुका था, उसी इमरजेंसी ने इंदिरा को सिंहासन से नीचे उतार दिया था. उसके बाद गांधी परिवार का संघर्ष का दौर शुरू हुआ था. संजय..राजीव और खुद इंदिरा सिस्टम के निशाने पर थे. ऐसे में कमलनाथ कुछ उन लोगों में थे को संजय गांधी के साथ साये की तरह थे. यहां तक कि 1979 में जनता पार्टी की सरकार के दौरान का एक किस्सा मशहूर है जब संजय गांधी को एक मामले में कोर्ट ने तिहाड़ जेल भेज दिया तो कमलनाथ ने जानबूझकर जज से लड़ाई कर ली. लड़ाई इसलिए ताकि वो भी संजय के साथ जेल चले जाएं. 


संजय गांधी से तगड़ी यारी.. कांग्रेस ने सब कुछ दिया
कमलनाथ जब दून कॉलेज में पढ़ते थे तब उनकी दोस्ती संजय गांधी से हुई थी और फिर संजय ही उनको राजनीति में ले आए. फिर कमलनाथ का चुनावी सफर 1980 से शुरू हुआ और तभी से वे छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से जीतते आए हैं. 2018 तक वे सांसद रहे और फिर उसी साल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने. कांग्रेस ने क्या कुछ नहीं दिया उन्हें. संजय के बाद राजीव से दोस्ती हुई. राजीव के बाद फिर सोनिया के भी करीबी रहे, केंद्र के तमाम विभागों के मंत्री रहे.. राहुल ने सिंधिया की जगह मुख्यमंत्री ही बना दिया. लेकिन अब जबकि कांग्रेस मझधार में है तो वे इसलिए चर्चा में हैं कि कांग्रेस से नाराज बताए जा रहे हैं और बीजेपी के संपर्क में हैं. 


छिंदवाड़ा को मॉडल बनाया.. खुद को बिजनेसमैन भी बनाया
किसी जमाने में छिंदवाड़ा बहुत ही पिछड़ा इलाका हुआ करता था. लोगों को ब्रेड खरीदने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती थी. लेकिन पिछले चार दशकों में छिंदवाड़ा का कायाकल्प हुआ है. अब यहां बड़े-बड़े ब्रांड्स के शोरूम खुल गए हैं. कौशल विकास के लिए कई केंद्र बनाए गए.कमलनाथ की राजनीति की एक सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने छिंदवाड़ा से बेइंतिहा मोहब्बत की. उन्होंने छिंदवाड़ा को वह सब दिया जो कोई भी नेता अपने गृह जिले या अपनी सीट को देना चाहता है. साल 1980 से कमलनाथ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से लगातार जीतते आए. एक बार पटवा ने हराया लेकिन उपचुनाव में फिर जीत गए. खुद को एक बिजनेसमैन के रूप में भी स्थापित किया. 


कमल नाथ की पारिवारिक जड़ें यूपी के कानपुर से जुड़ी हैं. कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन.. दून कॉलेज में भी पढ़ाई. फिर उन्होंने छिंदवाड़ा को कर्मभूमि बनाई. 1973 में अलका नाथ से शादी.. दो बेटे नकुलनाथ और बकुलनाथ, जब सीएम बने तो छिंदवाड़ा से नकुलनाथ को सांसद बनाया, बकुलनाथ बिजनेस देखते हैं और विदेशों में ज्यादा रहते हैं. कुछ लोग तो बकुलनाथ को एनआरआई भी मानने लगे हैं. वो लाइमलाइट से दूर रहे हैं.


फिर 40 साल बाद अचानक कैसे बन गई दूरी?
सवाल यह है कि अचानक कांग्रेस से इतनी दूरी कैसे बन गई है. मध्य प्रदेश में पिछला दो विधानसभा चुनाव उनके ही नेतृत्व में कांग्रेस ने लड़ा. 2018 में कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि बीजेपी 109 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी. कमलनाथ ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, बेटे नकुलनाथ को उपचुनाव में छिंदवाड़ा की बागडौर देकर सांसद बनाया. लेकिन अचानक सिंधिया की बगावत के बाद बाजी पलट गई. 15 महीने में ही उनकी सरकार गिर गई थी. फिर 2023 उनके नेतृत्व में लड़ा गया, लेकिन इस बार बीजेपी ने 163 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया, जबकि कांग्रेस 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. इसके बाद उनसे सारी जिम्मेदारी ले ली गई.. कांग्रेस का मानना है कि कमलनाथ की वजह से चुनाव में हार मिली. बस तभी से नाराजगी और दूरी बढ़नी शुरू हुई.


अब आगे क्या होगा?
ऐसे समय में जब 2024 का लोकसभा चुनाव सिर पर है.. मोदी मैजिक का तूफान विपक्षियों के लिए भयानक साबित हो रहा है तो कमलनाथ को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया. कमलनाथ पहले भी कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व के झंडाबरदार रहे हैं, अब वो खुलकर सामने आ गए हैं. बेटे नकुलनाथ को लेकर दिल्ली उस समय पहुंचे जब बीजेपी की बड़ी बैठक हो रही है. सूत्र बता रहे हैं कि वे भगवा चोला पहनने वाले हैं और नकुलनाथ का भविष्य वहीं देख रहे हैं. ऐसे में अब गेंद कमलनाथ के पाले में है. इधर ये दिल्ली में हैं, उधर उनके समर्थक भोपाल में कांग्रेस को आंख दिखा रहे हैं. इस महिमा का भी पटाक्षेप खुद कमलनाथ ही करेंगे.