Explainer: फॉसिल फ्यूल पर एकजुट हुए OPEC देश, क्या है पूरा मामला जिस पर भारत ने किया इंकार?
What is Fossil Fuel: ओपेक सदस्य जलवायु परिर्तन के लिए COP28 में फॉसिल फ्यूल को स्टेप बॉय स्टेप खत्म करने पर जोर दे रहे हैं. मेजबान संयुक्त अरब अमीरात ने सभी प्रतिनिधि देशों से समझौते के लिए अपने मतभेदों को दूर करने की गुजारिश की है.
Fossil Fuel at COP 28: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में 30 नवंबर से लेकर 12 दिसंबर तक COP28 देशों की मीटिंग चल रही है. इस बैठक का मकसद जलवायु परिवर्तन से जुड़ा है. इस समिट में फॉसिल फ्यूल (Fossil Fuel) को लेकर चर्चा हो रही है. COP28 मीटिंग में पहुंचे अधिकारियों की तरफ से फॉसिल फ्यूल को लेकर अपने-अपने तर्क दिये जा रहे हैं. दूसरी तरफ ओपेक (OPEC) के सदस्य देशों की तरफ से किसी भी प्रकार के COP28 समझौते को अस्वीकार करने का आग्रह किया जा रहा है. इस सम्मेलन में रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) कैपेसिटी को 2030 तक तीन गुना करने की बात कही जा रही है. जिस पर साइन करने से भारत और चीन ने इंकार कर दिया.
आपसी मतभेद दूर करने की गुजारिश
COP28 सम्मेलन अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है तो ओपेक (OPEC) देश एकजुट हो गए हैं. इसके लेकर उन्होंने अपनी आवाज उठानी शुरू कर दी है. दरअसल, दुबई में जुटने वाले करीब 160 देशों के 12 दिसंबर को मीटिंग के समापन से पहले आम सहमति तक पहुंचने की उम्मीद में फॉसिल फ्यूल (Fossil Fuel) पर फोकस करने की उम्मीद है. ओपेक सदस्य जलवायु परिर्तन के लिए COP28 में फॉसिल फ्यूल को स्टेप बॉय स्टेप खत्म करने पर जोर दे रहे हैं. मेजबान संयुक्त अरब अमीरात ने सभी प्रतिनिधि देशों से समझौते के लिए अपने मतभेदों को दूर करने की गुजारिश की है. दूसरी तरफ भारत और चीन ने रिन्यूएबल एनर्जी में तीन गुना इजाफे की तरफ किसी भी प्रकार के संकल्प को आधिकारिक समर्थन देने से मना कर दिया.
इन देशों ने किया समर्थन
जिन देशों ने इसका समर्थन किया है उनमें कनाडा, ब्राजील, जापान, ऑस्ट्रेलिया और नाइजीरिया आदि हैं. COP28 के प्रेसीडेंट सुल्तान अल-जबर ने मसौदा जारी होने से पहले कहा, 'आइए इस काम को जल्द पूरा करें.' उन्होंने कहा, 'मैं चाहता हूं कि आप आगे बढ़ें और अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आएं.' आपको बता दें कम से कम 80 देश COP28 समझौते की मांग कर रहे हैं. वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों को रोकने के लिए महत्वाकांक्षी कार्रवाई की गुजारिश कर रहे हैं. आइए जानते हैं क्या है फॉसिल फ्यूल, जो दुनियाभर के देशों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.
क्या है फॉसिल फ्यूल?
फॉसिल फ्यूल या जीवाश्म ईंधन के अंतर्गत कोयला, पेट्रोल और गैस आदि आते हैं. ये सभी हमारी दुनिया के अंदर समाए हुए प्राचीन संसाधनों की तरफ इशारा करते हैं. यह प्राकृतिक ईंधन हैं और लाखों सालों से मृत पौधों और जानवरों के अवशेषों के दबाव और गर्मी से बनते हैं. कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बने होने के कारण ये जलाए जाने पर बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करते हैं. फॉसिल फ्यूल दुनिया की ऊर्जा आपूर्ति का मुख्य स्रोत हैं. दुनिया की अधिकांश बिजली का उत्पादन इसके जरिये होता है और परिवहन व उद्योग के लिए जरूरी ऊर्जा प्रदान करते हैं.
फॉसिल फ्यूल का उपयोग पर्यावरणीय चिंता का कारण बना हुआ है. इसके जलने से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे जलवायु परिवर्तन होता है. फॉसिल फ्यूल को जलाने से वायु प्रदूषण भी होता है. इसके उपयोग को कम करने के लिए तमाम तरह के प्रयास भी किये जा रहे हैं. इसके बाद रिन्यूएबल एनर्जी जैसे सोलर पावर और विंड एनर्जी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.
क्या है CoP28
कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज का सम्मेलन यानी CoP. इसमें 28 लगने का मतलब हुआ कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज का 28वां सम्मेलन. इस सम्मेलन का मतलब जलवायु परिवर्तन को लेकर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के पक्षों के सम्मेलन की 28वीं मीटिंग से है. यह सम्मेलन अब तक अलग-अलग देशों की मेजबानी में होता आया है. इस बार यह सम्मेलन संयुक्त अरब अमीरात की मेजबानी में हो रहा है.
सम्मेलन का मकसद
CoP28 का मकसद जलवायु से जुड़ी प्रतिबद्धताओं पर काम करना है. इसे जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभावों को रोकने के लिए जरूरी माना जा रहा है. इस सम्मेलन में कोयला ऊर्जा के इस्तेमाल को घटाने पर चर्चा हो रही है. इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने यह भी कहा कि दुनिया 2030 तक अपनी रिन्यूएबल एनर्जी की कैपेसिटी को तीन गुना करे और फॉसिल फ्यूल की डिमांड को धीरे-धीरे कम करें. इस सदी के आखिर तक ग्लोबल वॉर्मिंग को घटाकर 1.5 डिग्री सेल्सियस तक लाना है.